ब्यूरो रिपोर्टः जहां तीसरी बार हरियाणा में बीजेपी की जीत की पूरे देश में चर्चा चल रही है वहीं जम्मू-कश्मीर में जयंत चौधरी की रालोद (RLD) की बुरी तरीके से हार भी सुर्खियों में है. बता दे कि पश्चिमी यूपी से सटे हरियाणा को छोड़कर वादियों में जाना क्या रालोद (RLD) मुखिया जयंत चौधरी का सही कदम था और हरियाणा से दूरी बनाने के पीछे की क्या वजह थी. जम्मू-कश्मीर की ठंडी हवाओं में जयंत चौधरी के हैंडपंप में बर्फ जम गया।
RLD को विधानसभा चुनाव में लगा तगड़ा झटका
और वो इतना ठोस हो गया कि हैंडपंप से पानी की एक बूंद को रालोद तरस गई. केन्द्रीय मंत्री और रालोद मुखिया जयंत चौधरी की रालोद (RLD) नई उम्मीद और संभावनाओं के नए द्वार तलाशने के लिए जम्मू-कश्मीर में चुनाव लड़ने पहुंची थी।
रालोद (RLD) ने यहां जम्मू कश्मीर की 13 सीटों पर प्रत्याशी उतारे गए थे, और सीटे भी बेहद चौंकाने वाली थीं. जम्मू कश्मीर में रालोद ने पट्टन, सोनावारी, बांपोर, गुलमर्ग, बारामूला, हजरतबल, संबल, राफियाबाद, सहित 13 सीटों पर प्रत्याशी उतारे, लेकिन एक भी सीट पर सफलता नहीं मिल सकी. 23 स्टार प्रचारकों की फौज भी उतारी गई, लेकिन न कोई रालोद के हैंडपंप को मजबूती से जम्मू-कश्मीर में गाड़ पाया,पश्चिमी यूपी से सटे हरियाणा में विधानसभा चुनाव से जयंत चौधरी की दूरी ने भी कई सवाल खड़े किए. हरियाणा में जयंत चौधरी बीजेपी गठबंधन में कुछ सीटों पर चुनाव लड़ सकते थे।
लेकिन बीजेपी ने एक भी सीट नहीं दी, न आरएलडी (RLD) की तरफ से इसको लेकर कभी कुछ बड़ा कहा गया. दरअसल इस सवाल का जवाब आज भी राजनीतिक पंडित ढूंढ़ रहें हैं, जबकि पश्चिमी यूपी को छोड़कर जम्मू कश्मीर जैसी जगह पर बीजेपी से अलग हटकर चुनाव लड़ने का फैसला भी चौंकाने वाला था. पश्चिमी यूपी में रालोद की जड़ें जितनी मजबूत हैं, उतनी जम्मू-कश्मीर में नहीं है, न कभी कोई बड़ा कैंपेन पार्टी की तरफ से चलाया गया और न कभी वहां की सियासी जमीन में खाद डाला गया, फिर ऐसा क्या था कि जयंत ने पश्चिमी यूपी में सियासी पारा चढ़ाने के बजाय बर्फीली हवाओं से मुकाबला करने की ठान ली।
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इसको लेकर भी तमाम सवाल खड़े हो रहें हैं, क्योंकि रालोद (RLD) जिस उम्मीद से जन्मे कश्मीर गई थी वहां हर उम्मीद पर पानी फिर गया और खाता तक नहीं खुला। आरएलडी की जम्मू कश्मीर में हार के बावजूद जम्मू-कश्मीर के रालोद प्रभारी विनय प्रधान के हौंसले बुलंद हैं. बात की गई तो कहने लगे हमने चुनाव अच्छा लड़ा, हमें 15 दिन मिले, लेकिन फिर भी बेहतर प्रदर्शन किया. आगे कहा है कि दिसंबर में पंचायत चुनाव आ रहें हैं अपनी कमियों से सीखकर आगे बढेंगे और मजबूती से चुनाव लड़ेंगे।