Muzaffarnagar Me Yeti Narsimhanand JI
डासना देवी मंदिर के पीठाधीश यति नरसिंहानंद सरस्वती एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) के गांधी नगर कॉलोनी स्थित श्याम श्याम मंदिर में आयोजित यज्ञ में शामिल होने पहुंचे नरसिंहानंद ने मीडिया से बातचीत में कई ऐसे बयान दिए, जिनसे नया विवाद खड़ा हो गया है। धर्म, राजनीति और समाज से जुड़े उनके शब्दों ने माहौल को और गरमा दिया है।

सनातन वैदिक राष्ट्र की मांग
मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) में यति नरसिंहानंद ने कहा कि जिस तरह ईसाइयों के सौ से अधिक देश हैं, मुसलमानों के पास 56 से 57 देश हैं और बौद्धों के पास भी राष्ट्र हैं, उसी तरह हिंदुओं का भी अपना एक “सनातन वैदिक राष्ट्र” होना चाहिए। उन्होंने कहा, “हम 100 करोड़ हैं लेकिन हमारे पास अपना कहने के लिए इंच भर भी जगह नहीं है। यह स्थिति शर्मनाक है। जैसे दुनिया में बाकी धर्मों के मानने वालों को राष्ट्र मिले हैं, वैसे ही हिंदुओं को भी अपना राष्ट्र मिलना चाहिए।”
उनका मानना है कि यह केवल उनकी निजी मांग नहीं बल्कि करोड़ों सनातनियों की भावनाओं से जुड़ा मुद्दा है। उन्होंने इसे “प्रार्थना” बताया जो उन्होंने यज्ञ में मां बगलामुखी और भगवान महादेव से की।
महिलाओं पर विवादित टिप्पणी
नरसिंहानंद सरस्वती का सबसे विवादित बयान महिलाओं को लेकर रहा। उन्होंने कहा कि जो माता केवल एक बेटा पैदा करती है, वह अपने बच्चों के लिए “नागिन” जैसी है। उन्होंने तर्क दिया कि जिसका कोई सगा भाई नहीं होता, उसका कोई अस्तित्व नहीं होता।
यह बयान सामने आते ही सामाजिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया शुरू हो गई। कई लोगों ने इसे महिलाओं का अपमान और समाज के लिए गलत संदेश बताया। हालांकि नरसिंहानंद ने अपने शब्दों को “सत्य” बताते हुए कहा कि उन्होंने किसी का अपमान नहीं किया, बल्कि समाज को चेताने की कोशिश की है।
नेपाल हिंसा और हिंदू दमन पर बयान
नेपाल में हुई हिंसा पर भी नरसिंहानंद ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि वहां हिंदुओं का दमन करने का परिणाम अब वहां के नेताओं को मिल रहा है। उनके अनुसार, “नेताओं ने हिंदू भावनाओं को कुचला और देश को जबरदस्ती धर्मनिरपेक्ष बनाने की कोशिश की। इसी कारण जनता क्रोधित हुई और वहां प्रचंड तांडव हुआ। यह पूरी दुनिया के नेताओं के लिए सबक है, खासकर भारत के नेताओं के लिए।”
उनके इस बयान को लेकर भी बहस छिड़ गई है। एक वर्ग का मानना है कि यह हिंदुओं की पीड़ा को सामने रखता है, जबकि दूसरा वर्ग इसे हिंसा को जायज ठहराने वाला मान रहा है।
राहुल गांधी और नेताओं पर हमला
राजनीतिक मोर्चे पर भी यति नरसिंहानंद पीछे नहीं रहे। राहुल गांधी द्वारा उठाए गए “वोट चोरी” के मुद्दे पर उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि नेता कुत्तों की तरह भौंकते रहते हैं। उन्होंने कहा, “मैं किसी भी नेता की बात को गंभीरता से नहीं लेता। चाहे राहुल गांधी हों या कोई और, सब मेरे लिए गली में भौंकते कुत्ते जैसे हैं। मैं अपना काम करता हूँ और मुझे उनसे कोई मतलब नहीं।”
यह बयान कांग्रेस समर्थकों के लिए नाराजगी का कारण बना, जबकि बीजेपी विरोधी खेमे में भी इस तरह की भाषा को असम्मानजनक बताया गया।
कश्मीर और धारा 370 पर सरकार पर सवाल
कश्मीर और धारा 370 पर बोलते हुए नरसिंहानंद ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि धारा 370 खत्म होने के बाद भी कश्मीर की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। बल्कि वहां के मुसलमान पहले से भी ज्यादा कट्टर और मानवता के दुश्मन बन गए हैं।
उनका कहना था कि नेताओं ने लोगों को यह विश्वास दिलाकर “पागल” बनाया कि कश्मीर अब बदल गया है और सब कुछ ठीक हो गया है। लेकिन असलियत इसके उलट है और कट्टरपन और अधिक बढ़ गया है।
यज्ञ में शामिल होकर की प्रार्थना
गुरुवार को नरसिंहानंद मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) के श्याम श्याम मंदिर पहुंचे थे। वहां उन्होंने पांच दिन तक चल रहे यज्ञ में हिस्सा लिया। यह यज्ञ मां बगलामुखी और भगवान महादेव को समर्पित था। उन्होंने कहा कि इस यज्ञ में उन्होंने धर्म की रक्षा, परिवारों की सुरक्षा और सनातन विरोधियों के समूल विनाश की प्रार्थना की है।
यति नरसिंहानंद सरस्वती के इन बयानों ने एक बार फिर से समाज और राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। जहां समर्थक उनके विचारों को “सत्य और साहस” मान रहे हैं, वहीं विरोधी इन्हें नफरत फैलाने वाला और असम्मानजनक कह रहे हैं। अब देखना होगा कि इस बयानबाजी का असर आने वाले दिनों में किस तरह दिखाई देता है।