Bijnor Me Sareaam Avaidh Khanan Line Me Lage Dumper
बिजनौर (संवाददाता महेंद्र सिंह) : बिजनौर (Bijnor) जिले के नजीबाबाद तहसील क्षेत्र में अवैध खनन का खेल एक बार फिर खुलकर सामने आया है। कोटद्वार रोड पर वीरूवाला नदी के पास देर रात से ही डंपरों की लंबी-लंबी लाइनें लगी देखी जा रही हैं। हैरानी की बात यह है कि इनमें से अधिकतर वाहन बिना नंबर प्लेट के हैं और खुलेआम रेत से भरे हुए दौड़ रहे हैं। यह नज़ारा प्रशासनिक कार्रवाई और खनन नियमों पर बड़े सवाल खड़े करता है।
सूत्रों के अनुसार, नदी से अवैध रूप से रेत निकाली जा रही है और इसमें कुछ चुनिंदा वाहन मालिकों को ही खनन की अनुमति दी गई है। ऐसे में अन्य वाहन चालक आक्रोशित हैं और आरोप लगा रहे हैं कि यह पूरा खेल मिलीभगत का परिणाम है। प्रशासन की ओर से खानापूर्ति के नाम पर सिर्फ सड़क पर कुछ गाड़ियों को पकड़ने की औपचारिकता निभाई जा रही है, जबकि असली खनन स्थल पर कोई रोक-टोक नहीं है।

बिना नंबर डंपरों की भरमार, रेत माफियाओं का खुला खेल
बिजनौर (Bijnor) जिले की वीरूवाला नदी पर हर दिन सुबह से लेकर देर रात तक सैकड़ों ट्रक और डंपर रेत लादते हुए देखे जा सकते हैं। इनमें से अधिकांश के पास न तो वैध रॉयल्टी स्लिप होती है और न ही नंबर प्लेट। चालक बेखौफ होकर नदी में उतरकर रेत निकालते हैं और पुलिस-प्रशासन के सामने से गुजरते हुए भी उन्हें रोकने की हिम्मत कोई नहीं करता।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह खनन कार्य लंबे समय से चल रहा है और इसमें स्थानीय प्रभावशाली लोगों की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता। कई बार शिकायतें होने के बावजूद न तो पुलिस ने कोई ठोस कार्रवाई की और न ही खान विभाग ने जांच की जहमत उठाई। नतीजा यह है कि नदी की गहराई लगातार बढ़ती जा रही है और पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ रहा है।
आक्रोशित चालक बोले—‘केवल चुनिंदा लोगों को मिलती है छूट’
बिजनौर (Bijnor) में खनन कार्य में लगे कई डंपर चालकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वीरूवाला नदी में खनन का काम कुछ खास वाहन मालिकों को ही करने दिया जा रहा है। बाकी चालकों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। उन्होंने बताया कि अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचते और केवल रोड पर दिखावे के लिए दो-चार गाड़ियों को पकड़कर चालान कर देते हैं।
एक चालक ने कहा, “अगर खनन की अनुमति है, तो सभी को समान मौका मिलना चाहिए। लेकिन यहां तो केवल रजिस्टर्ड वाहनों को ही फायदा पहुंचाया जा रहा है। बाकी लोग रोजाना नुकसान झेल रहे हैं।”
प्रशासनिक लापरवाही पर उठ रहे सवाल
बिजनौर (Bijnor) जिले की वीरूवाला नदी में बिना नंबर प्लेट वाले वाहनों का संचालन न केवल अवैध है, बल्कि यह प्रशासनिक निष्क्रियता का भी प्रतीक है। नियमों के अनुसार, खनन कार्य केवल उन्हीं वाहनों से किया जा सकता है जिनके पास वैध रॉयल्टी स्लिप और पंजीकरण संख्या हो। इसके अलावा, खनन क्षेत्र में सीमित मात्रा में ही रेत निकाली जा सकती है, ताकि पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे।
लेकिन यहां तस्वीर इसके उलट है — रेत माफिया दिन-रात नदी का सीना छलनी कर रहे हैं, और प्रशासन मौन है। बताया जा रहा है कि खनन से संबंधित विभागों के अधिकारी कई दिनों से क्षेत्र का निरीक्षण करने नहीं पहुंचे।
पर्यावरण और नदी तंत्र पर खतरा
बिजनौर (Bijnor) के स्थानीय पर्यावरण प्रेमियों ने चेतावनी दी है कि अगर इस तरह का खनन जारी रहा तो वीरूवाला नदी का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। रेत के अत्यधिक दोहन से नदी की धारा बदलने का खतरा है, जिससे आसपास की भूमि में कटाव बढ़ेगा और जल स्तर नीचे जाएगा। इससे न केवल पर्यावरण बल्कि किसानों की उपजाऊ जमीन भी प्रभावित होगी।
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि अनियंत्रित खनन से जल जीवन मिशन और भू-जल संरक्षण की योजनाएं भी विफल हो सकती हैं।
अवैध खनन पर कब टूटेगा प्रशासनिक मौन?
बिजनौर (Bijnor) की वीरूवाला नदी में चल रहा अवैध खनन यह दर्शाता है कि नियम-कानून सिर्फ कागज़ों तक सीमित हैं। बिना नंबर प्लेट वाले डंपरों की लगातार आवाजाही और अधिकारियों की चुप्पी प्रशासनिक मिलीभगत की ओर इशारा करती है। अब देखना यह होगा कि जिलाधिकारी बिजनौर (Bijnor) और खनन विभाग कब जागते हैं और इस अवैध कारोबार पर नकेल कसते हैं।