Aatankwad Ka Putla Fukte Gathwala Khap Ke Log (Shamli)
शामली (Shamli) संवाददाता (दीपक राठी) : देश की राजधानी दिल्ली में हुए धमाकों में करीब एक दर्जन लोगों की मौत से देशभर में गुस्से की लहर है। इसी कड़ी में बुधवार को शामली (Shamli) जिले में गठवाला खाप ने भी घटना के खिलाफ तीखा विरोध प्रदर्शन किया।
गठवाला खाप के चौधरी बाबा राजेंद्र मलिक के नेतृत्व में खाप से जुड़े दर्जनों लोग शहर कोतवाली के मुख्य गेट पर पहुंचे और आतंकवाद का पुतला दहन कर सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग की। इस दौरान मौके पर भारी संख्या में लोग मौजूद रहे जिन्होंने आतंकवाद विरोधी नारे लगाए।

गठवाला खाप का बयान — “ऐसे लोगों को बीच चौराहे पर गोली मारनी चाहिए”
शामली (Shamli) से गठवाला खाप के चौधरी बाबा राजेंद्र मलिक ने कहा कि दिल्ली ब्लास्ट एक हृदयविदारक घटना है, जिसमें निर्दोष नागरिकों ने अपनी जान गंवाई। उन्होंने कहा,
“जो लोग ऐसे जघन्य अपराध करते हैं, वे इंसानियत के दुश्मन हैं। ऐसे लोगों को बीच चौराहे पर लाकर गोली मार देनी चाहिए, ताकि भविष्य में कोई इस तरह की घटना करने की हिम्मत न करे।”
उन्होंने आगे कहा कि यह घटना खुफिया एजेंसियों की बड़ी नाकामी को उजागर करती है। अगर समय रहते अलर्ट जारी किया गया होता तो शायद इस तरह की त्रासदी नहीं होती। बाबा राजेंद्र मलिक ने सरकार से मांग की कि देशभर में आतंकवादियों और उनके समर्थकों पर सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
कोतवाली गेट पर प्रदर्शन, आतंकवाद का पुतला जलाया
शामली (Shamli) से वीडियो फुटेज के मुताबिक, बुधवार को गठवाला खाप से जुड़े लोग हाथों में पुतला और बैनर लेकर नारेबाजी करते हुए शहर कोतवाली गेट तक पहुंचे।
यहां उन्होंने “आतंकवाद मुर्दाबाद” और “देश के गद्दारों को सज़ा दो” जैसे नारे लगाए।
इसके बाद आतंकवाद का पुतला जलाया गया और सरकार से मांग की गई कि दिल्ली ब्लास्ट के सभी आरोपियों को जल्द से जल्द सज़ा दी जाए।
शामली (Shamli) से गठवाला खाप के लोगों ने कहा कि देश के निर्दोष नागरिकों की हत्या किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं की जा सकती।
उन्होंने कहा कि इस प्रदर्शन का उद्देश्य आतंकवाद के खिलाफ जनभावना को व्यक्त करना और सरकार को कड़ा संदेश देना है कि जनता अब और चुप नहीं बैठेगी।
कानूनी नजरिया — हिंसक भाषा पर उठे सवाल
हालांकि शामली (Shamli) में खाप चौधरी द्वारा दिया गया बयान — “बीच चौराहे पर गोली मार दो” — सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है।
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि किसी अपराध के प्रति आक्रोश जताना स्वाभाविक है, लेकिन सार्वजनिक रूप से हिंसा का आह्वान करना कानून के दायरे से बाहर है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 505 और 153 के तहत इस तरह के बयान उकसावे या शांति भंग करने की श्रेणी में आ सकते हैं।
कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह जरूरी है कि न्यायिक प्रक्रिया का पालन किया जाए और दोषियों को अदालत में सबूतों के आधार पर सज़ा दी जाए।
भीड़ द्वारा न्याय या सार्वजनिक दंड की मांग लोकतांत्रिक सिद्धांतों के विरुद्ध है।
प्रशासनिक रुख — शांति बनाए रखने की अपील
शामली (Shamli) पुलिस प्रशासन ने बताया कि पुतला दहन कार्यक्रम शांतिपूर्ण रहा और किसी प्रकार की अव्यवस्था नहीं हुई।
हालांकि प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि किसी भी प्रकार के भड़काऊ बयान या हिंसा की अपील से बचें।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “देश की सुरक्षा एजेंसियां अपना काम कर रही हैं। नागरिकों को न्यायिक प्रक्रिया पर भरोसा रखना चाहिए।”
शामली (Shamli) पुलिस ने यह भी कहा कि दिल्ली ब्लास्ट मामले में जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) कर रही है और किसी भी व्यक्ति को कानून अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं है।
जनाक्रोश और कानून के बीच संतुलन की जरूरत
दिल्ली ब्लास्ट जैसी घटनाएं पूरे देश को झकझोर देती हैं, और जनभावनाओं में आक्रोश स्वाभाविक है।
लेकिन शामली (Shamli) में गठवाला खाप का यह विरोध प्रदर्शन इस सवाल को भी खड़ा करता है कि क्या आक्रोश व्यक्त करने की सीमाएं तय होनी चाहिए?
जहां एक ओर जनता और संगठन देश में शांति और आतंकवाद-निरोधी कदमों की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर यह भी आवश्यक है कि हर विरोध संवैधानिक और शांतिपूर्ण दायरे में रहे।
सरकार और एजेंसियों को जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ ऐसे बयानों पर भी नजर रखनी होगी जो सामाजिक सौहार्द को प्रभावित कर सकते हैं।