ब्यूरो रिपोर्टः सहारनपुर (Saharanpur) के गंगोह में शिक्षकों और किसानों की गोष्ठी के दौरान भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने एक बड़ा बयान दिया है। राकेश टिकैत ने इस गोष्ठी में किसानों और शिक्षकों के मुद्दों पर बात करते हुए सरकार और प्रशासन से कई महत्वपूर्ण मांगें कीं। उन्होने कहा कि शिक्षक स्कूलों में छात्र-छात्राओं को यूनियन की विचारधारा से प्रेरित करते हुए उनमें राष्ट्रहित की भावना का बीजारोपण करें। आगे कहा कि नस्ल और फसल को बचाना है पहला उद्देश्य है। किसान नेता राकेश टिकैत ने सहारनपुर (Saharanpur) में बने टीचर प्रकोष्ट को लेकर कहा वो लोग स्कूलों में पेड लगाएं और सबसे मिलकर चलें।
Saharanpur में राकेश टिकैत की गोष्ठी

उन्होंने अपने बयान में कहा कि सरकार को किसानों के अधिकारों की रक्षा करने की ज़रूरत है, और कृषि से जुड़े मुद्दों पर तत्काल ध्यान देना चाहिए। टिकैत ने यह भी कहा कि किसान आंदोलन को दबाने के बजाय, सरकार को किसानों के समस्याओं का समाधान करना चाहिए। इसके अलावा, उन्होंने शिक्षकों के भी समर्थन में आवाज़ उठाई और उनके सामाजिक और आर्थिक अधिकारों के संरक्षण की बात की।

सहारनपुर (Saharanpur) में राकेश टिकैत ने कृषि कानूनों को लेकर भी अपना रुख स्पष्ट किया और कहा कि किसानों के खिलाफ कोई भी नीतियां या कानून नहीं चलने चाहिए, और किसानों को उनके उचित अधिकार मिलें। इसके अलावा, उन्होंने शासन और प्रशासन पर किसानों की समस्याओं को नज़रअंदाज करने का आरोप भी लगाया।यह गोष्ठी किसानों और शिक्षकों के बीच आपसी सहयोग और समर्थन को बढ़ावा देने का एक प्रयास थी, जिसमें टिकैत ने इन दोनों वर्गों की समस्याओं पर ध्यान केंद्रित किया।

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राकेश टिकैत का यह बयान न केवल सहारनपुर (Saharanpur) के गंगोह में बल्कि पूरे उत्तर भारत में किसानों और शिक्षकों के बीच एक बड़ा संदेश देने का कार्य कर रहा है। यह घटना दर्शाती है कि राकेश टिकैत न केवल कृषि आंदोलन के प्रतीक हैं, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों के बीच समन्वय और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए भी अपनी आवाज उठा रहे हैं।