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Mahakumbh 2025: श्रद्धालुओं को आई दिक्कतें, लेकिन उत्साह बरकरार

 

  1. डायवर्जन के कारण श्रद्धालुओं को लंबी दूरी तय करनी पड़ी।

  2. संतों की चरण रज लेने के लिए महिलाओं में खासा उत्साह देखा गया।

  3. गंगाजल को अमृत मानकर श्रद्धालु अपने घर ले जा रहे हैं।

  4. प्रशासन भीड़ प्रबंधन को लेकर लगातार कोशिशों में जुटा है।

 

Mahakumbh 2025 डायवर्जन से बढ़ी मुश्किलें

पटना से आए रामनाथ जैसे कई श्रद्धालुओं Mahakumbh 2025 को डायवर्जन के कारण परेशानी का सामना करना पड़ा। शहर में भारी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने रेलवे स्टेशन, बस अड्डों और अन्य प्रवेश बिंदुओं पर बैरिकेडिंग और रूट डायवर्जन कर रखे हैं। इससे कई श्रद्धालुओं को संगम तक पहुंचने के लिए लंबा सफर तय करना पड़ा।

उधमपुर से आए श्रीनाथ ने बताया कि रात 2 बजे प्रयागराज पहुंचने के बाद उन्हें 10 किमी पैदल चलकर संगम तक जाना पड़ा। इस दौरान ई-रिक्शा या अन्य वाहन की कोई व्यवस्था नहीं थी। हालांकि, कुछ श्रद्धालु इसे महाकुंभ का हिस्सा मानते हुए सहन कर रहे हैं। अमृतसर से आए नीरज अहूजा ने कहा, “पुण्य की डुबकी लगानी है तो थोड़ी दिक्कत झेलनी पड़ेगी।”

Mahakumbh 2025: श्रद्धालुओं को आई दिक्कतें, लेकिन उत्साह बरकरार


संतों की चरण रज लेने की होड़

अमृत स्नान के दौरान संतों की चरण रज लेने के लिए श्रद्धालुओं, विशेषकर महिलाओं में काफी उत्साह देखा गया। मध्य प्रदेश की दतिया से आई राजकुमारी और बाराबंकी की कौशल्या जैसी श्रद्धालु रातभर अखाड़ा मार्ग पर डटी रहीं। सुबह जब महानिर्वाणी अखाड़े के संत गुजरे, तब उन्होंने चरण रज लेकर अपने आंचल में बांध ली। श्रद्धालु इसे अपने माथे पर लगाने के साथ परिजनों के माथे पर भी लगा रहे थे।

Mahakumbh 2025: श्रद्धालुओं को आई दिक्कतें, लेकिन उत्साह बरकरार


अमृत रूपी गंगाजल लेकर लौटे श्रद्धालु

मकर संक्रांति पर स्नान के बाद श्रद्धालु गंगाजल को अमृत मानकर अपने-अपने घर ले गए। जम्मू से आए संजीव कुमार और उनकी पत्नी सुमन दो बड़े गैलन में गंगाजल भरकर ले गए। संजीव का कहना है कि वे गंगाजल पूरे घर और दुकान में छिड़केंगे, जिससे उनका व्यवसाय बेहतर होगा।

Mahakumbh 2025: श्रद्धालुओं को आई दिक्कतें, लेकिन उत्साह बरकरार

शाहजहांपुर से आए जदुवीर सिंह और राम भरोसे ने भी पांच गैलन गंगाजल भरकर ले जाने की बात कही। राम भरोसे ने कहा कि हर साल प्रयागराज आना संभव नहीं हो पाता, इसलिए यह गंगाजल भविष्य के लिए भी उपयोगी होगा। मुन्नी देवी ने बताया कि गांव में अंतिम समय में लोगों को गंगाजल पिलाया जाता है ताकि उन्हें मोक्ष मिल सके। उनका कहना था, “यह गंगाजल सिर्फ मेरे परिवार के लिए नहीं, बल्कि पूरे गांव के लिए है।”

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प्रशासन की चुनौतियां और श्रद्धालुओं की आस्था

भारी भीड़ और लंबी दूरी की कठिनाइयों के बावजूद श्रद्धालुओं का उत्साह कम नहीं हुआ। प्रशासन की ओर से किए गए इंतजामों के बावजूद भीड़ का प्रबंधन एक बड़ी चुनौती बन गया है। फिर भी श्रद्धालु महाकुंभ में शामिल होकर खुद को सौभाग्यशाली मान रहे हैं।

 

 

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