एक छोटी सी गलती और चली गई जान! कबड्डी प्लेयर ब्रजेश की कहानी सबको झकझोर देगी
हिना खान (संवाददाता) बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश: Bulandshahr में जिंदगी और मौत के बीच जूझते हुए स्टेट लेवल कबड्डी खिलाड़ी ब्रजेश सोलंकी आखिरकार जिंदगी की जंग हार गए। करीब एक महीने पहले एक मासूम से कुत्ते के पिल्ले की जान बचाने की कोशिश करते समय पिल्ले ने ही उन्हें काट लिया था। अफसोस की बात यह रही कि ब्रजेश ने इसे सामान्य घाव समझकर नजरअंदाज कर दिया और एंटी रेबीज वैक्सीन नहीं लगवाई।
ब्रजेश सोलंकी बुलंदशहर जिले के खुर्जा नगर कोतवाली क्षेत्र के गांव फराना के रहने वाले थे। महज 22 साल की उम्र में उन्होंने कबड्डी के क्षेत्र में प्रदेश स्तर पर अपनी पहचान बनाई थी। गांव और जिले में वे एक प्रेरणास्रोत माने जाते थे। मगर एक छोटी सी लापरवाही उनकी जान ले गई।

कैसे हुआ हादसा?
करीब एक माह पहले की बात है, जब ब्रजेश अपने गांव में थे। तभी उन्होंने देखा कि एक छोटा कुत्ते का पिल्ला सड़क किनारे घायल अवस्था में पड़ा है। मानवीयता दिखाते हुए उन्होंने पिल्ले को उठाकर सुरक्षित स्थान पर ले जाने की कोशिश की। इसी दौरान पिल्ला डर गया और उसने ब्रजेश को हाथ पर काट लिया।
ब्रजेश ने इसे मामूली खरोंच समझा। परिजनों ने एंटी रेबीज टीका लगवाने की सलाह दी, लेकिन उन्होंने इसे टाल दिया और घरेलू इलाज से काम चलाने लगे। समय बीतता गया और धीरे-धीरे उनके शरीर में रेबीज के लक्षण दिखाई देने लगे – बेचैनी, नींद न आना, पानी से डर लगना, चिड़चिड़ापन और मांसपेशियों में खिंचाव जैसी समस्याएं शुरू हो गईं।
अस्पताल में मौत से पहले रिकॉर्ड किया आखिरी वीडियो
मौत से पहले ब्रजेश सोलंकी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वह अस्पताल के बेड पर लेटे हुए हैं। वीडियो में ब्रजेश बेहद कमजोर और डरे हुए नजर आ रहे हैं। उन्होंने कांपती आवाज में कहा:
“मैंने उस दिन सिर्फ एक मासूम जानवर की मदद करनी चाही थी। सोचा था इंसानियत निभा रहा हूं, पर उसी दिन मेरी जिंदगी की उलटी गिनती शुरू हो गई थी। मैंने अगर वैक्सीन लगवा ली होती, तो शायद आज जिंदा होता। आप सबसे मेरी गुजारिश है कि कभी ऐसी गलती मत करना।”
इस वीडियो ने पूरे क्षेत्र में भावनाओं का तूफान ला दिया है। लोग ब्रजेश की मौत पर दुख तो जता ही रहे हैं, साथ ही यह भी कह रहे हैं कि ऐसी जानकारियों का अभाव युवाओं की जान ले रहा है।
परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल
ब्रजेश सोलंकी के पिता, श्री रमेश सोलंकी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “हमने बहुत कहा था कि बेटा टीका लगवा ले, लेकिन उसने मना कर दिया। हमें नहीं पता था कि यह फैसला इतना बड़ा नुकसान दे जाएगा।” गांववालों ने बताया कि ब्रजेश बेहद समझदार और संवेदनशील युवक था, लेकिन उसे इस बीमारी की गंभीरता का सही अंदाजा नहीं था।
रेबीज और सावधानी की जरूरत
रेबीज एक जानलेवा वायरस जनित बीमारी है, जो संक्रमित जानवरों के काटने से फैलती है। इसका इलाज तभी संभव है जब शुरू में ही एंटी रेबीज वैक्सीन लगवा लिया जाए। एक बार लक्षण शुरू हो जाएं, तो इसका कोई इलाज नहीं होता।
डॉक्टरों की राय में किसी भी जानवर के काटने या खरोंचने के बाद तुरंत साफ पानी से घाव को धोकर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर एंटी रेबीज के टीके लगवाना जरूरी है।
ब्रजेश की मौत से सबक
ब्रजेश सोलंकी की मौत केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है। एक पढ़ा-लिखा और जागरूक युवा, जो राज्य स्तर पर अपने जिले का नाम रोशन कर रहा था, वह भी इस लापरवाही का शिकार हो गया। इससे यह साबित होता है कि अभी भी हमारे समाज में रेबीज और टीकाकरण को लेकर जागरूकता की भारी कमी है।
ब्रजेश की मौत एक करुण घटना है, लेकिन अगर हम इससे सबक लें, तो कई जिंदगियां बच सकती हैं। जानवरों से प्रेम और दया जरूरी है, लेकिन अपनी सुरक्षा से समझौता करना नहीं। यदि किसी भी प्रकार से कुत्ता, बिल्ली या बंदर आदि काट ले तो तुरंत टीका लगवाएं, क्योंकि जिंदगी से बड़ा कुछ नहीं।