Omprakash Rajbhar का सपा पर करारा वार, 5 सीटों पर अकेले लड़ने की दी चेतावनी!
ब्यूरो रिपोर्टः राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप चलते हैं, लेकिन इतनी गिरावट नहीं होनी चाहिए। जो अपने बाप का नहीं हुआ, वह किसी का नहीं हो सकता। उक्त बातें सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पंचायती राज मंत्री Omprakash Rajbhar ने हरिऔध कला केंद्र में आयोजित पदाधिकारियों की बैठक में कही। इस दौरान वह सपा पर जमकर हमलावर नजर आए। ओमप्रकाश राजभर ने आगामी चुनाव को लेकर एलान किया है।
Omprakash Rajbhar का बड़ा हमला
कि सुभासपा आजमगढ़ की पांच विधानसभा सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा कि संगठन को मजबूत करने के लिए धरातल पर काम शुरू हो चुका है। Omprakash Rajbhar ने सपा, बसपा और कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि ये दल भाजपा का नाम न लें तो उनका काम खत्म हो जाएगा। ये पार्टियां भाजपा का नाम जपकर ही जिंदा हैं। राजभर ने दावा किया कि पहली बार भाजपा सरकार में 51 मुस्लिम आईएएस बने।
आजमगढ़ में सुभासपा का शक्ति प्रदर्शन
जबकि सपा सरकार में 86 में से 56 यादव एसडीएम बनाए गए थे। ऑपरेशन सिंदूर पर विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए Omprakash Rajbhar ने कहा कि हमारी सेना ने पाकिस्तान में 100 किलोमीटर अंदर जाकर आतंकवादी ठिकानों को नष्ट किया। इससे पूरे देश को अपनी सेना पर गर्व है। पाकिस्तान खुद इसका सबूत दे रहा है, फिर भी विपक्ष के मुंह पर ताला पड़ गया है।
वक्फ बिल को लेकर बोले ओमप्रकाश राजभर
वही इसी दौरान वक्फ बिल को लेकर Omprakash Rajbhar ने कहा कि यह बिल आम मुसलमानों के हित में है और इसमें दो महिलाओं को शामिल किया गया है। ओमप्रकाश राजभर ने आरोप लगाया कि इस बिल से वे लोग परेशान हैं जो वक्फ संपत्तियों को बेचकर या लूटकर लाभ उठाते थे। कार्यकर्ताओं ने पंचायत चुनाव में मजबूती से काम करने का भरोसा दिलाया।

5 सीटों पर अकेले लड़ने की दी चेतावनी
Omprakash Rajbhar का सपा पर किया गया तीखा हमला और आजमगढ़ की पांच विधानसभा सीटों पर सुभासपा द्वारा अकेले चुनाव लड़ने का एलान, यह दर्शाता है कि अब सुभासपा किसी की सहयोगी पार्टी बनकर नहीं, बल्कि एक स्वतंत्र और निर्णायक शक्ति बनकर उभरना चाहती है। Omprakash Rajbhar का यह कहना कि “जो अपने बाप का नहीं हुआ, वह किसी का नहीं हो सकता”, न सिर्फ सपा नेतृत्व पर सीधा हमला है,
Omprakash Rajbhar बोले- सपा अब भरोसे के लायक नहीं
बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि अब वह संगठनात्मक मजबूती, सामाजिक न्याय और राजनीतिक स्वाभिमान के आधार पर अपनी राह खुद तय करने को तैयार हैं। सपा के साथ बीते अनुभवों और राजनीतिक मतभेदों ने यह दिखा दिया कि Omprakash Rajbhar अब गठबंधन की राजनीति से ऊपर उठकर, अपने दम पर चुनावी मैदान में उतरने का मन बना चुके हैं।
बता दे कि निर्णय सुभासपा को पूर्वांचल में एक प्रभावशाली राजनीतिक ताकत के रूप में स्थापित कर सकता है। यह बयान स्पष्ट संकेत देता है कि सुभासपा अब अपनी राजनीतिक रणनीति को नए ढंग से परिभाषित कर रही है।
जहां एक ओर उन्होंने सपा के नेतृत्व और आचरण पर सवाल उठाए, वहीं दूसरी ओर उन्होंने यह दिखा दिया कि उनकी पार्टी अब किसी भी गठबंधन के दबाव में नहीं रहेगी।
यह केवल एक राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि एक नई राजनीतिक दिशा की घोषणा है, जो आने वाले चुनावों में पूर्वांचल की राजनीति को नई दिशा दे सकती है।