WhatsApp Join WhatsApp Telegram Join Telegram

Mission 2027: भाजपा की चुनाव जीतने की तैयारी शुरू! जानें पूरी प्लानिंग

भाजपा की आंबेडकर रणनीति से Mission 2027

आंबेडकर जयंती को भाजपा बना रही राजनीतिक अवसर,विपक्ष के नैरेटिव को तोड़ने की तैयारी

लखनऊ:उत्तर प्रदेश में Mission 2027 की जबरदस्त तैयारी। विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने एक नई रणनीति के तहत डॉ. भीमराव आंबेडकर जयंती को राजनीतिक और सामाजिक दोनों ही मोर्चों पर साधने का प्रयास शुरू कर दिया है। पार्टी ने 13 दिनों तक चलने वाले विशेष कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की है, जिसका मुख्य उद्देश्य वंचित, दलित और अति पिछड़े वर्गों के बीच अपनी पकड़ मजबूत करना है।

इस आयोजन के केंद्र में बाबा साहेब आंबेडकर की विचारधारा को सम्मान देने के साथ-साथ विपक्ष के उस नैरेटिव को चुनौती देना है, जिसमें भाजपा पर आरक्षण समाप्त करने और संविधान बदलने का आरोप लगाया जाता है। भाजपा इन आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए वंचित वर्गों को यह समझाने में लगी है कि संविधान और सामाजिक न्याय को लेकर उसका दृष्टिकोण पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।

BJP’s Masterstroke! Ambedkar से Mission 2027 की तैयारी
Ambedkar के सहारे BJP की 2027 जीत की राह

Mission 2027 विपक्ष के नैरेटिव को तोड़ने की रणनीति

भाजपा ने आंबेडकर जयंती को केवल एक श्रद्धांजलि समारोह न मानते हुए इसे एक व्यापक सामाजिक अभियान में बदल दिया है। पार्टी की योजना के अनुसार, 15 से 25 अप्रैल तक भाजपा के कार्यकर्ता दलित और अति पिछड़ी बस्तियों में जाकर जनसंपर्क करेंगे। वे लोगों को यह बताएंगे कि कैसे मोदी और योगी सरकार ने दलितों और पिछड़ों के उत्थान के लिए काम किया है।

साथ ही, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी पर यह आरोप भी लगाए जाएंगे कि इन्होंने दशकों तक दलितों को केवल वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया है और वास्तव में उनके हितों के लिए कोई ठोस काम नहीं किया। भाजपा इन बस्तियों में आरक्षण और संविधान के मुद्दे पर जन जागरूकता फैलाकर विपक्ष के पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फार्मूले को कमजोर करने की कोशिश कर रही है।

2024 लोकसभा चुनाव से सबक

2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को उत्तर प्रदेश में अपेक्षित सफलता नहीं मिली। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इसका एक प्रमुख कारण विपक्ष की ओर से पेश किया गया पीडीए फार्मूला था, जिसने वंचित वर्गों को एकजुट कर भाजपा को नुकसान पहुंचाया। इस नुकसान से सबक लेते हुए भाजपा अब जमीनी स्तर पर अपने संपर्क को और अधिक प्रभावी बना रही है।

भाजपा के प्रदेश महामंत्री (संगठन) धर्मपाल सिंह इस रणनीति के प्रमुख चेहरे हैं। वे लगातार दलितों, पिछड़ों और वंचितों के बीच जाकर संवाद कर रहे हैं। उनकी कोशिश है कि भाजपा की विचारधारा और योजनाएं सीधे इन वर्गों तक पहुंचें और उनके मन में पार्टी को लेकर कोई भ्रम न रहे।

भाजपा की आंबेडकर रणनीति से Mission 2027
आंबेडकर जयंती के जरिए BJP की दलितों तक पहुंच

भाजपा के कार्यक्रमों की झलक:

  • 13 दिन तक आंबेडकर जयंती समारोह

  • दलित बस्तियों में संपर्क अभियान

  • आंबेडकर की प्रतिमाओं पर स्वच्छता अभियान और दीप प्रज्वलन

  • मैराथन और जागरूकता रैली

सांस्कृतिक और सामाजिक आयोजनों के जरिए संवाद

13 दिन तक चलने वाले इस कार्यक्रम के तहत भाजपा ने मैराथन, स्वच्छता अभियान, दीप प्रज्वलन और सांस्कृतिक सभाओं जैसी गतिविधियों का आयोजन किया है। बाबा साहेब के आदर्शों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए भाजपा ने पूरे प्रदेश में उनकी प्रतिमाओं की सफाई कर उन्हें सम्मानित किया।

जयंती की पूर्व संध्या पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने पूरे उत्तर प्रदेश में आंबेडकर प्रतिमाओं के समक्ष दीप जलाए और उनके विचारों पर चर्चा की। मैराथन जैसे आयोजनों में दलित और पिछड़े वर्ग के युवा बड़ी संख्या में शामिल हुए, जिससे भाजपा का यह प्रयास केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने वाला भी दिखाई दे रहा है।

2024 लोकसभा में हुआ नुकसान, अब नए तरीके

2024 के लोकसभा चुनाव में पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फार्मूले से हुए नुकसान को देखते हुए भाजपा ने दलित और वंचितों के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति बनाई है।

बसपा के वोट बैंक पर नजर

उत्तर प्रदेश की राजनीति में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) लंबे समय से दलित वोट बैंक का केंद्र रही है। लेकिन पार्टी की वर्तमान स्थिति को देखते हुए भाजपा को लगता है कि बसपा का परंपरागत वोट बैंक अब राजनीतिक रूप से अनिश्चित है। भाजपा इसी अवसर का लाभ उठाकर इन मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की रणनीति पर काम कर रही है।

भाजपा यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि आज दलितों और अति पिछड़ों के लिए सबसे ज्यादा काम करने वाली पार्टी वही है। सरकारी योजनाओं, नौकरियों, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए गए कामों को सामने लाकर पार्टी इन वर्गों में अपनी स्वीकार्यता बढ़ाना चाहती है।

2027 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने सामाजिक न्याय और समरसता की एक नई लकीर खींचने की कोशिश की है। बाबा साहेब आंबेडकर की जयंती के बहाने पार्टी वंचित वर्गों से नजदीकी बढ़ाकर न केवल विपक्ष के नैरेटिव को तोड़ना चाहती है, बल्कि एक नए सामाजिक समीकरण को भी जन्म देना चाहती है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा की यह रणनीति आने वाले चुनावों में कितना असर दिखा पाती है।

यह भी पढ़ें:  Jayant Chaudhary के नेतृत्व में RLD का ‘सक्रिय सदस्यता अभियान’ शुरू

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top