Shamli ME Sareaam chal Raha Avaidh Lakdi Ka Kaarobar
शामली संवाददाता दीपक राठी उत्तर प्रदेश के जनपद शामली ( Shamli) में अवैध लकड़ी का कारोबार लगातार फल-फूल रहा है। माफिया खुलेआम प्रतिबंधित पेड़ों की कटाई और परिवहन कर रहे हैं, जबकि जिम्मेदार विभाग केवल मूकदर्शक बना हुआ है। इसका खुलासा तब हुआ जब सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें प्रतिबंधित शीशम की लकड़ी से भरे वाहन (UP 75 BT 4830) को कैराना रोड पर खड़ा देखा गया।वीडियो सामने आने के बाद शामली ( Shamli) वन विभाग के हल्का दारोगा अशोक कुमार से जब मीडिया ने बात की तो उनका जवाब विभाग की नाकामी और बेबसी को उजागर करता नजर आया। उन्होंने न सिर्फ कार्रवाई से किनारा किया बल्कि अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश भी की।

कार्रवाई से बचने का बहाना
शामली ( Shamli) वन विभाग के दारोगा अशोक कुमार ने माना कि वायरल वीडियो के बाद वे अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे थे। वहां उन्हें छोटा हाथी (वाहन) तो खड़ा मिला लेकिन चालक मौजूद नहीं था। जब उन्होंने आसपास पूछताछ की तो कई आढ़ती वहां आ गए। दारोगा ने बताया कि जब उनसे लकड़ी के कटान और परिवहन संबंधी कागजात मांगे गए तो कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए। इसके बावजूद वाहन को जब्त करने या वैधानिक कार्रवाई करने के बजाय अधिकारी ने पूरा मामला रफा-दफा कर दिया।
उन्होंने अपनी सफाई में कहा कि वाहन में लदी लकड़ी उनके क्षेत्र की नहीं बल्कि बागपत जिले से काटकर लाई गई थी। ऐसे में यदि वे कार्रवाई करते तो उन पर सवाल उठते। यही कारण बताते हुए उन्होंने कोई कदम नहीं उठाया।
माफियाओं के सामने वन विभाग बेबस?
शामली ( Shamli) में विभाग के दारोगा का यह बयान न केवल विभाग की कमजोरी दिखाता है बल्कि यह भी सवाल खड़ा करता है कि आखिर किसके दबाव में अधिकारी कार्रवाई करने से बचते हैं। यदि वास्तव में वाहन में प्रतिबंधित लकड़ी बिना कागजात के मौजूद थी, तो चाहे वह किसी भी जिले से आई हो, कार्यवाही होनी चाहिए थी। लेकिन ऐसा न होना विभाग की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगा रहा है।
लोगों का कहना है कि यह बेबसी दरअसल वन माफियाओं और अधिकारियों की मिलीभगत का नतीजा है। अक्सर ऐसे मामलों में या तो कार्रवाई नहीं होती या फिर कागजों में खानापूर्ति कर दी जाती है।
अवैध कारोबार से बड़ा नुकसान
जानकारों का कहना है कि शीशम जैसे प्रतिबंधित पेड़ की लकड़ी की तस्करी से न केवल पर्यावरण को गहरा नुकसान पहुंच रहा है बल्कि सरकार को भी करोड़ों रुपये के राजस्व से हाथ धोना पड़ रहा है। शामली ( Shamli) और आसपास के इलाकों में लंबे समय से लकड़ी माफिया सक्रिय हैं, जो बिना किसी डर-खौफ के पेड़ों की कटाई कर रहे हैं।
शामली ( Shamli) के स्थानीय लोगों का कहना है कि विभाग की “मेहरबानी” के चलते ही यह धंधा धड़ल्ले से चल रहा है। माफिया पैसा कमाते हैं और विभाग आंख मूंदकर बैठा रहता है।
जनता में आक्रोश
इस मामले के सामने आने के बाद जनता में नाराजगी बढ़ गई है। लोग सोशल मीडिया पर विभाग की आलोचना कर रहे हैं और पूछ रहे हैं कि जब वायरल वीडियो के सबूत मौजूद हैं, तो कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
लोग यह भी कह रहे हैं कि शामली ( Shamli) में दारोगा की “लाचारी” असल में पर्दे के पीछे चल रही सेटिंग-गेटिंग का हिस्सा है। जनता का मानना है कि विभाग के अधिकारियों और माफियाओं के बीच मिलीभगत के बिना यह कारोबार संभव ही नहीं है।
कब होगी सख्त कार्रवाई?
अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या शासन-प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेकर कोई ठोस कदम उठाएगा या फिर यह मामला भी अन्य घटनाओं की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा। यदि समय रहते इस पर रोक नहीं लगाई गई, तो शामली ( Shamli) के जिले के जंगल उजड़ जाएंगे और माफिया लगातार फायदा उठाते रहेंगे।