Sambhal Violence: SP MP Ziaur Rehman Bark’s Alleged Role Exposed
Sambhal Violence का नया खुलासा: सांसद जियाउर्रहमान बर्क की भूमिका पर बड़ा आरोप
Sambhal Violence में नामजद आरोपी सांसद जियाउर्रहमान बर्क की मुश्किलें बढ़ गई हैं। जामा मस्जिद कमेटी के सदर जफर अली ने पुलिस को दिए बयान में दावा किया है कि सांसद ने उन्हें कोर्ट कमीशन को सर्वे करने से रोकने के लिए भीड़ एकत्र करने का निर्देश दिया था। इस घटना में पांच लोगों की जान गई और 29 पुलिस कर्मी घायल हो गए थे।
“संभल में हमारी कौम हमीं पर थूकेगी” – सांसद बर्क का विवादित बयान
पुलिस की केस डायरी में जफर अली ने बताया कि 23 नवंबर की रात सांसद से फोन पर बात हुई थी, जिसमें उन्होंने कहा था, “अगर मस्जिद का सर्वे होगा तो संभल में हमारी कौम हमीं पर थूकेगी।” इस बयान के बाद जामा मस्जिद के सदर जफर अली और अन्य लोगों ने सर्वे के खिलाफ भीड़ को जुटाया और हिंसा भड़क उठी।

जामा मस्जिद के सदर का बयान: सांसद पर गंभीर आरोप
जफर अली ने बताया कि जियाउर्रहमान बर्क ने कहा था कि सुबह सर्वे नहीं होने देना है। इसके बाद जफर अली और अन्य कमेटी के सदस्यों ने इस मामले की जिम्मेदारी ली। 24 नवंबर को जब कोर्ट कमीशन सर्वे के लिए मस्जिद पहुंचा, तो वहां भारी भीड़ इकट्ठी हो गई और हिंसा भड़क गई।
Sambhal Violence में जफर अली की गिरफ्तारी और सवालों का जवाब
जामा मस्जिद कमेटी के सदर जफर अली को 23 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस की पूछताछ के दौरान उन्हें सात सवालों का जवाब देना था, जिसमें से एक सवाल का उन्होंने जवाब नहीं दिया। पुलिस ने इस चुप्पी को केस डायरी में दर्ज किया है।
सांसद जियाउर्रहमान बर्क पर भड़काऊ बयान देने का आरोप
कोतवाल में दर्ज रिपोर्ट के मुताबिक, सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक इकबाल महमूद के बेटे सुहेल इकबाल पर भीड़ को भड़काने का आरोप है। जफर अली के बयान के बाद सांसद की मुश्किलें बढ़ गई हैं और पुलिस ने उन्हें नोटिस जारी किया है। 8 अप्रैल को सांसद से बयान दर्ज कराया जाएगा।

न्यायिक जांच आयोग ने सांसद और विधायक को बुलाया
संभल हिंसा मामले में न्यायिक जांच आयोग की जांच जारी है। शनिवार को सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक इकबाल महमूद के बेटे सुहेल इकबाल को बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया गया है। इसके लिए डीएम डॉ. राजेंद्र पैंसिया को पत्र भेजा गया है।
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संभल हिंसा में सांसद जियाउर्रहमान बर्क की भूमिका को लेकर किए गए खुलासे ने सियासी हलचल मचा दी है। जामा मस्जिद के सदर जफर अली के बयान से यह साबित होता है कि हिंसा की साजिश पूर्व-नियोजित थी और सांसद के विवादित बयानों ने हालात को और बिगाड़ा। इस हिंसा में कई लोगों की जान गई और कई पुलिसकर्मी घायल हुए, जिसके चलते पूरे उत्तर प्रदेश में इसके गंभीर परिणाम देखने को मिले। अब, इस मामले में न्यायिक जांच चल रही है और सांसद से बयान दर्ज करने के लिए बुलाया गया है। इन घटनाओं से यह साफ है कि चुनावी राजनीति और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के बीच, सियासतदानों की नीतियां पूरे समाज पर गहरा असर डाल सकती हैं। इसके अलावा, यह हिंसा समाज में सद्भाव और एकता को बिगाड़ने का कारण बन सकती है।
आखिरकार, इस मामले की जांच और न्यायिक प्रक्रिया से यह उम्मीद जताई जा रही है कि आरोपी सांसद और अन्य लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी, जिससे भविष्य में ऐसे विवादों की पुनरावृत्ति को रोका जा सके।