ब्यूरो रिपोर्टः यूपी नौ सीटो पर उपचुनाव होने जा रहे है, इन्ही में से एक सीट है मीरापुर, जो जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनी हुई है, जैसे जैसे मतदान की तिथि नजदीक आ रही है। वैसे वैसे मीरापुर सीट पर मतदाताओं को साधने की आजमाइश भी तेज हो गई है। राष्ट्रीय लोकदल अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) के सामने क्षेत्र के जाट और गुर्जर मतदाताओं को साधने की चुनौती है। हालांकि इस सीट की जीत-हार से कोई बहुत बड़ा फायदा नुकसान होने वाला नहीं है पर यदि रालोद की हार होती है तो जयंत चौधरी का एनडीए गठबंधन में दाना-पानी और कितने दिनों का है। यह कहना भी मुश्किल होगा।
उपचुनाव से पहले Jayant Chaudhary के सामने चुनौती
दरअसल,जयंत (Jayant Chaudhary) ने जब से एनडीए का दामन पकड़ा है तब से ही वह भाजपा में अपनी मजबूत जड़े बना चुके जाट नेताओं की आंख की किरकिरी बने हुए हैं। भाजपा के जाट नेताओं का कहना है कि रालोद मुखिया जयंत चौधरी की जाटों पर वास्तविक पकड़ होती तो उसके दो प्रमुख नेता केंद्रीय मंत्री डा. संजीव बालियान और कैराना सीट पर भाजपा उम्मीदवार की शर्मना हार ना हुई होती।
ऐसे में अगर मीरापुर उप-चुनाव में रालोद को हार मिलती है तो फिर भाजपा के जाट नेताओं के हमलों को झेलना जयं चौधरी के लिए बहुत ही मुश्किल होगा। इस हालत में उनके लिए भाजपा के साथ आगे का सफर बहुत मुश्किल भरा होगा।जाहिर है कि 2027 में जयंत (Jayant Chaudhary) के एनडीए गठबंधन छोड़ कर इंडिया गठबंधन में वापसी की संभावनाएं और भी प्रबल हो जाएंगी। क्योंकि चुनाव में रालोद की तरफ से उतरीं मिथिलेश पाल तकनीकी रूप से भाजपा की सदस्य हैं।
ऐसे में रालोद मुखिया जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) इस बात को लेकर चिंतित हैं कि उनके समाज के वोटर भाजपा नेता को टिकट देने पर नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। यही वजह है कि रालोद मुखिया जयंत चौधरी और उनके खास सांसद राजकुमार सांगवान जैसे जाट नेता रणनीति के तहत पार्टी के मायूस नेताओं को मनाने और उससे जुड़े वोट बैंक को साधने की कोशिशों में जुटे हैं। बता दें कि मीरापुर विधानसभा क्षेत्र में जाट मतदाताओं की संख्या करीब 40 हजार है।
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जाटों के साथ-साथ गूर्जर बिरादरी का मीरापुर क्षेत्र में बल माना जाता है। रालोद सांसद चंदन चौहान 2022 के विधानसभा चुनाव में यहां से रालोद-सपा गठबंधन से विधायक चुने गए थे। बता दे कि उनके पिता संजय चौहान भी इस सीट से विधायक रह चुके हैं। चुनाव में गुर्जर प्रत्याशी नहीं होने से जाटों के साथ ही गुर्जर भी रालोद से काफी नाराज बताए जा रहे हैं। जातीय मतदाताओं के अलावा जयंत को सबसे बड़ी मुस्लिम मतदाताओं को लेकर है।
जिनकी संख्या करीब एक लाख 32 हजार है। गौरतलब है कि हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में मुस्लिम मतदाताओं का इंडिया समूह को भारी समर्थन मिला था। लेकिन,यहां राजनैतिक परिवेक्षक किसी भी दल की जीत की घोषणा करने में खुद को असमर्थ पा रहे हैं।