Shamli Minor Girl Justice Fight
Shamli में न्याय के लिए लड़ रही बेटी को मिल रही जान से मारने की धमकियाँ, प्रशासन मौन।
दीपक राठी (संवाददाता): खबर उत्तर प्रदेश के जनपद Shamli से है, जहां आज हम आपको ध्वनि नाम की एक ऐसी नाबालिक लड़की की कहानी सुनाने जा रहे हैं जिसने जन्म भी लिया और जिंदा भी है लेकिन उसके ही परिवार के कुछ लोगो ने लालचवश उसे जीतेजी मार डाला है। आपको बता दे कि मामला वर्ष 2009 में जनपद Shamli के थाना आदर्श मंडी क्षेत्र के गांव सिलावर का है। जहां प्रशांत उर्फ गोल्डी नाम का युवक रहता था।
Shamli नाबालिग बेटी न्याय की लड़ाई
जिसके पिता का नाम परमजीत सिंह और माता का नाम सविता था। प्रशांत अपने मां-बाप की एकलौती संतान था। प्रशांत उर्फ गोल्डी की शादी सोनिया नाम की एक लड़की से हुई थी। जिसके यहां 2009 में एक कन्या ने जन्म लिया। जिसका नाम ध्वनि रखा गया था। बड़े ही लाड प्यार से ध्वनि का पालन पोषण हो रहा था। जैसे ही ध्वनि डेढ़ माह की हुई तो सिर से पिता का साया उठ गया। ध्वनि के जन्म के डेढ़ माह बाद ही प्रशांत का आकस्मिक निधन हो गया।
जीवित पौत्री को मार डाला
वहीं ध्वनि के दादा परमजीत ने अपने खेत की लगभग 29 बीघा जमीन को ध्वनि के नाम वसीयत करते हुए अपनी धर्मपत्नी सविता को ध्वनि का संरक्षक बनाया। वही प्रशांत की मौत के बाद वर्ष 2011 में ध्वनि की मां सोनिया की शादी मुजफ्फरनगर जनपद के नीरज नाम के युवक के साथ कर दी गई। वही ध्वनि के दादा परमजीत का वर्ष 2014 में निधन हो गया। कुछ साल बाद ही 2021 में ध्वनि की दादी सविता का भी निधन हो गया।
चचेरे दादा की हैवानियत
वही ध्वनि ने वसीयत के अनुसार जब संपत्ति को लेना चाहा तो ध्वनि के चचेरे दादा शरणवीर ने उक्त 29 बीघा जमीन को अपना बताते हुए उक्त जमीन को देने से साफ मना कर दिया और बताया कि तुम प्रशांत उर्फ गोल्डी की बेटी नहीं हो। वर्ष 2009 में प्रशांत उर्फ गोल्डी को जो संतान पैदा हुई थी। वह जन्म के बाद मर चुकी थी। वही जमीन का यह विवाद Shamli तहसील न्यायालय में पहुंचा।

न्याय की उम्मीद में दर-दर की ठोकरें
जिसमें शरणवीर ने ध्वनि की मृत्यु के फर्जी प्रमाण पत्र न्यायालय में पेश किये। वहीं जीवित ध्वनि 2021 से अब तक खुद को जीवित साबित करती आ रही है। 2021 से 2024 तक ध्वनि को 3 वर्ष खुद को जीवित करने में लग गए। वही यह वाद 2021 से Shamli तहसीलदार न्यायालय में चला रहा था जिमसें 2024 में यह आदेश आया कि ध्वनि ही उस वसीयत की असली हकदार है। वही जब न्यायालय ने फैसला ध्वनि के पक्ष में सुनाया तो उस 29 बीघा जमीन और फसल पर कब्जा लेने के लिए ध्वनि व उसका परिवार गया।
नाबालिग बेटी न्याय की उम्मीद में दर-दर
लेकिन दबंग शरणवीर और उसके पुत्रों ने जमीन पर कब्जा नहीं लेने दिया। जिसके बाद से ध्वनि व उसकी मां सोनिया लगातार Shamli के अधिकारियों से न्याय की गुहार लगा रहे हैं लेकिन नाबालिग लड़की की गुहार में न्याय न दिलाने में बीजेपी के जिला अध्यक्ष तेजेन्द्र निर्वाल और भट्ठा एसोसिएशन के अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी का नाम सामने आ रहा है। जिसके चलते शामली अधिकारी नाबालिक लड़की ध्वनि और उसकी मां को न्याय नहीं दे रहे हैं।
वही आज ध्वनि और उसकी माँ सोनिया ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे के साथ गुहार लगाई है उन्होंने कहा है कि बीजेपी के नेता बेटी को न्याय नहीं दिला पा रहे हैं वह शामली के सभी अधिकारियों पर दबाव बना रहे हैं। जिससे पीड़िता को न्याय नहीं मिल रहा है।
अब Shamli की नाबालिक लड़की ध्वनि और उसकी मां को केवल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी से ही न्याया की उम्मीद है। अगर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से भी उन्हें न्याय नहीं मिला तो उनके सामने मरने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा। उत्तर प्रदेश के Shamli जिले से सामने आया यह मामला न सिर्फ इंसानियत को शर्मसार करता है, बल्कि मौजूदा शासन व्यवस्था और समाज की संवेदनशीलता पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।
एक नाबालिग बेटी, जो अपने पिता को खो चुकी है, न्याय की उम्मीद में दर-दर भटक रही है। उसके चचेरे दादा द्वारा की गई निर्दयी हत्या और उसे लगातार मिल रही धमकियों के बीच सरकार और प्रशासन की चुप्पी, उसे और भी असहाय बना रही है। इस पूरे प्रकरण में Shamli से बीजेपी नेताओं की निष्क्रियता और ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसे नारे की असलियत सामने आती है। जिस शासन से इस बेटी को उम्मीद थी, वहीं शासन उसे सुरक्षा और न्याय नहीं दिला पा रहा है।