ब्यरो रिपोर्ट: प्रयागराज में महाकुंभ (Mahakumbh) का आयोजन हो रहा है. जहां देश-विदेश से करोड़ों साधु-संत और श्रद्धालु अमृत स्नान के लिए पहुंच रहे हैं. ऐसे में संगम नगरी की रौनक भी देखने लायक है. महाकुंभ में कई ऐसे भी साधु संत पहुंच रहे हैं जो अपने खास अंदाज के लिए चर्चा का विषय बने हुए हैं.
इन्ही में से एक आचार्य रुपेश झा भी है. जिनकी कहानी काफी दिलचस्प है. आचार्य रुपेश झा 7 बार यूजीसी, 2 बार जेआरएफ और 3 सरकारी नौकरियां छोड़ चुके हैं.
बता दे आचार्य रुपेश झा बेहद पढ़े लिखे है. उन्होंने तीन-तीन सरकारी नौकरियों इसलिए को छोड़ी, क्योंकि उनका किसी में मन नहीं लगा. बताया जा रहा है कि बाद उन्होंने बिहार के मोतिहारी में एक गुरुकुल ज्वाइन किया. इस गुरुकुल में 125 बच्चे पढ़ाई करते थे, जहां उन्हें संस्कृत पढ़ाई जाती है.
गुरुकुल से ही आचार्य ने देश में सनातन धर्म को मज़बूत करने का बीड़ा उठाया हैं. आचार्य बताते है कि उनके जीवन का लक्ष्य है कि वो पूरे मिथिलांचल और पूरे बिहार में 108 गुरुकुल खोलें, जहां सनातन की शिक्षा मिल सके. (Mahakumbh)
Mahakumbh पहुंचे आचार्य ने सरकारी नौकरी छोड़ी हैं।
आपको बता दे आचार्य रुपेश झा मूल रूप से मिथिलांचल के रहने वाले हैं वो मधुबनी जिले में लक्ष्मीपति गुरुकुल में शिक्षा देते हैं. आचार्य यहां अपने गुरुकुल के 25 शिष्यों के साथ महाकुंभ (Mahakumbh) में स्न्नान के लिए आएं हैं. आचार्य ने बताया कि खुद को बहुत सौभाग्यशाली मानते हैं कि उन्हें मनुष्य का जीवन मिला, और सनातन धर्म में पैदा हुए. ये भी कहा कि संस्कृत विद्या का ज्ञान अर्जित कर गंगा के तट पर उन्हें बैठकर पूजा-अर्चना करने का अवसर मिला.
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वही आचार्य रुपेश ने कहा कि उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के किरोड़ीमल कॉलेज से पढ़ाई की है. और उसके बाद उनकी तीन बार तीन सरकारी नौकरियां लगीं थी, लेकिन उन्होंने तीनों नौकरियो को छोड़ दिया. सात बार उन्होंने यूजीसी और 2 बार जेआरएफ क्वालिफ़ाई किया।
लेकिन फिर भी उनका मन कहीं भी लगा नहीं, जिसके बाद उन्होंने फैसला किया कि वो गुरुकुल में बच्चों के शिक्षा देने का काम करेंगे ताकि अपने धर्म को को बढ़ावा दे पाए। जिसके लिए बेहद सजग रहने की जरुरत है. आचार्य ने कहां कि हम जिस तरह रह रहे हैं उससे काम नहीं चलने वाला है. सभी को एकजुट होकर रहना पड़ेगा. (Mahakumbh)