ब्यूरो रिपोर्टः खबर यूपी के गाजियाबाद (Ghaziabad) से है, जहां मोहिउद्दीनपुर में अनुसूचित जाति के 4 भाइयों को पट्टे पर मिली जमीन को बिना प्रमिशन बेचने का एक मामला सामने आया है। इस मामले में 32 जमीन खरीदारों को बड़ा झटका लगा है। गाजियाबाद (Ghaziabad) के अपर जिलाधिकारी सदर की कोर्ट ने अब बेची गई जमीन को राज्य सरकार में निहित करने का आदेश दिया है। बिना जिलाधिकारी की अनुमति के 32 लोगों को जमीन बेची गई थी।
Ghaziabad में जमीन खरीदारों को लगा बड़ा झटका

दरअसल गाजियाबाद (Ghaziabad) के महिउद्दीनपुर में अनुसूचित वर्ग के चार भाइयों को कब्जे के आधार पर पट्टे में मिली 2,982 वर्गमीटर जमीन को बिना जिला प्रशासन की अनुमति के 32 लोगों को बेच दिया गया। अपर जिलाधिकारी सदर की कोर्ट ने इस मामले में अब बेची गई जमीन को राज्य सरकार में निहित करने का आदेश जारी कर दिया है। इससे खरीदारों को झटका लगा है। जमीन की कीमत 15 करोड़ रुपये से अधिक बताई जा रही है। बता दे कि खरीदारों ने ज्यादातर जमीन पर मकान बना लिए हैं और परिवार के साथ वहां रह रहे हैं।
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गाजियाबाद (Ghaziabad) के महिउद्दीनपुर में रहने वाले अनुसूचित वर्ग के शीशराम के चार बेटों जगत सिंह, भगत सिंह, चरन सिंह और चमन सिंह को 13,780 वर्गमीटर जमीन पर कब्जे के आधार पर वर्ष 1993 में मेरठ मंडल की अपर आयुक्त ने असंक्रमणीय भूमिधर घोषित किया था। आरोप है कि दस साल बाद पट्टे में मिली कुल जमीन में से 2,982 वर्गमीटर जमीन बिना जिला प्रशासन की अनुमति के बेच दी गई। दरअसल यूपी जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम की धारा 157- एए का उल्लंघन है। नियम के तहत दस साल बाद जमीन को असंक्रमणीय से संक्रमणीय कराया जा सकता है, जिससे कि जमीन को बेचने का अधिकार मिलता है।