Muzaffarnagar Police Giraft Me Aaropi Deepak
मुजफ्फरनगर (संवाददाता गौरव चौटाला) : उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) जनपद में साइबर क्राइम थाना पुलिस ने एक बड़े साइबर फ्रॉड का पर्दाफाश किया है। महिला पुलिस टीम ने राजस्थान के गंगानगर एयरपोर्ट स्टेशन से 20 वर्षीय छात्र दीपक जाखड़ को गिरफ्तार किया है। दीपक बीए-बीएड इंटीग्रेटेड कोर्स का थर्ड ईयर स्टूडेंट है, लेकिन पढ़ाई के साथ वह एक साइबर ठग गैंग का सक्रिय सदस्य बन चुका था।
आरोप है कि दीपक और उसके साथियों ने हाल ही में लोक निर्माण विभाग (PWD) के रिटायर्ड इंजीनियर आर.के. गोयल को अपना शिकार बनाया। गैंग ने खुद को ईडी, सीबीआई और न्यायिक अधिकारी बताकर इंजीनियर को डिजिटल अरेस्ट किया और कहा कि उनके खिलाफ धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी शिकायतें दर्ज हैं। आरोपियों ने धमकी दी कि शिकायत वापस लेने के लिए उन्हें मोटी रकम जमा करनी होगी। इस तरह पीड़ित से 77 बैंक खातों के जरिए 33 लाख 35 हजार रुपए ठग लिए गए।

पुलिस की जांच और टीम का गठन
मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) जनपद में ठगी की गंभीर वारदात सामने आने के बाद एसएसपी मुजफ्फरनगर संजय कुमार वर्मा ने मामले की जांच एसपी क्राइम इंदु सिद्धार्थ मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) को सौंपी। उनके नेतृत्व में साइबर थाना पुलिस ने विशेष टीम गठित की। टीम ने सैकड़ों सीसीटीवी फुटेज खंगाले और तकनीकी साक्ष्य इकट्ठा किए।
जांच के दौरान इस गैंग के दो सदस्य निखिल गोयल और हरप्रीत उर्फ हर्ष को पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। इसके बाद मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) पुलिस ने गहन खोजबीन कर तीसरे आरोपी दीपक जाखड़ की लोकेशन राजस्थान में ट्रेस की। महिला आरक्षियों की सक्रियता और तकनीकी सहयोग से आखिरकार उसे सूरतगढ़ गंगानगर एयरफोर्स स्टेशन के पास से दबोच लिया गया।
आरोपी से बरामदगी और कबूलनामे
मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) पुलिस ने दीपक के पास से एक आईफोन, कई बैंक पासबुक, एटीएम और डेबिट कार्ड बरामद किए हैं। पूछताछ में दीपक ने चौंकाने वाला खुलासा किया। उसने बताया कि कुछ समय पहले उसकी मुलाकात राहुल भम्भू नाम के व्यक्ति से हुई थी, जिसने उसे ऑनलाइन ट्रेडिंग के नाम पर जल्दी पैसे कमाने का लालच दिया। राहुल ने बैंक खातों की जरूरत बताई और दीपक से मदद मांगी।
दीपक ने पहले अपना बैंक खाता खुलवाकर उसकी किट राहुल को दी, जिसके बदले उसे 15 हजार रुपये मिले। धीरे-धीरे उसने अपने रिश्तेदारों और परिचितों के नाम पर भी खाते खुलवाने शुरू कर दिए। हर खाते की एवज में उसे 12 हजार रुपये मिलते थे। इस तरह वह गैंग का हिस्सा बन गया।
ठगी का नेटवर्क और पैसों का खेल
मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) पुलिस जांच में सामने आया है कि दीपक और उसके साथियों ने अब तक करोड़ों का हेरफेर किया है। साइबर थाना की टीम द्वारा जिन खातों की जांच की गई, उनमें 7 करोड़ रुपये से अधिक के संदिग्ध ट्रांजैक्शन दर्ज पाए गए हैं। एनसीआरबी और अन्य पोर्टल्स पर भी इन खातों से जुड़ी शिकायतें दर्ज हैं।
दीपक ने मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) पुलिस के सामने यह भी स्वीकार किया कि उसने अकेले ही अब तक 15 लाख रुपये नकद निकासी की है। पुलिस का कहना है कि आरोपी ठगों से मिले पैसे को एटीएम के जरिए निकालता और फिर उन्हें दूसरे खातों में ट्रांसफर कर क्रिप्टोकरेंसी (USDT) में बदल देता था।
गिरोह के अन्य सदस्य और पुलिस की कार्रवाई
दीपक ने पूछताछ में बताया कि इस पूरे काम में उसके साथ अमित और विशाल चौधरी नामक युवक भी शामिल थे। दोनों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस लगातार छापेमारी कर रही है। आलाधिकारियों का मानना है कि यह गिरोह पिछले छह महीनों से सक्रिय था और देशभर में कई लोगों को डिजिटल अरेस्ट और धमकी देकर ठग चुका है।
एसपी क्राइम का बयान और चेतावनी
एसपी क्राइम इंदु सिद्धार्थ मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) ने प्रेस को जानकारी देते हुए कहा—
“यह हमारे साइबर थाना की टीम का बेहतरीन काम है। इस केस में पहले भी दो आरोपियों को जेल भेजा जा चुका है। अब तीसरे आरोपी दीपक जाखड़ को गिरफ्तार किया गया है। महिला आरक्षियों ने आरोपी की पहचान और तकनीकी साक्ष्य जुटाने में अहम भूमिका निभाई।”
उन्होंने लोगों से अपील की कि कोई भी अपने बैंक खाते, आधार कार्ड या अन्य पहचान दस्तावेज दूसरों को न दें, क्योंकि अपराधी इसी का फायदा उठाकर बड़े पैमाने पर साइबर अपराध कर रहे हैं।
समाज में हैरानी और सबक
दीपक की गिरफ्तारी के बाद उसके गांव और परिवार में हैरानी का माहौल है। एक साधारण छात्र का साइबर अपराधी बन जाना युवाओं के लिए चेतावनी है। पुलिस का मानना है कि लालच और जल्दी पैसा कमाने की चाहत युवाओं को अपराध की राह पर धकेल रही है।