Shamli Jile Ki Sugar Mills Par Kisaano Ka 63 cr. Bakaya
शामली संवाददाता (दीपक राठी) : शामली (Shamli) जिले में गन्ना किसानों की आर्थिक स्थिति लगातार प्रभावित हो रही है। ऊन और थानाभवन शुगर मिल पर किसानों का पिछले सीज़न का लगभग 63 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया है। भुगतान में देरी के कारण किसानों को बच्चों की शिक्षा, बिजली बिल, खेती के खर्चों तथा रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। किसान संगठनों ने इसे गंभीर मुद्दा बताते हुए शासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।

शुगर मिलों पर बड़ा बकाया: थानाभवन पर 52 करोड़, ऊन पर 11 करोड़
शामली (Shamli) गन्ना विभाग और किसान नेताओं ने पुष्टि की कि दोनों मिलों पर कुल बकाया राशि 63 करोड़ रुपये है। इसमें—
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थानाभवन शुगर मिल पर 52 करोड़ रुपये
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ऊन शुगर मिल पर 11 करोड़ रुपये
शामली (Shamli) जिले के थानाभवन व ऊन मिल प्रशासन ने भुगतान जल्द होने का दावा जरूर किया है, लेकिन किसानों के अनुसार हर बार उन्हें ‘जल्द भुगतान होगा’ का ही आश्वासन मिलता है, जबकि वास्तविक भुगतान महीने-दर-महीने लटकता जा रहा है।
शामली (Shamli) जिले के ऊन शुगर मिल के वरिष्ठ महाप्रबंधक (गन्ना) कुलदीप पिलानिया ने जानकारी देते हुए कहा कि ऊन शुगर मिल का 11 करोड़ रुपये का बकाया शीघ्र किसानों के खातों में भेज दिया जाएगा। वहीं थानाभवन शुगर मिल के अधिकारियों ने भी “शीघ्र भुगतान” का आश्वासन दिया है, हालांकि किसान इसे बार-बार की गई औपचारिक बयानबाजी बता रहे हैं।
किसानों की बढ़ी आर्थिक तंगी: बिल, फीस और खेती के खर्च पर पड़ा प्रभाव
शामली (Shamli) जिले में मिलों से भुगतान न मिलने के कारण क्षेत्र के हजारों किसान तनाव में हैं। गन्ना किसानों का कहना है कि वर्तमान परिस्थितियों में बिना भुगतान के घर की जरूरतें और खेत की तैयारी करना कठिन होता जा रहा है।
शामली (Shamli) जिले के ऊन निवासी किसान मास्टर जगमेर शर्मा ने बताया कि मिल पर उनका लगभग एक लाख रुपये का भुगतान बकाया है। इससे—
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बच्चों की स्कूल फीस
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घर का बिजली बिल
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दवाइयों और रोजमर्रा के खर्च
को पूरा करना भारी पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि हर सप्ताह मिल पर जाकर पता करना पड़ता है, लेकिन केवल आश्वासन ही मिलता है।
ऊन के ही किसान सोमपाल सिंह ने कहा कि गन्ना किसानों के लिए पिछला भुगतान ही अगली फसल की नींव होता है। भुगतान न मिलने से—
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खेती की अगली तैयारी प्रभावित
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खाद, बीज और सिंचाई का खर्च नहीं जुट पा रहा
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निजी जरूरतों में कटौती करनी पड़ रही है
किसानों ने प्रशासन से मांग की है कि मिलों को भुगतान की सख्त समयसीमा दी जाए और देरी पर दंडात्मक कार्यवाही की जाए।
गन्ना किसानों और प्रशासन के बीच संवाद की जरूरत
शामली (Shamli) जिले में गन्ना किसानों की संख्या बड़ी है और उनकी आर्थिक स्थिति काफी हद तक शुगर मिलों के भुगतान पर निर्भर रहती है। बड़ी मात्रा में बकाया राशि अटके होने से क्षेत्र की ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हो रही है।
किसान संगठन सरकार से यह मांग कर रहे हैं कि—
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बकाया भुगतान की तारीख तय की जाए
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बकाया भुगतान न करने वाली मिलों पर कठोर कार्यवाही हो
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भविष्य में भुगतान समय से करने के लिए कड़े मानक बनाए जाएं
प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई की बात कही जा रही है, लेकिन किसानों का कहना है कि समय पर पैसा ना मिले तो आर्थिक संकट और गहरा जाता है। ऐसे में किसानों की उम्मीदें शासन और मिल प्रबंधन से लगी हुई हैं।