ब्यूरो रिपोर्ट…नींद हमारे शरीर के लिए बेहद जरूरी है, लेकिन बहुत कम या बहुत ज्यादा नींद आपके दिमाग (Brain) को नुकसान पहुंचा पहुंचा सकता है। इस लेख में हम जानेंगे ज्यादा देर तक सोने की आदत दिमाग को क्या नुकसान पहुंचा सकती है।
सोने की आदत Brain को क्या नुकसान पहुंचा सकती है।
हमारे शरीर को स्वस्थ रहने और सही तरीके से काम करने के लिए पर्याप्त नींद की आवश्यकता होती है। नींद से शरीर को शारीरिक और मानसिक रूप से पुनः ऊर्जावान होने का समय मिलता है, जिससे मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में सुधार होता है। यह हमारी याददाश्त, सोचने की क्षमता और मूड को बेहतर बनाने में मदद करती है। पर्याप्त नींद से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है, हार्मोनल बैलेंस बनाए रहता है और शरीर के अंगों की मरम्मत होती है, लेकिन अत्यधिक नींद भी हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। आमतौर पर, एक वयस्क को हर रात 7-9 घंटे की नींद की आवश्यकता होती है, लेकिन अगर नींद का समय इससे ज्यादा बढ़ जाए, तो यह हमारे मस्तिष्क (Brain) और शरीर पर कई तरह से असर डाल सकता है।
ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
अत्यधिक नींद से ब्रेन (Brain) की कार्यप्रणाली में बदलाव आ सकता है। ज्यादा सोने से मस्तिष्क के न्यूरोट्रांसमीटर्स जैसे डोपामिन का संतुलन बिगड़ सकता है, जिससे मानसिक थकान महसूस होती है। इससे ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है और कामों में फोकस बनाए रखना मुश्किल हो सकता है।
डिप्रेशन और एंग्जायटी
अत्यधिक नींद और मानसिक स्वास्थ्य के बीच गहरा संबंध है। कई अध्ययन बताते हैं कि ज्यादा सोने से डिप्रेशन और एंग्जायटी की समस्याएं बढ़ सकती हैं। सोने का अत्यधिक समय मस्तिष्क के मूड-नियंत्रण वाले हिस्से को प्रभावित करता है, जिससे मानसिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
ब्रेन फॉग व याददाश्त पर असर
अत्यधिक नींद से ‘ब्रेन फॉग’ यानी मस्तिष्क (Brain) में सुस्ती महसूस हो सकती है। यह स्थिति उस समय उत्पन्न होती है, जब मस्तिष्क ठीक से जागृत नहीं होता, जिससे याददाश्त कमजोर पड़ सकती है। लंबे समय तक ज्यादा सोने से यह स्थिति स्थायी हो सकती है, जिससे मानसिक क्षमता पर असर पड़ता है।
मेटाबोलिक व शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
अत्यधिक नींद मस्तिष्क के अलावा शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित कर सकती है। इससे मेटाबोलिक बदलाव हो सकते हैं, जैसे वजन बढ़ना और इंसुलिन संवेदनशीलता कम होना। इन शारीरिक समस्याओं का मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है, क्योंकि यह ब्रेन की कार्यप्रणाली को बाधित करता है। साथ ही यदि कोई व्यक्ति लंबे समय तक ज्यादा सोता है, तो इससे उम्र बढ़ने के साथ-साथ मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में गिरावट आ सकती है। विशेषकर अल्जाइमर जैसी बीमारियां इस कारण से उत्पन्न हो सकती हैं।
कितने घंटे सोना चाहिए
नींद की गुणवत्ता और मात्रा दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। ज्यादा सोना मस्तिष्क और शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, इसलिए सही समय पर पर्याप्त नींद लेना आवश्यक है। 7-9 घंटे की नींद आदर्श मानी जाती है, जो मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करती है।