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Shamli में अवैध मिट्टी खनन से पर्यावरण को हो रहा भारी नुकसान

Shamli Mein Avayadh Mitti Khanan Ki Badhati Ghatnaayein

Shamli में अवैध मिट्टी खनन माफिया के हौसले बुलंद, जाने क्या है पूरा मामला

दीपक राठी (संवाददाता): उत्तर प्रदेश के जनपद Shamli में परिवहन विभाग निष्क्रियता के चलते मिट्टी खनन माफिया  के हौसले बुलंदियों पर है। जिसके चलते मिट्टी खनन माफियाओं द्वारा सभी नियम कानून को ताक पर रखकर आधुनिक मशीनों द्वारा अंधाधुंध मिट्टी खनन कर उक्त मिट्टी को डंपर में ओवरलोड भरकर आसपास नवर्निमित कॉलोनीयो में भारी भरकम दामों पर बेचा जा रहा है।

Shamli में खनन माफिया के हौसले बुलंद

सबसे बड़ी हैरानी की बात तो यह है कि संबंधित विभाग द्वारा जिले में मिट्टी खनन की कोई भी परमिशन नहीं दी गई है।  इसके बावजूद भी यह मिट्टी खनन कैसे किया जा रहा है। यह Shamli जिला प्रशासन के अधिकारियों की कार्यशाली पर सवालिया निशान  लगा रहा है।

साथी मिट्टी खनन माफियाओं द्वारा राजस्व को भी  हानि पहुंचाई जा रही है। जहाँ रात के अंधेरे में बेखौफ होकर सड़कों पर दौड़ रहे मिट्टी खनन के ओवरलोड डंपरों की एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।

शामली जिला प्रशासन का कोई खौफ नहीं है

जिसे देखकर साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि मिट्टी खनन माफिया को शामली जिला प्रशासन का कोई खौफ नहीं है। आपको बता दें पूरा मामला Shamli सदर कोतवाली क्षेत्र के Shamli शाहपुर मार्ग स्थित गांव सेहंटा के समीप का है। जहाँ रात के अंधेरे में बेखौफ सड़कों पर दौड़ रहे ओवरलोड मिट्टी खनन के डंपरों की एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।

बताया जा रहा है कि उक्त मिट्टी खनन चर्चित मिट्टी खनन माफिया चर्चित मिट्टी खनन माफिया अमजद द्वारा बिना किसी परमिशन के और एनजीटी के नियमों कानून को ताक पर रखकर गांव कुडाना के जंगलों में भारी भरकम मशीनों से किया जा रहा है ,और उक्त मिट्टी खनन से निकल गई मिट्टी को डंपरों में भरकर मुजफ्फरनगर रोड स्थित नवनिर्मित कॉलोनी में मनमाने दामों पर बेचा जा रहा है और प्रतिदिन लाखों रुपए के वारे न्यारे किये जा रहे है।

Shamli Janpad Mein Avayadh Mitti Khanan Mafia Ki Gatividhiyan Badh Rahi Hain,
Shamli Janpad Mein Avayadh Mitti Khanan Mafia Ki Gatividhiyan Badh Rahi Hain,

प्रशासनिक निष्क्रियता से माफिया को मिल रहा बढ़ावा

बताया जा रहा है कि उक्त मिट्टी खनन माफिया द्वारा करीब आधा दर्जन डंपर अवैध मिट्टी खनन में लगाए गए हैं। जोकि उड़ीसा राज्य के नंबर के हैं। लेकिन इस मामले में सबसे बड़ी हैरानी की बात तो यह है कि संबंधित विभाग के अधिकारी तो अवैध मिट्टी खनन की सुध ले ही नहीं रहे। बल्कि परिवहन विभाग के अधिकारियों को भी सड़कों पर खुलेआम दौड़ रहे मिट्टी के ये ओवरलोड डंपर नहीं दिखाई दे रहे हैं।

अधिकारियों व परिवहन विभाग से अच्छी खासी सेटिंग

अब Shamli जिला प्रशासन या परिवहन विभाग के अधिकारी उक्त मामले को लेकर जानबूझकर अनजान बने हुए हैं या फिर इसके पीछे कोई और वजह है। इस बात की अभी कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। वही चर्चा यह भी है कि मिट्टी खनन माफिया अमजद कहता फिरता है कि हमारे Shamli जिला प्रशासन के अधिकारियों व परिवहन विभाग से अच्छी खासी सेटिंग है और कोई भी हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता।  इसलिए हम बिना किसी डर के रात के अंधेरे में मिट्टी खनन करते है।

राजस्व को भी बड़ा चूना लगाया जा रहा

वही मिट्टी खनन माफियाओं द्वारा अवैध मिट्टी खनन करके राजस्व को भी बड़ा चूना लगाया जा रहा है। इसके जिम्मेदार कहीं ना कहीं संबंधित विभाग के अधिकारी है। वही जब इस मामले में Shamli एनजीटी के अधिकारी का कहना है कि Shamli जनपद में पिछले काफी समय से अवैध मिट्टी खनन की सूचनाओं  प्राप्त हो रही है। जिसके चलते विभाग द्वारा मिट्टी खनन माफियाओं को चिन्हित किया जा रहा है।

पर्यावरण और किसानों को हो रहा नुकसान

उत्तर प्रदेश के जनपद Shamli में अवैध मिट्टी खनन माफियाओं की गतिविधियाँ प्रशासनिक निष्क्रियता के चलते दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं। बिना किसी अनुमति के आधुनिक मशीनों द्वारा किए जा रहे इस अवैध खनन से न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि सरकार के राजस्व को भी भारी क्षति पहुँच रही है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिले में मिट्टी खनन की कोई वैध अनुमति नहीं दी गई है।

इसके बावजूद भी यह अवैध कारोबार खुलेआम चल रहा है। इससे यह स्पष्ट होता है कि स्थानीय प्रशासन या तो इस मामले में उदासीन है या कहीं न कहीं मिलीभगत की आशंका भी नज़र आती है। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे इस पर तत्काल प्रभाव से सख्त कार्रवाई करें, दोषियों पर कठोर दंडात्मक कार्यवाही करें, और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए प्रभावी तंत्र विकसित करें।

यदि समय रहते इस पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो यह न केवल प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन का कारण बनेगा, बल्कि जनपद के विकास, पर्यावरण और आम नागरिकों की आजीविका पर भी गंभीर संकट उत्पन्न करेगा।

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