
100 से ज्यादा विधायकों का कट सकता है टिकट, सियासी हलचल तेज
उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल और सरगर्मी तेज हो गई है। 2027 विधानसभा चुनाव को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी (BJP) अब किसी भी तरह की ढिलाई बरतने के मूड में नहीं दिख रही है। सूत्रों के मुताबिक बीजेपी ने अपने विधायकों के कामकाज और जनता में पकड़ को परखने के लिए बड़ा आंतरिक सर्वे कराने का फैसला किया है। इस सर्वे से तय होगा कि किस विधायक को दोबारा मौका मिलेगा और किसकी टिकट कटेगी।
भाजपा करेगी आंतरिक सर्वे, विधायक परीक्षा की कसौटी पर
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बीजेपी अपने विधायकों की ग्राउंड एक्टिविटी, जनता में पकड़ और संगठन से रिश्तों की जांच कराने के लिए किसी निजी एजेंसी को जिम्मेदारी दे सकती है। पार्टी चाहती है कि रिपोर्ट बिल्कुल निष्पक्ष आए ताकि 2027 में कोई रिस्क न लिया जाए।
बताया जा रहा है कि इस सर्वे की रिपोर्ट आने के बाद 100 से ज्यादा मौजूदा विधायकों के टिकट कट सकते हैं। यह फैसला सीधे तौर पर उन विधायकों पर लागू होगा जो अपने क्षेत्रों में जनता से दूरी बनाए हुए हैं या जिनकी सक्रियता पर लगातार सवाल उठते रहे हैं।
तीन स्तर पर होगी जांच
बीजेपी का यह आंतरिक सर्वे तीन स्तर पर किया जाएगा।
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संगठन की राय – पार्टी कार्यकर्ताओं और संगठन की फीडबैक।
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जनता का मूड – मतदाताओं के बीच विधायक की लोकप्रियता और पकड़।
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चुनावी संभावना – विपक्षी पार्टियों की रणनीति और प्रत्याशी का आंकलन।
इन तीनों पहलुओं के आधार पर तय किया जाएगा कि किस विधायक की टिकट सुरक्षित है और किसे बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा।
टिकट कटने का डर, विधायकों में बेचैनी
बीजेपी की इस कवायद ने पार्टी के भीतर ही खलबली मचा दी है। जिन विधायकों की सक्रियता कम है या क्षेत्र में उनका जनाधार कमजोर हुआ है, उनमें टिकट कटने का डर बढ़ गया है। बताया जा रहा है कि पार्टी नेतृत्व को लंबे समय से शिकायतें मिल रही थीं कि कई विधायक जनता से कटते जा रहे हैं। यही कारण है कि अब पार्टी ने समय रहते बड़ा कदम उठाया है।
लोकसभा नतीजों पर भी होगी नजर
इस सर्वे में 2024 लोकसभा चुनाव के नतीजों को भी आधार बनाया जाएगा। जिन सीटों पर पार्टी को नुकसान हुआ है, वहां विधायकों की जवाबदेही तय होगी। साथ ही संगठन की रिपोर्ट और जनता की राय को मिलाकर एक पुख्ता निर्णय लिया जाएगा।
2027 का बड़ा लक्ष्य – तीसरी बार पूर्ण बहुमत
बीजेपी का लक्ष्य साफ है – 2027 में यूपी में तीसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाना। पार्टी का मानना है कि अगर इस मिशन में कोई भी विधायक बाधा बनता है तो उसे टिकट से वंचित करने में कोई देरी नहीं होगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय नेतृत्व की नजर सीधे तौर पर संगठन और जनता की राय पर टिकी है।
विपक्ष पर भी रहेगी नजर
बीजेपी का यह सर्वे सिर्फ विधायकों तक सीमित नहीं रहेगा। इसमें इस बात पर भी ध्यान दिया जाएगा कि विपक्ष किसी सीट पर किस प्रत्याशी को मैदान में उतार सकता है। इसके आधार पर भी रणनीति बनाई जाएगी ताकि किसी भी तरह का राजनीतिक रिस्क न रहे।
भाजपा की सख्त रणनीति
बीजेपी का यह फैसला साफ संकेत देता है कि पार्टी 2027 में किसी भी तरह की ढिलाई या रिस्क नहीं लेना चाहती। विधायकों के लिए भी यह सर्वे एक तरह से अलर्ट है कि अगर जनता से दूरी बनाए रखी तो टिकट कटना तय है।
अब बड़ा सवाल यही है कि क्या इस रणनीति से भाजपा अपने मिशन को सफल बनाकर यूपी में तीसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार बना पाएगी या विपक्ष इस मौके का फायदा उठाकर भाजपा को घेरने में सफल रहेगा?