Sonta Rasulpur Me Kisaano Ki Panchayat (Shamli)
शामली संवाददाता (दीपक राठी) : गन्ना भुगतान में लगातार हो रही देरी और किसानों की समस्याओं की अनदेखी को लेकर भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के कार्यकर्ता फिर से आंदोलन के मूड में हैं। शुक्रवार को जनपद शामली (Shamli) के सोंता रसूलपुर गांव में आयोजित पंचायत में किसानों ने सरकार और मिल प्रशासन के खिलाफ जमकर नाराजगी जताई। पंचायत में निर्णय लिया गया कि यदि जल्द किसानों के मुद्दों का समाधान नहीं हुआ तो 11 नवंबर को शामली (Shamli) ऊर्जा निगम के अधीक्षण अभियंता कार्यालय पर धरना-प्रदर्शन किया जाएगा।
भाकियू (टिकैत) के प्रदेश संगठन मंत्री जाहिद ने कहा कि जिले की ऊन और थानाभवन चीनी मिलों पर किसानों का पिछले साल का 80 करोड़ रुपये से अधिक भुगतान बकाया है। किसानों ने कई बार प्रशासन और मिल प्रबंधन को ज्ञापन सौंपे, धरने दिए, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

भुगतान में देरी और स्मार्ट मीटर से बढ़ा किसानों का गुस्सा
शामली (Shamli) से भाकियू (टिकैत) के प्रदेश संगठन मंत्री जाहिद ने कहा कि सरकार किसानों की मेहनत का मजाक बना रही है। “किसान रात-दिन खेतों में मेहनत करता है, लेकिन उसका गन्ना भुगतान महीनों तक लटकाया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ, बिजली विभाग स्मार्ट मीटर लगाकर किसानों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डाल रहा है।”
शामली (Shamli) से उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के खेतों में बेसहारा पशुओं से फसलें तबाह हो रही हैं। कई बार शिकायत के बावजूद प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि गन्ना भुगतान, स्मार्ट मीटर और बेसहारा पशुओं की समस्या का हल नहीं हुआ, तो किसान सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे।
हरियाणा बॉर्डर पर रुका धान, किसानों को दोहरी मार
शामली (Shamli) के किसानों ने यह भी आरोप लगाया कि हरियाणा की मंडियों में धान नहीं जाने दिया जा रहा, जबकि शामली जनपद में खरीद की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। इस कारण किसान अपनी उपज बेचने को लेकर परेशान हैं।
शामली (Shamli) के सोंटा रसूलपुर पंचायत में किसानों ने कहा कि हरियाणा सरकार की रोक के चलते सैकड़ों ट्रॉली धान से लदी बॉर्डर पर खड़ी हैं। वहीं, उत्तर प्रदेश में सरकारी खरीद केंद्र पूरी तरह निष्क्रिय पड़े हैं। किसानों ने मांग की कि धान को हरियाणा मंडियों में भेजने की अनुमति दी जाए ताकि फसल खराब होने से बच सके।
उन्होंने कहा कि सरकार एक तरफ किसानों की आय दोगुनी करने की बात करती है, जबकि दूसरी तरफ उनकी उपज की खरीद तक सुनिश्चित नहीं कर पा रही। पंचायत में किसानों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि 11 नवंबर को ऊर्जा निगम कार्यालय पर विशाल धरना दिया जाएगा।
भाकियू प्रगति ने भी उठाई आवाज, कहा — सरकार ध्यान दे वरना होगा बड़ा आंदोलन
इधर, भाकियू प्रगति ने भी किसानों की समस्याओं को लेकर सरकार को घेरा। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी अमित मलिक की अध्यक्षता में शहर के एक होटल में बैठक आयोजित हुई, जिसमें बॉर्डर पर खड़े धान के सैकड़ों वाहनों की स्थिति पर चर्चा की गई।
चौधरी अमित मलिक ने कहा कि सरकार की लापरवाही के कारण किसान सड़कों पर धान से लदी ट्रॉलियां लेकर खड़े हैं। “अगर सरकार ने किसानों की मांगों पर जल्द ध्यान नहीं दिया तो भाकियू प्रगति बड़ा आंदोलन करने को मजबूर होगी।”
बैठक में प्रदेश अध्यक्ष (महिला विंग) संगीता चौहान, प्रदेश अध्यक्ष जादूनाथ, चंद्रजीत यादव, मोहित सिंह समेत कई किसान नेता मौजूद रहे।
11 नवंबर को होगा निर्णायक प्रदर्शन
शामली (Shamli) की सोंटा रसूलपुर पंचायत में तय किया गया कि 11 नवंबर को किसान ऊर्जा निगम के अधीक्षण अभियंता कार्यालय पर धरना देंगे। भाकियू नेताओं ने कहा कि यह धरना सिर्फ गन्ना भुगतान का नहीं, बल्कि किसानों की संपूर्ण समस्याओं — बिजली, फसल नुकसान और धान खरीद — के समाधान की लड़ाई होगी।
उन्होंने कहा कि यदि तब भी सरकार ने कार्रवाई नहीं की तो आंदोलन को प्रदेश स्तर पर विस्तारित किया जाएगा। फिलहाल प्रशासन ने किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए सतर्कता बढ़ा दी है।