LPG और पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी: सरकार का बड़ा फैसला
आज हम बात करेंगे एक बड़ी खबर की। दुनिया भर में बाजार धड़ाम से गिर रहे हैं, लेकिन इस बीच एक राहत भरी खबर आई है कि क्रूड ऑयल की कीमतें पिछले चार साल के सबसे निचले स्तर $60 प्रति बैरल पर पहुँच गई हैं।
हालाँकि, भारत सरकार ने हाल ही में LPG सिलेंडर की कीमतों में ₹50 की बढ़ोतरी का ऐलान किया है। साथ ही, पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में भी ₹2 प्रति लीटर का इजाफा हुआ है। यह सब तब हो रहा है जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल (क्रूड ऑयल) के दाम गिर रहे हैं। आखिर क्या है इसके पीछे का रहस्य? इस लेख में हम इसे विस्तार से समझते हैं।
क्रूड ऑयल की कीमतों में भारी गिरावट: $60 प्रति बैरल
क्यों गिरे तेल के दाम?
पिछले कुछ दिनों में क्रूड ऑयल की कीमतें $71 से घटकर $60 प्रति बैरल पर आ गईं। यह 2020 के बाद का सबसे निचला स्तर है। इसके पीछे दो बड़े कारण हैं:
- डोनाल्ड ट्रंप का प्रभाव: टैरिफ बढ़ाने की उनकी नीति से वैश्विक मंदी का डर बढ़ा, जिससे तेल की माँग कम हुई।
- उत्पादन बढ़ा: OPEC+ देशों ने तेल की सप्लाई बढ़ाने का फैसला किया, जिससे कीमतें और नीचे आईं।
क्या है ऐतिहासिक संदर्भ?
याद करें रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान, जब बाइडन ने रूस पर $60 प्रति बैरल की सीमा लगाई थी। तब रूस ने भारत को 40-45 डॉलर प्रति बैरल पर तेल बेचा था। आज बिना किसी प्रतिबंध के तेल $60 पर स्वतः आ गया है।
LPG सिलेंडर की नई कीमतें: अब कितना खर्च आएगा?
7 अप्रैल 2025 से LPG सिलेंडर की कीमतों में ₹50 का इजाफा लागू हो गया है। यह बढ़ोतरी सभी उपभोक्ताओं पर प्रभाव डालेगी, चाहे वे सब्सिडाइज्ड हों या नॉन-सब्सिडाइज्ड। यहाँ नए दाम देखें:
- सामान्य उपभोक्ता: पहले ₹803, अब ₹853।
- प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) लाभार्थी: पहले ₹500, अब ₹550।
यह बढ़ोतरी हर घर में खाना पकाने की लागत को प्रभावित करेगी। लेकिन सवाल उठता है कि सरकार ने यह कदम क्यों उठाया?
कीमतें बढ़ने का कारण क्या है?
सरकार का कहना है कि ऑयल मार्केटिंग कंपनियाँ (जैसे भारत गैस, इंडियन ऑयल) पिछले कुछ महीनों से ₹43,000 करोड़ के घाटे में थीं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में गैस की खरीद लागत बढ़ने और रुपये के कमजोर होने से यह नुकसान हुआ। सरकार इन कंपनियों को राहत देना चाहती थी, इसलिए LPG की कीमतों में यह बढ़ोतरी की गई।
ग्लोबल फैक्टर्स का असर
- रूस-यूक्रेन युद्ध और मिडिल ईस्ट में तनाव: इससे गैस की कीमतों में अस्थिरता बनी हुई है।
- रुपये की कमजोरी: हाल में रुपया 88 तक कमजोर हुआ था, हालाँकि अब यह 85-86 के आसपास स्थिर हुआ है। फिर भी, आयात महंगा पड़ रहा है।
पेट्रोल-डीजल पर ट्विस्ट: कीमतें स्थिर, लेकिन टैक्स बढ़ा
अब पेट्रोल और डीजल की बात करें। अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल के दाम क्रैश होने के बावजूद भारत में इनके दाम नहीं घटेंगे। ऐसा इसलिए, क्योंकि सरकार ने एक्साइज ड्यूटी में ₹2 प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है। नई दरें यहाँ देखें:
- पेट्रोल: एक्साइज ड्यूटी ₹11 से बढ़कर ₹13 प्रति लीटर।
- डीजल: एक्साइज ड्यूटी में ₹2 प्रति लीटर का इजाफा, अब ₹10 प्रति लीटर।
क्रूड ऑयल सस्ता, फिर भी राहत क्यों नहीं?
क्रूड ऑयल के दाम गिरने के दो बड़े कारण हैं:
- डोनाल्ड ट्रंप का प्रभाव: उनकी टैरिफ नीतियों से वैश्विक मंदी का खतरा बढ़ा, जिससे तेल की माँग कम हो सकती है।
- वैश्विक बाजार में हलचल: अमेरिकी बाजार 2 ट्रिलियन डॉलर गिर गया। अमेरिका-चीन के बीच टैरिफ जंग तेज हुई। इसका असर तेल और शेयर बाजार पर पड़ रहा है।
- OPEC+ का फैसला: इन देशों ने तेल की सप्लाई बढ़ाने का ऐलान किया।
जब सप्लाई बढ़ती है और माँग घटती है, तो कीमतें नीचे जाती हैं। ऐसे में पेट्रोल-डीजल सस्ता होना चाहिए था, लेकिन सरकार ने टैक्स बढ़ाकर इस लाभ को अपने पास रख लिया। नतीजा? आपको पहले जितना ही खर्च करना पड़ेगा।
पेट्रोल की कीमत कैसे तय होती है?
टैक्स का बोझ, एक्साइज ड्यूटी: केंद्र सरकार वसूलती है। VAT: राज्य सरकारें लगाती हैं। पेट्रोल-डीजल GST के दायरे में नहीं आते।
दिल्ली में पेट्रोल ₹96 प्रति लीटर है। इसमें शामिल है:
- क्रूड ऑयल लागत: ₹40
- रिफाइनिंग और ट्रांसपोर्ट: ₹7
- एक्साइज ड्यूटी (केंद्र): ₹13
- VAT (राज्य): ₹32
- डीलर कमीशन: ₹4
टैक्स (केंद्र + राज्य) कुल कीमत का 50-60% है। अगर टैक्स हट जाए, तो पेट्रोल-डीजल ₹40 के आसपास हो सकता है।
इसका असर किस पर पड़ेगा?
मिडिल और लोअर मिडिल क्लास पर बोझ
- घरेलू खर्च बढ़ेगा: LPG महंगा होने से मासिक बजट पर दबाव पड़ेगा।
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छोटे व्यवसाय: चाय विक्रेता, स्ट्रीट फूड स्टॉल की लागत बढ़ेगी।
- प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के लाभार्थी: सब्सिडी अब केवल PMUY यूजर्स को मिलती है, लेकिन ₹550 में भी ग्रामीण और गरीब परिवारों के लिए रिफिल कराना मुश्किल होगा। कई लोग फिर से लकड़ी जलाने पर मजबूर हो सकते हैं।
छोटे व्यवसाय प्रभावित
टी स्टॉल, स्ट्रीट फूड विक्रेता जैसे छोटे कारोबारी जो डोमेस्टिक LPG इस्तेमाल करते हैं, उनके लिए भी लागत बढ़ेगी।
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
- पॉजिटिव: ऑयल कंपनियों की सेहत सुधरेगी, सरकार का सब्सिडी बोझ कम होगा।
- नेगेटिव: इनफ्लेशन बढ़ेगा, कंज्यूमर सेंटीमेंट प्रभावित होगा, जिससे GDP पर असर पड़ सकता है।
सरकार की दलील और विपक्ष का हमला
सरकार का पक्ष
पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, “हमने दाम नहीं बढ़ाए। तेल कंपनियों के पास 45 दिन का स्टॉक है, जो $70-80 प्रति बैरल पर खरीदा गया था। सस्ते तेल का असर अभी नहीं दिखेगा।” उनका दावा है कि यह कदम कंपनियों को नुकसान से बचाने के लिए है।
विपक्ष की आपत्ति
राहुल गाँधी और विपक्ष ने इसे “जनता से लूट” करार दिया। उनका कहना है कि सस्ते तेल का लाभ जनता तक पहुँचना चाहिए था, न कि टैक्स बढ़ाकर सरकार की जेब में जाना चाहिए।
सरकार का अगला कदम क्या?
पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ऐलान किया कि अब LPG की कीमतें हर 2-3 हफ्ते में रिव्यू होंगी। अगर अंतरराष्ट्रीय स्थिति बिगड़ी, तो कीमतें और बढ़ सकती हैं।
निष्कर्ष: आगे क्या?
LPG और पेट्रोल-डीजल की कीमतों को लेकर यह फैसला आने वाले चुनावों में बड़ा मुद्दा बन सकता है। सरकार ने पहले भी चुनाव से पहले दाम घटाए और बाद में बढ़ाए हैं। यह पैटर्न अब आम है।
क्रूड ऑयल $60 पर आ गया, लेकिन भारत में टैक्स बढ़ने से जनता को राहत नहीं मिली। सरकार इसे खजाना भरने का मौका मान रही है। आगे क्या होगा? LPG की कीमतें हर 2-3 हफ्ते में रिव्यू होंगी।
आप इस बारे में क्या सोचते हैं? कमेंट में बताएँ।