Muzaffarnagar में पंजाब सरकार के खिलाफ किसानों का बड़ा प्रदर्शन, क्या है पूरा मामला?
गौरव चौटाला (संवाददाता) : Muzaffarnagar में पंजाब सरकार द्वारा किसानों पर की गई कार्रवाई के खिलाफ भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने एक बड़ा विरोध प्रदर्शन किया। किसानों ने अपनी समस्याओं को लेकर कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया और राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन भेजकर पंजाब सरकार से किसान नेताओं की रिहाई की मांग की।
Muzaffarnagar में पंजाब सरकार के खिलाफ भाकियू का विरोध प्रदर्शन
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के जिलाध्यक्ष नवीन राठी ने प्रदर्शन के दौरान बताया कि पंजाब सरकार ने किसानों को दी जाने वाली सिंचाई के लिए बिजली आपूर्ति के समय को घटाकर 10 घंटे से 7 घंटे कर दिया है। इससे किसानों को भारी समस्या का सामना करना पड़ेगा। सिंचाई के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलने से फसल की स्थिति बिगड़ सकती है। इस मुद्दे को लेकर भाकियू ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा और सरकार से तत्काल इस फैसले को वापस लेने की मांग की।
Muzaffarnagar किसानों की बिजली आपूर्ति की समस्या और आंदोलन का कारण
नवीन राठी ने बताया कि पिछले कुछ समय से पंजाब सरकार और केंद्र सरकार मिलकर किसानों के जायज संघर्ष को दबाने की कोशिश कर रहे हैं। 5 मार्च से संयुक्त किसान मोर्चा ने चंडीगढ़ में सात दिवसीय धरने का आयोजन किया था, जिसे बिना किसी कारण के समाप्त कर दिया गया। साथ ही, 19 मार्च को केंद्र सरकार के मंत्रियों से बातचीत करके लौट रहे किसान नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। शंभू बॉर्डर पर किसानों का धरना तानाशाही तरीके से कुचल दिया गया।

भाकियू की मांग – पंजाब सरकार से किसान नेताओं की रिहाई
भाकियू के जिलाध्यक्ष नवीन राठी ने कहा कि अगर पंजाब सरकार ने जल्द ही किसान नेताओं को रिहा नहीं किया, तो वे बड़ा आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। किसानों ने मांग की है कि पंजाब सरकार किसानों के अधिकारों का सम्मान करे और उनके नेताओं को तत्काल रिहा करे। इसके साथ ही, उन्होंने सिंचाई के लिए दी जाने वाली बिजली की समय सीमा को 10 घंटे किया जाए, ताकि किसान अपनी फसल की अच्छी तरह से देखभाल कर सकें।
किसानों के संघर्ष का महत्व और उनकी ताकत
यह विरोध सिर्फ पंजाब सरकार की नीतियों के खिलाफ नहीं, बल्कि पूरे देश में किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए चल रहा है। भारतीय संविधान के अनुसार, किसानों को अपनी जायज मांगों के लिए संघर्ष करने का अधिकार है। भाकियू और अन्य किसान संगठन इस आंदोलन के माध्यम से यह संदेश दे रहे हैं कि अगर किसानों के अधिकारों का उल्लंघन किया जाएगा, तो वे अपने संघर्ष को तेज करेंगे।
Muzaffarnagar में पंजाब सरकार के खिलाफ किसानों का यह विरोध प्रदर्शन स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि किसानों की समस्याओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। भाकियू और अन्य किसान संगठन सरकार से अपनी जायज मांगों की स्वीकृति चाहते हैं। अगर उनकी मांगों पर तुरंत ध्यान नहीं दिया जाता, तो यह आंदोलन और भी तेज हो सकता है।
Muzaffarnagar में पंजाब सरकार के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन स्पष्ट रूप से इस बात को दर्शाता है कि किसान अपने अधिकारों के लिए दृढ़ता से खड़े हैं। भाकियू और अन्य किसान संगठनों ने सरकार के खिलाफ अपने आंदोलन को तेज किया है, खासकर उन मुद्दों को लेकर जो उनके दैनिक जीवन और फसल की देखभाल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। किसानों की मुख्य मांगें, जैसे बिजली आपूर्ति में कमी को दूर करना और किसानों के नेताओं की रिहाई, सरकार से तुरंत समाधान की अपेक्षाएं हैं।
Muzaffarnagar के इस विरोध प्रदर्शन ने यह भी दिखाया है कि भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) और अन्य किसान संगठन संविधान में दिए गए उनके अधिकारों के तहत संघर्ष करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। यदि उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तो यह आंदोलन और भी तेज़ हो सकता है। इससे यह स्पष्ट है कि सरकार के खिलाफ किसानों का संघर्ष केवल पंजाब तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह पूरे देश में किसानों के अधिकारों के लिए एक व्यापक आंदोलन का हिस्सा बन सकता है।
किसानों का यह संघर्ष न केवल उनकी जरूरतों को लेकर है, बल्कि यह लोकतंत्र में उनके अधिकारों के सम्मान की भी बात करता है। सरकार को किसानों की आवाज़ सुननी होगी और उनकी समस्याओं का समाधान करना होगा, ताकि किसान अपनी खेती और जीवनशैली में सुधार कर सकें।