Bachho Ko Bhuse Ki Tarah Thus Kar Le Jaati Eco Van (Kasganj)
कासगंज (संवाददाता जयचंद्र) : जनपद कासगंज (Kasganj) के सिढ़पुरा नगर में शिक्षा व्यवस्था के नाम पर नन्हे बच्चों की सुरक्षा के साथ खुलेआम खिलवाड़ किया जा रहा है। नगर के कई निजी स्कूलों की इको गाड़ियों (Eeco Vans) में छोटे-छोटे बच्चों को रोजाना भूसे की तरह ठूंसकर स्कूल ले जाया और लाया जा रहा है। हर दिन इन गाड़ियों में 25 से 30 बच्चों तक को एक साथ बैठा दिया जाता है, जो किसी भी वक्त बड़े हादसे की वजह बन सकता है।
चौंकाने वाली बात यह है कि ये सभी वाहन एलपीजी गैस पर चलते हैं — जबकि नियमों के अनुसार स्कूल वैनों में गैस किट का उपयोग कठोर रूप से प्रतिबंधित है। इसके बावजूद प्रशासन और परिवहन विभाग की आंखें इस गंभीर लापरवाही पर बंद हैं।

भूसे की तरह ठूंसे जाते बच्चे, सुरक्षा मानकों की उड़ रही धज्जियां
कासगंज (Kasganj) जिले के स्थानीय लोगों ने बताया कि सिढ़पुरा नगर समेत आसपास के क्षेत्रों — पटियाली मार्ग, एटा मार्ग, गंजडुंडवारा मार्ग, करतला मार्ग और धुमरी मार्ग तक — निजी स्कूलों की इको गाड़ियां बच्चों को लेकर रोजाना सड़कों पर दौड़ती हैं।
इन गाड़ियों में बच्चों को इस कदर ठूंस दिया जाता है कि कई बार एक-दूसरे की गोद में या फर्श पर बैठना पड़ता है।
एक अभिभावक ने बताया, “हर सुबह ये वैनें इतनी भरी होती हैं कि दरवाजे तक ठीक से बंद नहीं होते। बच्चों को सांस लेने की भी जगह नहीं मिलती। अगर जरा सी ब्रेक लगी या वैन पलटी तो बड़ा हादसा हो सकता है।”
इतनी गंभीर लापरवाही के बावजूद न तो स्कूल प्रबंधन और न ही परिवहन विभाग इस स्थिति पर कोई ध्यान दे रहा है। स्कूल प्रशासन का तर्क है कि बच्चों की संख्या अधिक है और वाहन सीमित, इसलिए मजबूरी में एक गाड़ी में ज्यादा बच्चों को बैठाना पड़ता है।
एलपीजी गैस से चल रही हैं कई गाड़ियां, खतरा दोगुना
कासगंज (Kasganj) के इन स्कूल वैनों में से अधिकतर गाड़ियां एलपीजी गैस सिस्टम पर चल रही हैं। यह सबसे बड़ा खतरा है, क्योंकि स्कूल वैनों में गैस सिलेंडर लगाना न केवल नियमों का उल्लंघन है बल्कि बच्चों की जान से खिलवाड़ भी है।
परिवहन विशेषज्ञों के अनुसार, एलपीजी गैस लीक या ओवरहीटिंग की स्थिति में वैन में बैठे बच्चों की सुरक्षा असंभव हो जाती है। कई बार पुराने सिलेंडरों या गलत फिटिंग के कारण विस्फोट जैसी घटनाएं हो चुकी हैं।
यातायात माह (Traffic Awareness Month) के दौरान जब पुलिस और परिवहन विभाग को विशेष रूप से सड़क सुरक्षा और वाहन फिटनेस जांच करनी चाहिए, उस समय भी यह लापरवाही चिंता का विषय है।
प्रशासन और परिवहन विभाग पर उठे सवाल
कासगंज (Kasganj) के स्थानीय नागरिकों का कहना है कि परिवहन विभाग और पुलिस प्रशासन को इस पूरे प्रकरण की जांच कर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
फिलहाल न तो किसी गाड़ी की फिटनेस रिपोर्ट देखी गई है और न ही बच्चों की संख्या या सुरक्षा मानक की जांच की गई है।
नागरिकों ने जिलाधिकारीकासगंज (Kasganj) से मांग की है कि सभी स्कूल वैनों का रजिस्ट्रेशन, परमिट, सीट क्षमता, ईंधन प्रणाली और चालकों के लाइसेंस की जांच की जाए।
साथ ही जिन स्कूलों के वाहन नियमों का उल्लंघन करते पाए जाएं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में इस तरह की लापरवाही पर रोक लग सके।
अभिभावकों में चिंता, हर दिन बच्चों की सुरक्षा पर खतरा
कई अभिभावकों ने बताया कि उन्हें हर सुबह बच्चों को वैन में भेजते समय डर लगता है। एक मां ने कहा, “हम बच्चों को स्कूल भेजते हैं ताकि वे पढ़ें, लेकिन इस तरह की लापरवाही से लगता है कि कहीं कोई हादसा न हो जाए।”
वहीं, कुछ कासगंज (Kasganj) स्कूल प्रबंधन का कहना है कि वे ड्राइवरों को बार-बार निर्देश देते हैं कि बच्चों को सीमा से अधिक न बैठाया जाए, लेकिन ड्राइवर अपनी सुविधा के अनुसार चलते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक प्रशासनिक सख्ती नहीं होगी, तब तक इस तरह के खतरे बने रहेंगे।
प्रशासनिक उदासीनता से बढ़ रहा जोखिम
कासगंज (Kasganj) के सिढ़पुरा में हो रही यह लापरवाही सड़क सुरक्षा कानूनों की खुली धज्जियां उड़ाने जैसा है। छोटे-छोटे बच्चों की जान हर दिन खतरे में है, लेकिन जिम्मेदार विभाग अब तक मौन हैं।
जरूरत इस बात की है कि कासगंज (Kasganj) जिला प्रशासन, परिवहन विभाग और पुलिस मिलकर ऐसे स्कूलों के खिलाफ संयुक्त अभियान चलाएं, ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके और भविष्य में कोई दुखद घटना न हो।