Bijnor Me Van Bhumi Par Avaidh Kabza
बिजनौर (संवाददाता महेंद्र सिंह) : जनपद बिजनौर (Bijnor) में गंगा किनारे स्थित सेंचुरी क्षेत्र की कीमती वन भूमि पर अवैध कब्जे और खेतीबाड़ी का मामला सामने आया है। आरोप है कि लंबे समय से भू-माफिया वन विभाग और राजस्व विभाग की मिलीभगत से इस भूमि पर खेती कर रहे थे। सोमवार को वन विभाग ने मौके पर बड़ी कार्रवाई करते हुए एक ट्रैक्टर को जब्त किया है, जबकि दो ट्रैक्टर गंगा की बीच धारा में फंसे मिले।
यह कार्रवाई वन प्रभागीय निदेशक जय सिंह कुशवाह के निर्देश पर एसडीओ ज्ञान सिंह की टीम द्वारा की गई।

सेंचुरी क्षेत्र में चल रही थी अवैध जुताई और बुवाई
मामला बिजनौर (Bijnor) के रावली क्षेत्र का है, जो गंगा किनारे सेंचुरी (संरक्षित वन क्षेत्र) के रूप में अधिसूचित है। सोमवार को ग्रामीणों ने देखा कि 6 से 7 ट्रैक्टर वन भूमि में जुताई और बुवाई कर रहे हैं।
ग्रामीणों को शक हुआ कि यहां पर कोई बड़ी अवैध गतिविधि चल रही है, जिसके बाद उन्होंने तुरंत वन विभाग को सूचना दी।
सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम मौके के लिए रवाना हुई।
जैसे ही टीम वहां पहुंची, उन्होंने देखा कि गंगा किनारे बड़े पैमाने पर वन भूमि की जुताई चल रही थी और खेतों में बुवाई की तैयारी की जा रही थी।
पुलिस और वन विभाग की संयुक्त कार्रवाई, ट्रैक्टर जब्त
बिजनौर (Bijnor) वन विभाग की टीम ने तत्काल स्थानीय पुलिस फोर्स को बुलाया और संयुक्त रूप से छापेमारी की।
चूंकि सेंचुरी क्षेत्र गंगा के पार स्थित है, इसलिए पुलिस टीम नाव के माध्यम से नदी पार कर मौके पर पहुंची।
टीम को अपनी ओर आता देख कई ट्रैक्टर चालक ट्रैक्टर लेकर मौके से फरार हो गए, लेकिन विभागीय टीम ने एक ट्रैक्टर को कब्जे में ले लिया।
जबकि दो ट्रैक्टर गंगा की बीच धारा में फंसे मिले, जिन्हें निकालने की प्रक्रिया चल रही है।
बिजनौर (Bijnor) वन विभाग के अधिकारियों ने मौके पर स्पष्ट किया कि यह पूरी भूमि वन विभाग के अधीन है और यहां किसी भी प्रकार की खेती-बाड़ी पूर्णतः अवैध है।
स्थानीय लोगों ने जमीन अपनी बताई, विभाग ने मांगे दस्तावेज
कार्रवाई के दौरान कुछ स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे और इस भूमि को अपनी बताने लगे। उन्होंने वन विभाग की टीम से कहा कि उनके पास जमीन के कागजात हैं।
जिस पर एसडीओ ज्ञान सिंह बिजनौर (Bijnor) ने उन्हें मंगलवार को अपने दस्तावेज लेकर वन विभाग कार्यालय में उपस्थित होने के निर्देश दिए।
वन विभाग ने इस घटना को गंभीर मानते हुए राजस्व विभाग को पत्र भेजा है और यह जानकारी मांगी है कि इस क्षेत्र में किन किसानों या व्यक्तियों के नाम जमीन आवंटित की गई है।
वन विभाग की सख्ती, आगे और होगी कार्रवाई
बिजनौर (Bijnor) के प्रभागीय निदेशक जय सिंह कुशवाह ने बताया कि सेंचुरी क्षेत्र में किसी भी प्रकार का निजी स्वामित्व या खेती-बाड़ी वन अधिनियम का उल्लंघन है।
“यह भूमि वन विभाग की संपत्ति है। यहां किसी को भी जुताई या बुवाई की अनुमति नहीं है। हमने एक ट्रैक्टर कब्जे में लिया है और शेष ट्रैक्टरों की पहचान की जा रही है। दोषियों पर कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी,” उन्होंने कहा।
अधिकारियों ने यह भी बताया कि वन विभाग की टीमें लगातार सेंचुरी क्षेत्र में गश्त कर रही हैं ताकि भविष्य में किसी प्रकार की अतिक्रमण की पुनरावृत्ति न हो।
भू-माफियाओं पर शिकंजा कसने की तैयारी
बिजनौर (Bijnor) की इस घटना के बाद यह साफ हो गया है कि भू-माफिया लंबे समय से गंगा किनारे की वन भूमि पर कब्जा जमाए बैठे थे। सूत्रों के अनुसार, इन लोगों ने यहां वर्षों से खेती करके करोड़ों रुपये का मुनाफा कमाया है।
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि इस क्षेत्र में कुछ प्रभावशाली लोग वन भूमि को अपनी बताकर बुवाई करते हैं और बाद में उसी भूमि पर निर्माण या बिक्री की कोशिश करते हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि इस पूरे प्रकरण की जांच उच्च स्तरीय स्तर पर कराई जाए और जिम्मेदार अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो।
वन और राजस्व विभाग की भूमिका पर उठे सवाल
बिजनौर (Bijnor) का यह मामला एक बार फिर वन और राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।
अगर इतने लंबे समय से सेंचुरी क्षेत्र की भूमि पर अवैध खेती चल रही थी, तो दोनों विभागों को इसकी जानकारी क्यों नहीं हुई?
स्थानीय लोग आरोप लगा रहे हैं कि मिलीभगत के बिना इतनी बड़ी गतिविधि संभव नहीं।