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शामली में farmers का धरना लगातार जारी, सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी…

शामली (दीपक राठी) : उत्तर प्रदेश के जनपद शामली में बकाया गन्ना भुगतान को लेकर किसानो (farmers) का धरना लगातार जारी है। जहा करीब 3 दिनो तक हाइवे जाम किए जाने के बाद अब किसान कलेक्ट्रेट में जा घुसे है।जहा हजारों की संख्या में एकत्र हुए किसानो के द्वारा धरना प्रदर्शन किया जा रहा है।किसानो का साफ तौर पर कहना है जब तक किसानो को उनका भुगतान नहीं मिलेगा तब तक आंदोलन जारी रहेगा। आपको बता दे कि शामली के अपर दोआब शुगर मिल पर करीब 188 करोड़ रुपए के गन्ना बकाया भुगतान को लेकर किसानो (farmers) द्वारा करीब 12 दिनो से धरना प्रदर्शन किया जा रहा है।

 

farmers का धरना लगातार जारी

 

शामली में farmers का धरना लगातार जारी, सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी...

 

जहा करीब 3 दिनो तक किसानो (farmers) द्वारा हाईवे जाम किए जाने के बाद बैकफुट पर आए जिला प्रशासन ने किसानो को कलेक्ट्रेट के अंदर धरना प्रदर्शन किए जाने की अनुमति दी है। जिसके बाद किसानो ने पुलिस प्रशासन के अधिकारियो के अनुरोध पर कलेक्ट्रेट परिसर में धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है।जहा हजारों की संख्या में किसानो ने धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है।इस दौरान धरना प्रदर्शन कर रहे किसानो ने जानकारी देते हुए बताया कि जिला प्रशासन हो या शुगर मिल के अधिकारी सभी ने किसानो (farmers) के प्रति उदासीन रवैया अपना रखा है।

 

 

शामली में farmers का धरना लगातार जारी, सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी...

 

अगर इस मामले में किसान डीएम से कहते है तो वे गेंद को डीसीओ के पाले में फेंक देते है और कही से भी किसानो को कोई ठोस आश्वासन नही मिल रहा है।जहा जिला प्रशासन और शुगर मिल अधिकारियो की हठधर्मिता के चलते भुगतान न मिलने के कारण किसान की कमर आर्थिक तौर पर पूरी तरह टूट चुकी है। किसानो (farmers) को अपने रोजमर्रा के खर्च चलाने के लिए भी साहूकारों से ब्याज पर पैसा लेना पड़ रहा है। लेकिन अब किसान के सब्र का बांध पूरी तरह टूट चुका है।

 

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किसान शुगर मिल से कोई भीख नहीं बल्कि अपनी फसल का मूल्य मांग रहे है। पिछले साल भी किसानो को प्रसासनिक अधिकारी द्वारा दिए गए आश्वासन के बाद करीब 95 दिनो तक चलाए गए आंदोलन को ख़त्म कर दिया गया था। लेकिन अब किसान करो या मरो वाली स्तिथि में आ चुका है। इसलिए अब किसान किसी के भी झूठे आश्वासन में नहीं आएगा और चाहे जब तक भी इस आंदोलन को चलाना पड़े लेकिन जब तक किसानो (farmers) को उनका हक नही मिलेगा तब तक किसान इस आंदोलन को ख़त्म नहीं करेंगे।

 

 

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