Shamli Thana Bhawan Ke Jila Asptaal Ki LPrwahi Ki Wajah Se Huyi Airforce Sainik KI Maa Ki Maut Sainik Ne doctor Pe Ki Karyawahi Ki Maang
शामली संवाददाता दीपक राठी उत्तर प्रदेश के शामली (Shamli) जिले से एक बेहद दुखद और चिंताजनक मामला सामने आया है। यहां भारतीय वायुसेना में कार्यरत एक सैनिक की मां की मौत कुत्ते के काटने के बाद रेबीज़ संक्रमण से हो गई। मृतका के बेटे का आरोप है कि यह मौत स्वाभाविक नहीं बल्कि सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही और मेडिकल प्रोटोकॉल का पालन न करने का नतीजा है। सैनिक ने जिला अधिकारी को शिकायती पत्र देकर लापरवाह चिकित्सक के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने, विधिक कार्रवाई करने और परिवार को मुआवजा देने की मांग की है।

घटना की शुरुआत: कुत्ते के काटने से बिगड़ी स्थिति
मृतका 66 वर्षीय महिला थीं जो पूरी तरह स्वस्थ थीं। जानकारी के अनुसार, 25 जुलाई को वह घर के बाहर थीं तभी अचानक एक आवारा कुत्ते ने उनके पैर पर काट लिया। इस घटना से उनका पैर गंभीर रूप से घायल हो गया। परिजनों ने पहले घाव को धोकर साफ किया और इसके बाद उन्हें तुरंत थानाभवन कस्बे के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाया गया।
परिवार का कहना है कि यहां मौजूद चिकित्सक ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया। न तो उन्होंने यह जांचा कि घाव किस श्रेणी का है (कैटेगरी 1, 2 या 3) और न ही सही संख्या में इंजेक्शन दिए। केवल तीन डोज़ ही लिख दी गईं और बाकी इंजेक्शन की तारीख पर्ची के पीछे लिख दी।
इंजेक्शन में हुई देरी और इलाज की अनदेखी
परिवार का आरोप है कि जब महिला दूसरी डोज़ लेने अस्पताल पहुंचीं तो उन्हें यह कहकर लौटा दिया गया कि “डॉग बाइट के इंजेक्शन मंगलवार और शुक्रवार को ही लगते हैं।” इस वजह से एक दिन की देरी हो गई। जबकि रेबीज़ जैसी बीमारी में हर घंटे और हर दिन कीमती होता है।
करीब चार डोज़ लगने के बाद भी महिला की हालत सुधरी नहीं। इस पर परिवार उन्हें मेरठ स्थित मिलिट्री हॉस्पिटल लेकर गया। वहां चिकित्सकों ने जांच करने के बाद बताया कि महिला को पहले से रेबीज़ संक्रमण हो चुका है।
इलाज के अभाव में मौत
स्थिति लगातार बिगड़ती गई और अंततः 8 सितंबर को महिला की मौत हो गई। परिवार का कहना है कि अगर समय रहते सही इलाज और रेबीज़ प्रोटोकॉल का पालन किया गया होता तो महिला की जान बचाई जा सकती थी।
सैनिक पुत्र का कहना है कि उनकी मां की मौत सीधे-सीधे सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से हुई है। उन्होंने शामली (Shamli) जिलाधिकारी से मांग की है कि दोषी डॉक्टरों पर मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाए और परिवार को उचित मुआवजा दिया जाए।
सैनिक की मांग और प्रशासन की चुनौती
सैनिक ने शामली (Shamli) जिला अधिकारी को दिए शिकायती पत्र में दो मुख्य मांगें रखीं—
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लापरवाह चिकित्सक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कठोर कार्रवाई की जाए।
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मृतका के परिवार को क्षतिपूर्ति के रूप में आर्थिक मुआवजा दिया जाए।
उन्होंने कहा कि अगर सरकार और प्रशासन इस मामले में कठोर कदम नहीं उठाते तो भविष्य में कई और लोग इसी तरह स्वास्थ्य व्यवस्था की खामियों का शिकार बन सकते हैं।
स्वास्थ्य तंत्र पर सवाल
शामली (Shamli) जिले का यह मामला केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं है, बल्कि राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की वास्तविक तस्वीर भी दिखाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि रेबीज़ संक्रमण से मौतें केवल तभी होती हैं जब इलाज में लापरवाही होती है। अगर समय पर इंजेक्शन और सही खुराक दी जाए तो मरीज की जान निश्चित रूप से बचाई जा सकती है।
शामली (Shamli) जिले के स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में अक्सर डॉक्टरों की अनदेखी, दवाइयों की कमी और प्रोटोकॉल की अनभिज्ञता की वजह से मरीजों की जान पर बन आती है।
शामली (Shamli) का यह मामला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग दोनों के लिए गंभीर चुनौती है। एक ओर सरकार ग्रामीण इलाकों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के दावे करती है, वहीं दूसरी ओर वास्तविकता में प्रोटोकॉल की अनदेखी से एक सैनिक की मां की जान चली जाती है।
अब सबकी नजर शामली (Shamli) जिला प्रशासन पर है कि वह इस मामले में क्या कार्रवाई करता है। क्या दोषी चिकित्सक पर मुकदमा दर्ज होगा और क्या पीड़ित परिवार को न्याय और मुआवजा मिल पाएगा? यह आने वाले दिनों में साफ होगा।