सभासद Rahul Panwar को 6 महीने के लिए जिलाबदर, वायरल वीडियो के बाद प्रशासन ने लिया सख्त कदम
ब्यूरो रिपोर्टः शामली जनपद के कांधला थाना क्षेत्र के कस्बा एलम के सभासद Rahul Pawar को जिला बदर कर दिया गया है। एडीएम न्यायिक के आदेश पर यह कार्रवाई की गई है। सभासद Rahul Pawar का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। बता दे कि इस वीडियो में वह सरकारी हथियारों के साथ नजर आ रहे थे। वीडियो वायरल होने के बाद भी शामली के कांधला पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की थी।
Rahul Panwar जिलाबदर का मामला
Rahul Panwar के खिलाफ पहले से कई मामले दर्ज हैं। उनके आपराधिक इतिहास को देखते हुए शामली प्रशासन ने उन्हें 6 महीने के लिए जिलाबदर करने का फैसला लिया। पुलिस ने उन्हें जिले की सीमा तक ले जाकर छोड़ा। इस दौरान उन्हें 6 महीने तक जनपद में न आने की हिदायत दी गई है। बता दे कि राहुल शामली के कांधला थाना क्षेत्र के कस्बा एलम के उत्तरी विकास नगर से सभासद हैं।
वायरल वीडियो के बाद प्रशासन ने लिया सख्त कदम
वह लंबे समय से स्थानीय राजनीति में सक्रिय रहे हैं और खुद को भाजपा से जुड़ा हुआ बताते हैं। हालांकि, उनकी पहचान अक्सर विवादों और दबंगई की वजह से चर्चा में रही है। बताया जाता है कि Rahul Pawar अपने रसूख का इस्तेमाल कर स्थानीय लोगों पर प्रभाव डालने की कोशिश करते रहे हैं।

प्रशासन का सख्त संदेश
वही स्थानीय लोगों का कहना है कि Rahul Pawar की मौजूदगी से मोहल्ले में तनाव और डर का माहौल बना रहता था। कई बार उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई, लेकिन वह रसूख के बल पर हर बार बच निकलते थे। इस बार शामली प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाते हुए कानून के अनुसार कार्रवाई की है, जिससे आम नागरिकों में प्रशासन के प्रति भरोसा बढ़ा है।
प्रशासन अपराधी प्रवृत्ति के लोगों पर सख्त कदम
सभासद Rahul Pawar का मामला यह दर्शाता है कि अब प्रशासन अपराधी प्रवृत्ति के लोगों पर सख्त कदम उठाने से पीछे नहीं हट रहा है, चाहे वह जनप्रतिनिधि ही क्यों न हो। वायरल वीडियो में सरकारी हथियारों के साथ नजर आने के बाद भी स्थानीय पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल जरूर उठे, लेकिन एडीएम के आदेश से की गई जिलाबदर कार्रवाई ने यह साफ कर दिया कि कानून से ऊपर कोई नहीं है।
6 महीने के लिए जनपद से बाहर करने का निर्णय
Rahul Pawar के खिलाफ पहले से दर्ज अपराधों के इतिहास और हालिया वीडियो को आधार बनाकर शामली प्रशासन ने 6 महीने के लिए जनपद से बाहर करने का निर्णय लिया। इस दौरान उन्हें जनपद की सीमा में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी, और इसका उल्लंघन करने पर और भी कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।
बता दे कि इस पूरी कार्रवाई से यह स्पष्ट होता है कि प्रशासन अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण के बावजूद बख्शने के मूड में नहीं है। यह निर्णय जनता को यह संदेश देता है कि अगर कोई जनप्रतिनिधि भी कानून का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कदम उठाए जाएंगे।
इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि चाहे कोई भी व्यक्ति किसी पद पर क्यों न हो, अगर वह कानून का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई निश्चित है। यह निर्णय न केवल प्रशासनिक जवाबदेही को दर्शाता है, बल्कि समाज में सख्त कानून व्यवस्था की जरूरत को भी रेखांकित करता है।
दरअसल यह कदम उन लोगों के लिए एक चेतावनी है जो राजनीतिक ताकत के दम पर नियमों को तोड़ने का प्रयास करते हैं। साथ ही यह संदेश भी देता है कि जनता की सुरक्षा और कानून का सम्मान सर्वोपरि है।