Shamli Me Parde Ke Piche Chal Rahi Avaidh Aara Machine
शामली (संवाददाता दीपक राठी) : उत्तर प्रदेश के जनपद शामली (Shamli) से एक गंभीर मामला सामने आया है, जहां वन विभाग की नाक के नीचे अवैध आरा मशीनें खुलेआम संचालित हो रही हैं। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो ने वन विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। वीडियो में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि कई आरा मशीनें पर्दों की आड़ में चल रही हैं और वहां प्रतिबंधित पेड़ों की लकड़ियां काटी जा रही हैं।

गढ़ी अब्दुल्ला में दर्जनभर अवैध मशीनें सक्रिय, वन विभाग की मिलीभगत के आरोप
शामली (Shamli) से मिली जानकारी के अनुसार, वायरल वीडियो गढ़ी पुख्ता थाना क्षेत्र के गांव गढ़ी अब्दुल्ला का बताया जा रहा है। बताया गया है कि इस क्षेत्र में केवल एक आरा मशीन वैध रूप से संचालित है, जबकि इसके अलावा करीब दर्जनभर अवैध आरा मशीनें पर्दों के पीछे धड़ल्ले से चल रही हैं।
स्थानीय सूत्रों का कहना है कि इन अवैध आरा मशीनों के संचालक वन विभाग के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से इस पूरे खेल को अंजाम दे रहे हैं। इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती, क्योंकि कथित तौर पर “सेटिंग-गेटिंग” के जरिए सब कुछ दबा दिया जाता है। ग्रामीणों के अनुसार, इन मशीनों पर रोजाना बड़ी मात्रा में प्रतिबंधित लकड़ियां — जैसे शीशम, नीम और आम के पेड़ — लाए जाते हैं।
इन्हीं लकड़ियों की अवैध कटाई के चलते क्षेत्र में लगातार पेड़ों की संख्या घट रही है और पर्यावरण को गंभीर नुकसान हो रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि पहले गांव के आस-पास हरियाली थी, लेकिन अब लगातार कटान से इलाके में सूखा और प्रदूषण बढ़ गया है।
राजस्व और पर्यावरण दोनों को हो रहा नुकसान, विभाग बना मूकदर्शक
शामली (Shamli) से सूत्रों के अनुसार, इन अवैध आरा मशीनों से रोजाना लाखों रुपये का कारोबार किया जा रहा है, लेकिन सरकार को इसका कोई राजस्व लाभ नहीं मिल रहा। उल्टा, प्रतिबंधित लकड़ी के इस अवैध व्यापार से राजस्व को भारी नुकसान हो रहा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि जब इतनी बड़ी संख्या में आरा मशीनें लगातार चल रही हैं, तो वन विभाग के अधिकारी कैसे अनजान रह सकते हैं? यह साफ तौर पर विभाग की लापरवाही या मिलीभगत का मामला है। ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग के अधिकारी शिकायत मिलने के बाद भी मौके पर नहीं पहुंचते, जिससे संचालक खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
शामली (Shamli) की वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि आरा मशीनों को पर्दों से ढककर अंदर भारी मात्रा में लकड़ी काटी जा रही है। प्रतिबंधित पेड़ों के तनों के ढेर कैमरे में कैद हुए हैं। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही लोगों ने वन विभाग की भूमिका पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है।
वहीं, कुछ स्थानीय लोगों ने बताया कि इन मशीनों के संचालकों में नईम, गुलजार, असलम, शराफत, अकरम, सलीम तेली, नसीम तेली, जयूर, सफीक, सोभान और बसाखत जैसे नाम सामने आए हैं, जो कथित तौर पर इस पूरे नेटवर्क का हिस्सा हैं।
डीएफओ ने टाली बात, कार्रवाई की बजाय फोन काटा
जब इस मामले में शामली (Shamli) के डीएफओ (डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर) से फोन पर संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि वे लखनऊ में मीटिंग में हैं और फिलहाल बात नहीं कर सकते। हैरानी की बात यह रही कि उन्होंने न तो वायरल वीडियो पर कोई प्रतिक्रिया दी और न ही यह जानने की कोशिश की कि मामला क्या है।
इस रवैये से साफ है कि विभाग इस मुद्दे पर कार्रवाई से बचना चाह रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर वन विभाग निष्पक्ष जांच करे तो यह पूरा रैकेट उजागर हो सकता है। ग्रामीणों ने मांग की है कि मुख्यमंत्री स्तर पर जांच कराई जाए ताकि दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो और पर्यावरण की रक्षा हो सके।
शामली (Shamli) में फिलहाल प्रशासनिक स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। लेकिन सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद लोगों का दबाव बढ़ रहा है कि शामली के गढ़ी अब्दुल्ला क्षेत्र में चल रहीं इन अवैध आरा मशीनों को तुरंत सील किया जाए और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।