Desh Par Kurban Arun Kumar Raghav (Bulandshahr)
बुलंदशहर (संवाददाता हिना अहमद) : बुलंदशहर (Bulandshahr) जनपद के औरंगाबाद थाना क्षेत्र के गांव नगला करन निवासी असम राइफल्स के जवान अरुण राघव की हृदयगति रुकने से हुई आकस्मिक मौत की खबर ने पूरे इलाके को शोक में डूबो दिया। मणिपुर में ड्यूटी के दौरान 4 दिसंबर को उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई थी, जिसके बाद जवान की मृत्यु हो गई। रविवार को सेना की एक टुकड़ी पार्थिव शरीर लेकर उनके पैतृक गांव पहुंची, जहां हजारों लोग अंतिम दर्शन के लिए उमड़ पड़े। गांव का वातावरण पूरी तरह गमगीन हो गया और हर किसी की आंखें नम दिखाई दीं।

गांव पहुंचते ही माहौल हुआ भावुक
जैसे ही तिरंगे में लिपटा बुलंदशहर (Bulandshahr) के जवान अरुण राघव का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा, परिजनों के साथ ग्रामीणों की भी रुलाई फूट पड़ी। जवान की पत्नी और मां विलाप करते हुए कई बार बेसुध होकर गिर पड़ीं। उनके क्रंदन से पूरे गांव का माहौल शोकपूर्ण हो गया। जवान के परिजनों ने कहा कि अरुण परिवार का सहारा थे और देश सेवा के जुनून के साथ हमेशा अपने कर्तव्य पर अग्रणी रहते थे।

गार्ड ऑफ ऑनर के साथ दी गई अंतिम विदाई
असम राइफल्स के जवानों की टुकड़ी ने तिरंगे में लिपटी अरुण राघव की पार्थिव देह पर पुष्प अर्पित किए और सैन्य सम्मान के साथ सलामी दी। अंतिम संस्कार के दौरान “अरुण राघव अमर रहें” के नारे लगातार गूंजते रहे। बुलंदशहर (Bulandshahr) प्रशासन की ओर से भी अधिकारियों ने अंतिम यात्रा में पहुँचकर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
यह दृश्य उपस्थित हर व्यक्ति को भावुक कर गया। छोटे-बड़े, महिलाएँ और बुजुर्ग—सभी की आंखें नम थीं। गांव में किसी त्योहार जैसा माहौल रहने वाला रविवार, कुछ ही मिनटों में मातम में बदल गया।
हजारों लोगों ने शामिल होकर जताया सम्मान
बुलंदशहर (Bulandshahr) के जवान की शवयात्रा में स्थानीय जनप्रतिनिधियों, ग्राम प्रधानों, सामाजिक संगठनों और हजारों ग्रामीणों ने भाग लिया। अंतिम संस्कार स्थल तक लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा था। हर कोई जवान के पराक्रम और त्याग को याद कर रहा था।
स्थानीय लोगों ने कहा कि अरुण राघव हमेशा शांत और मिलनसार स्वभाव के थे। गांव में जब भी आते, सभी से मिलने का समय निकालते। देश सेवा के कारण वह हमेशा लंबे समय तक घर से दूर रहते थे, लेकिन गांव के लोग उनकी सादगी और व्यवहार को आज भी याद करते हैं।
देश सेवा में समर्पित था जवान अरुण
बुलंदशहर (Bulandshahr) के 27 वर्षीय अरुण राघव कई वर्षों से असम राइफल्स में तैनात थे। उनके साथी जवानों ने बताया कि अरुण हमेशा अपनी ड्यूटी को सर्वोपरि मानते थे। देश की सुरक्षा के लिए उन्होंने हमेशा पूरी निष्ठा के साथ काम किया। मणिपुर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में उनकी तैनाती जिम्मेदारी और साहस का प्रतीक थी।
असम राइफल्स के अधिकारियों ने बताया कि अरुण राघव एक अनुशासित, ईमानदार और बेहद कर्मठ जवान थे। उनकी अचानक मौत एक बड़ी क्षति है। उन्होंने कहा कि अरुण की देश सेवा को सदैव याद रखा जाएगा।
परिजनों की मांग — परिवार को मिले सहयोग
गांव के लोगों और जनप्रतिनिधियों ने सरकार से मांग की है कि जवान के परिवार को आर्थिक सहायता, उनकी पत्नी को रोजगार और अन्य सरकारी सुविधाएँ तुरंत उपलब्ध कराई जाएँ। बुलंदशहर (Bulandshahr) प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि जवान के परिवार को सभी संभव मदद दिलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
अंतिम विदाई का भावुक दृश्य
बुलंदशहर (Bulandshahr) में अंतिम संस्कार के समय हजारों लोगों की भीड़ मौन खड़ी थी। जैसे ही अरुण राघव की चिता को अग्नि दी गई, पूरा गांव गहरे शोक में डूब गया। उनके छोटे भाई ने कांपते हाथों से मुखाग्नि दी। गांव में हर ओर सिर्फ एक ही बात गूंज रही थी—
“देश ने एक सच्चा सिपाही खो दिया।”