एंकरः केंद्र में सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी NDA में साझेदार राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) और केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी ने अपने पार्टी के नेताओं पर सख्त एक्शन लिया है। पार्टी ने अपने सभी प्रवक्ताओं को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है। राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी द्वारा जारी एक चिट्ठी में इस फैसले की जानकारी दी गई है। जानकारी के अनुसार रालोद चीफ जयंत चौधरी के आदेश पर यह एक्शन हुआ है।
Jayant Chaudhary ने प्रवक्ताओं को हटाया
रालोद की मेरठ इकाई ने इस फैसले की जानकारी अपने मीडिया ग्रुप में दी। दरअसल आरएलडी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अंबेडकर मामले पर चल रहे ताजा विवाद के प्रकरण में पार्टी के एक प्रवक्ता ने टिप्पणी कर दी थी। यह बात एनडीए में रहते हुए नैतिक तौर पर गलत थी। ऐसे में छोटे जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) ने इसे अनुशासनहीनता के तौर पर लिया और प्रवक्ताओं को संवेदनशील विषयों पर कुछ कहते समय पर्याप्त संवेदनशीलता का परिचय देने का निर्देश दिया। लेकिन बाद में इस निर्णय पर कड़ी कार्रवाई करते हुए उन्होंने सभी प्रवक्ताओं को हटाने का फैसला लिया है। बीते दिनों एक प्रवक्ता ने गृहमंत्री के बयान की आलोचना की थी।
इसके बाद अब यह फैसला लिया गया है। रालोद नेता त्रिलोक त्यागी द्वारा जारी चिट्ठी में कहा गया है कि राष्ट्रीय लोकदल के सभी राष्ट्रीय प्रवक्ताओं एवं उत्तर प्रदेश के सभी प्रवक्ताओं को तत्काल प्रभाव से निकाला जाता है, आपको बता दे कि बीते दिनों रालोद प्रवक्ता कमल गौतम ने कहा था कि गृह मंत्री का बयान सही नहीं है और उन्हें माफी मांगनी चाहिए। बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर को जो लोग भगवान मानते हैं, वह भगवान मानत रहेंगे। उनके लिए ऐसा बयान उचित नहीं है। वही पार्टी के एक नेता के अनुसार, रालोद मुखिया जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) जल्द ही पार्टी में बड़ा बदलाव करेंगे। यह बदलाव 2027 में होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव को देखकर किया जाएगा।
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पार्टी अपने मतदाता वर्ग को ध्यान में रखते हुए नए पदाधिकारी घोषित करेगी। इसमें कुछ समय लग सकता है। जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) के अनुसार, पार्टी के नए पदाधिकारियों की जानकारी नए साल में ही होगी। बता दे कि जयंत का यह कदम पार्टी की कार्यप्रणाली में बदलाव लाने और उसकी छवि को नए तरीके से प्रस्तुत करने के उद्देश्य से लिया गया है। पार्टी के समर्थकों और राजनीतिक विश्लेषकों द्वारा इस फैसले को एक महत्वपूर्ण रणनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है।