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बुलंदशहर में Farmers की प्रमुख मांगें: गन्ने के बकाए का भुगतान

Bulandshahr Farmers Protest - Circle Rate and Cane Dues Demand

बुलंदशहर में भारतीय किसान यूनियन टिकैत का धरना: Farmers की मांगों को लेकर बड़ा प्रदर्शन

हीना खान (संवाददाता): उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में भारतीय किसान यूनियन टिकैत के जिला अध्यक्ष चौधरी अरव सिंह के नेतृत्व में सैकड़ों किसान कलेक्ट्रेट गेट के पास धरने पर बैठे हैं। इस आंदोलन का उद्देश्य Farmers के अधिकारों की रक्षा करना है। Farmers ने अपनी प्रमुख मांगों में ज़मीन का सर्किल रेट बढ़ाने, चकबंदी में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने और बृजनाथपुर शुगर मिल से किसानों के 140 करोड़ रुपये के गन्ने के बकाए का भुगतान करने की मांग की है।

चकबंदी में भ्रष्टाचार और Farmers की कठिनाइयाँ

चौधरी अरव सिंह ने बताया कि चकबंदी प्रक्रिया में भ्रष्टाचार हो रहा है, और इससे Farmers को बहुत नुकसान हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर प्रशासन ने इस पर कार्रवाई नहीं की तो आंदोलन और तेज़ होगा। किसानों की एक और बड़ी मांग है कि बृजनाथपुर शुगर मिल द्वारा उनका बकाया भुगतान किया जाए, जिससे किसानों को वित्तीय संकट से राहत मिल सके।

अनिश्चितकालीन धरने की चेतावनी: क्या प्रशासन करेगा सुनवाई?

किसान नेताओं ने स्पष्ट किया है कि अगर जिला प्रशासन उनकी मांगों का समाधान नहीं करता, तो उनका धरना अनिश्चितकालीन रूप से चलता रहेगा। Farmers का यह धरना प्रशासन पर दबाव डालने का एक मजबूत तरीका बन गया है। अगर प्रशासन उनकी मांगों को नजरअंदाज करता है, तो यह आंदोलन और उग्र हो सकता है।

 Farmers protest in Bulandshahr,
Farmers protest in Bulandshahr, increasing pressure on the administration.

प्रशासन को दी गई चेतावनी: अगर नहीं मानी मांगें, तो धरना जारी रहेगा

भारतीय किसान यूनियन टिकैत के कार्यकर्ताओं ने स्पष्ट किया कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की जातीं, तो उनका धरना अनिश्चितकाल तक जारी रहेगा। उनका कहना है कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक प्रशासन उनकी समस्याओं का समाधान नहीं करता। इस धरने ने प्रशासन पर दबाव डालने के लिए Farmers का एक नया तरीका दिखाया है।

बुलंदशहर में भारतीय किसान यूनियन टिकैत द्वारा आयोजित धरना Farmers के अधिकारों और समस्याओं को लेकर एक महत्वपूर्ण संदेश देता है। किसानों की प्रमुख मांगें, जैसे सर्किल रेट में वृद्धि, गन्ने के बकाए का भुगतान और चकबंदी में भ्रष्टाचार पर कार्रवाई, उनके संघर्ष को और अधिक महत्वपूर्ण बनाती हैं।

वही अगर प्रशासन इन मांगों पर कार्रवाई नहीं करता है, तो किसान अपनी आवाज़ को और भी मजबूती से उठाने का संकल्प कर चुके हैं। Farmers का यह धरना प्रशासन पर एक स्पष्ट दबाव डालने का प्रयास है, और यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं होता।

बता दे कि इस आंदोलन ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि भारतीय किसान अपने हक के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं, और उनके संघर्ष की अनदेखी करना आसान नहीं है। अब यह प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि वह किसानों के मुद्दों पर शीघ्र ध्यान दे और उनके समाधान के लिए कदम उठाए।

अन्यथा, यह आंदोलन और भी उग्र हो सकता है, जिससे प्रशासन को गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ सकता है।

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