मंत्री Dayashankar Singh ने समाजवादी पार्टी के अंदरूनी विवाद पर किया खुलासा। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।
ब्यूरो रिपोर्टः उत्तर प्रदेश के बलिया में प्रदेश सरकार के परिवहन मंत्री Dayashankar Singh ने समाजवादी पार्टी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि सपा में पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग का कोई सम्मान नहीं बचा है। भाजपा जिला कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि जब सपा में ही पीडीए का महत्व नहीं है, तो उनकी सरकार में इन वर्गों को क्या सम्मान मिलेगा।
यूपी के परिवहन मंत्री Dayashankar Singh का बयान
परिवहन मंत्री Dayashankar Singh ने समाजवादी पार्टी पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी के शीर्ष 24 पद मुलायम सिंह यादव के परिवार के लिए ही आरक्षित हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, सपा में नेता बनने की इच्छा रखने वालों को 25वें नंबर से शुरुआत करनी पड़ती है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को दी नसीहत
उन्होंने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को नसीहत देते हुए कहा कि वे अपनी पार्टी में लोकतांत्रिक प्रक्रिया अपनाएं और संविधान में संशोधन कर यह सुनिश्चित करें कि भविष्य में पीडीए वर्ग का कोई नेता या कार्यकर्ता सपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सके। पुरुष आयोग के गठन पर उठे सवालों का जवाब देते हुए Dayashankar Singh ने कहा कि किसी एक घटना के आधार पर ऐसा निर्णय नहीं लिया जा सकता।
Dayashankar Singh के बयानों ने क्षेत्र में राजनीतिक चर्चाओं को और गर्म
उन्होंने जोर देकर कहा कि भारतीय संस्कृति में महिलाओं को मां, बहन और पत्नी के रूप में सर्वोच्च सम्मान प्राप्त है। उन्होंने कहा, “महिलाएं समाज की संरक्षक हैं, और कानून सभी के लिए समान है। चाहे पुरुष हो या महिला, अपराधी को सजा मिलेगी।” मंत्री के बयानों ने क्षेत्र में राजनीतिक चर्चाओं को और गर्म कर दिया है।

दयाशंकर सिंह ने समाजवादी पार्टी पर गंभीर आरोप
उत्तर प्रदेश के बलिया में परिवहन मंत्री Dayashankar Singh ने समाजवादी पार्टी पर गंभीर आरोप लगाकर प्रदेश की राजनीति में नया विवाद खड़ा कर दिया है। उनका मानना है कि सपा में पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग का सम्मान खत्म हो चुका है और इस वजह से इन वर्गों का सपा में कोई वास्तविक महत्व नहीं बचा है।
इसके साथ ही, Dayashankar Singh ने परिवारवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगाते हुए कहा कि सपा के शीर्ष 24 पद सीधे मुलायम सिंह यादव के परिवार के लिए आरक्षित हैं। इस बयान से साफ होता है कि भाजपा सपा की अंदरूनी कार्यप्रणाली और सामाजिक समरसता पर सवाल उठाकर राजनीतिक पकड़ मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रही है।
इस पूरे प्रकरण से उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बार फिर भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच टकराव बढ़ने की संभावना प्रबल हो गई है। सपा पर परिवारवाद और वर्ग विशेष के सम्मान की कमी के आरोपों ने राजनीतिक बहस को और गरमा दिया है। आने वाले समय में इस आरोप-प्रत्यारोप का उत्तर प्रदेश की राजनीतिक तस्वीर पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।