Jaan Jokhim Daal Ke Ganga Nadi Paar Karte Log (Bijnor)
बिजनौर (संवाददाता महेंद्र सिंह) : बिजनौर (Bijnor) के राजा रामपुर इलाके की हकीकत किसी भी आधुनिक विकास मॉडल को चुनौती देती है। यहाँ आज भी लगभग 20 गांवों के हजारों लोग रोजाना अपनी जान जोखिम में डालकर गंगा नदी पार करते हैं। दशकों से ग्रामीण लकड़ी की नाव पर ट्रैक्टर-ट्रॉली चढ़ाकर उफनती गंगा को पार करने को मजबूर हैं, क्योंकि यहाँ आज तक कोई स्थायी पुल नहीं बनाया गया।
यह समस्या नई नहीं है—नेता चुनावों में बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन हर चुनाव के बाद यहाँ के लोग फिर उसी बदहाल जिंदगी में लौट आते हैं। विकास के नाम पर सिर्फ भाषण मिलते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर हालात जस के तस हैं।

गंगा की धारा पर मौत से जंग—नाव डगमगाती, ट्रैक्टर झूलता और दिल दहला देने वाले पल
बिजनौर (Bijnor) जिले के राजा रामपुर क्षेत्र में सुबह का समय हो या शाम… किसान हों, महिलाएं हों या स्कूली बच्चे—हर किसी की जिंदगी इसी खतरनाक सफर पर टिकी है।
गंगा की तेज धारा के बीच एक छोटी लकड़ी की नाव… उस पर चढ़ाई जाती है भारी ट्रैक्टर-ट्रॉली, और फिर शुरू होता है मौत को मात देने वाला सफर।
खेतों की बोआई… खाद… फसल कटाई… सब कुछ इस नाव के भरोसे। ग्रामीण बताते हैं:
“हम मजबूरी में ऐसा करते हैं। हमारे पास दूसरा कोई रास्ता ही नहीं है। रोज मौत को देखकर पार करना पड़ता है।”
बारिश में खतरा कई गुना बढ़ जाता है
बरसात के मौसम में नाव पलटने का डर हमेशा बना रहता है। बिजनौर (Bijnor) में कई बार हादसे हुए हैं, कई लोग गंगा में बह चुके हैं।
एक बार तो नाव पलटने से 10 लोगों की मौत भी हो गई थी। लेकिन उसके बाद भी कोई ठोस समाधान नहीं निकला।
दशकों पुरानी मांग—लेकिन हर चुनाव के बाद सपना अधूरा रह जाता है
बिजनौर (Bijnor) जिले के ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने पुल की मांग न जाने कितनी बार उठाई है—
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गाँवों में सदर विधायक आए,
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सांसद आए,
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मंत्री आए,
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वोट मांगे गए,
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वादे किए गए,
लेकिन गंगा नदी के ऊपर पुल सिर्फ कागजों और भाषणों में ही बन पाया—जमीन पर नहीं।
एक ग्रामीण ने बताया:
“नेता चुनाव में आते हैं, मंदिर में कसम खाते हैं कि पुल जरूर बनवाएँगे… लेकिन जीतते ही हमें भूल जाते हैं। फिर पाँच साल बीत जाते हैं।”
ग्रामीणों की आवाज—“हम रोज मौत का सामना करते हैं, हमें सिर्फ एक पुल चाहिए”
बिजनौर (Bijnor) जिले के लगभग 20 गांवों के लोगों की यह समस्या अब असहनीय हो चुकी है।
ग्रामीणों की एक ही मांग है—
“स्थायी पुल बनवाया जाए—ताकि हमारी जान खतरे में न पड़े।”
किसानों का कहना है:
“हम खेतों में काम करने जाते हैं तो डर लगता है कि कहीं वापस लौट भी पाएँगे या नहीं। दो जून की रोटी के लिए हमें जान पर खेलना पड़ता है।”
क्या कोई सुनेगा? या फिर अगला चुनाव आने तक लोग यूँ ही मौत के साए में जीते रहेंगे?
बिजनौर (Bijnor) जिले के 20 गांवों की यह पुकार आज फिर गूंज रही है—और यह सवाल भी:
क्या सरकार जागेगी?
क्या पुल बनेगा?
क्या इन गांवों के लोग सुरक्षित जीवन जी पाएँगे?
या फिर अगला चुनाव आएगा… नेता आएँगे… वादे होंगे…
और लोग फिर से अपनी किस्मत पर छोड़ दिए जाएँगे।
फिलहाल, यहाँ की जिंदगी का हर दिन एक संघर्ष है—
और हर नदी पार करना मौत को मात देने जैसा।