Rakesh Tikait की बस्ती में बंद पड़ी चीनी मिलों पर चिंता, सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग
ब्यूरो रिपोर्टः खबर उत्तर प्रदेश के बस्ती से है, जहां भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता Rakesh Tikait एक निजी कार्यक्रम में पहुंचे थे, जहा Rakesh Tikait ने बंद चीनी मिलों पर अपनी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि बस्ती की दो चीनी मिलों के बंद होने के लिए सरकारें पूरी तरह जिम्मेदार हैं। किसान नेता Rakesh Tikait ने याद दिलाया कि मुंडेरवा फैक्ट्री को आंदोलन के जरिए चालू करवाया गया था।
बस्ती में बंद पड़ी चीनी मिलों पर Rakesh Tikait की चिंता
दीवानचंद जैसे लोगों के आंदोलन और कुछ लोगों की शहादत के बाद ही वह मिल शुरू हो पाई थी। उन्होंने सरकार से मांग की कि बंद पड़ी शुगर फैक्ट्री और अन्य इंडस्ट्रीज को फिर से चालू किया जाए। वही गन्ना भुगतान के मुद्दे पर Rakesh Tikait ने कहा कि कई फैक्ट्रियां अभी तक किसानों का भुगतान नहीं कर पाई हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार कुल आंकड़े जोड़कर पूरे भुगतान का दावा करती है, जबकि जमीनी हकीकत अलग है।
इसी दौरान अपनी सुरक्षा को लेकर पूछे गए सवाल पर किसान नेता Rakesh Tikait ने कहा कि आज देश में जो सरकार के खिलाफ बोलता है, उसके साथ ऐसा ही व्यवहार होता है। उल्लेखनीय है कि उन्हें सर कलम करने की धमकी मिली है। धमकी देने वालों ने 5 लाख रुपए के इनाम की भी घोषणा की है।
किसानों की आर्थिक स्थिति
बस्ती जिले के किसान गन्ने की खेती करते हैं, लेकिन मिलों के बंद होने से उन्हें गन्ने का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। इसके कारण उनकी आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई है। Rakesh Tikait ने सरकार से मांग की कि बंद पड़ी चीनी मिलों और अन्य उद्योगों को फिर से चालू किया जाए ताकि किसानों को राहत मिल सके।

बंद चीनी मिलों के मुद्दे पर सरकार से हस्तक्षेप की मांग की
बस्ती चीनी मिल बंद होने को लेकर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने जो चिंता जताई है, वह सिर्फ एक स्थानीय मुद्दा नहीं बल्कि एक बड़ी समस्या की ओर इशारा है। किसानों के संघर्ष, उनकी शहादत और मेहनत को नजरअंदाज करना समाज के लिए घातक है।
Rakesh Tikait ने स्पष्ट कहा कि बस्ती की दो बंद पड़ी चीनी मिलों के लिए सरकारें पूरी तरह जिम्मेदार हैं। उन्होंने मुंडेरवा मिल का उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे किसान आंदोलन और बलिदान से मिल को दोबारा चालू कराया गया था। ऐसे में यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह बंद पड़ी चीनी मिलों और अन्य इंडस्ट्रीज को फिर से चालू करे।
जब तक ये फैक्ट्रियां दोबारा शुरू नहीं होतीं, तब तक किसानों को उनका हक नहीं मिलेगा और क्षेत्र की आर्थिक स्थिति भी सुधर नहीं पाएगी। टिकैत की चेतावनी सिर्फ बयान नहीं, एक स्पष्ट संदेश है — अगर समाधान नहीं निकाला गया, तो किसान फिर से आंदोलन के लिए तैयार हैं।
बस्ती चीनी मिल बंद होना किसानों के लिए भारी चिंता का विषय है। Rakesh Tikait ने साफ शब्दों में कहा है कि मिलें बंद होने की पूरी जिम्मेदारी सरकारों पर है। किसानों की मेहनत और उनके संघर्ष को सम्मान देते हुए सरकार को तुरंत बंद पड़ी चीनी मिलों को फिर से चालू करना चाहिए ताकि किसानों को राहत मिल सके।