इमरान मसूद का राजनीतिक सफर: मोदी को ‘बोटी-बोटी’ काटने वाला नेता आज क्यों बना कांग्रेस का हीरो?
इमरान मसूद का राजनीतिक सफर एक ऐसी प्रेरणादायक कहानी है जो संघर्ष, दृढ़ता और ऐतिहासिक जीत से भरी हुई है। सहारनपुर से वर्तमान लोकसभा सांसद इमरान मसूद उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक जाना-पहचाना नाम बन चुके हैं। उनका यह सफर पार्टी परिवर्तन, चुनावी हार-जीत और व्यक्तिगत विकास से गुजरा है। एक विवादास्पद छवि से शुरूआत करने वाले इस नेता ने समय के साथ खुद को समावेशी और जन-केंद्रित राजनेता के रूप में स्थापित किया। इस लेख में हम आपको इमरान मसूद के राजनीतिक सफर, उनके संघर्ष और 2024 की ऐतिहासिक जीत की पूरी कहानी बताएंगे।
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इमरान मसूद:प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि
जन्म और पारिवारिक विरासत
इमरान मसूद का जन्म 21 अप्रैल 1971 को उत्तर प्रदेश के गंगोह में हुआ था। वे एक प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं, जिसकी जड़ें सहारनपुर क्षेत्र में गहरी जमी हुई हैं। उनके परदादा काजी कयूम अहमद को 1923 में गंगोह क्षेत्र का अध्यक्ष चुना गया था, जबकि उनके दादा काजी मसूद अहमद ने 27 साल से अधिक समय तक गंगोह नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष के रूप में सेवा की और 1969 में नकुर से निर्दलीय विधायक बने। इमरान के पिता राशिद मसूद ने भी गंगोह नगर पालिका के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
इमरान के चाचा रशीद मसूद का प्रभाव उनके जीवन में सबसे अधिक रहा। रशीद मसूद 1977 में सहारनपुर से सांसद चुने गए और पांच बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया, जिसमें उनका आखिरी कार्यकाल 2004 में समाजवादी पार्टी से शुरू हुआ। इस समृद्ध राजनीतिक विरासत ने इमरान मसूद के राजनीतिक सफर की नींव रखी।
शिक्षा और व्यक्तिगत जीवन
इमरान मसूद ने अपनी स्कूली शिक्षा एचआर इंटर कॉलेज गंगोह से पूरी की। व्यक्तिगत जीवन में वे सायमा मसूद से विवाहित हैं और पांच बेटियों के पिता हैं। सहारनपुर में रहते हुए वे अपने निर्वाचन क्षेत्र से गहरा जुड़ाव बनाए रखते हैं।
Imran Masood Biography
राजनीतिक सफर की शुरुआत
स्थानीय राजनीति में कदम:2001
इमरान मसूद का राजनीतिक सफर औपचारिक रूप से 2001 में शुरू हुआ, जब उन्होंने सहारनपुर नगर पालिका परिषद के लिए चुनाव लड़ा। 2006 तक वे इस परिषद के अध्यक्ष बन गए, जिससे उन्हें प्रशासनिक अनुभव प्राप्त हुआ और स्थानीय स्तर पर उनकी पहचान मजबूत हुई। इस दौरान उन्होंने शहर के विकास के लिए कई योजनाएं शुरू कीं, जिससे उनकी छवि एक सक्रिय नेता के रूप में उभरी।
पहली बड़ी जीत: 2007
2007 में इमरान मसूद ने मुजफ्फराबाद (अब बेहट) विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। यह जीत उनके राजनीतिक सफर में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर थी। 2007 से 2012 तक विधायक रहते हुए उन्होंने 2008-09 में उत्तर प्रदेश विधानसभा की विशेषाधिकार समिति के सदस्य के रूप में भी कार्य किया।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में उभरता चेहरा
कांग्रेस में बढ़ती भूमिका
2019 से 2020 तक वे उत्तर प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष रहे और 2020-21 में सलाहकार परिषद के सदस्य बने। इसके बाद उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC)का राष्ट्रीय सचिव और दिल्ली का प्रभारी नियुक्त किया गया। इन पदों ने उनके राजनीतिक कद को और ऊंचा किया।
2014 का लोकसभा चुनाव और विवाद
इमरान मसूद विवादित बयान और गिरफ्तारी
2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने इमरान मसूद को सहारनपुर से उम्मीदवार बनाया। हालांकि, मार्च 2014 में उनका एक विवादित वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वे तत्कालीन भाजपा उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करते नजर आए। इस बयान के बाद 29 मार्च 2014 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उनके समर्थकों ने दावा किया कि यह वीडियो पुराना था और इसे राजनीतिक नुकसान पहुंचाने के लिए लीक किया गया। इस विवाद के कारण वे भाजपा के राघव लखनपाल से चुनाव हार गए।
2017 और 2019 के चुनावी संघर्ष
लगातार चुनौतियां
2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में इमरान मसूद ने नकुर सीट से समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा, लेकिन भाजपा के धरम सिंह सैनी से हार गए। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी वे सहारनपुर से बसपा के हाजी फजलुर रहमान से हार का सामना करना पड़ा। इन हारों ने उनके राजनीतिक सफर में संघर्ष को और गहरा कर दिया।
कांग्रेस में वापसी और 2024 की ऐतिहासिक जीत
पार्टी परिवर्तन का दौर
इमरान मसूद का राजनीतिक सफर विभिन्न दलों के बीच यात्रा से चिह्नित रहा। 2022 में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर समाजवादी पार्टी जॉइन की, लेकिन यह जुड़ाव लंबा नहीं चला। इसके बाद वे बसपा में गए, जहां से उन्हें 2023 में निष्कासित कर दिया गया। 7 अक्टूबर 2023 को उन्होंने कांग्रेस में “घर वापसी” की और घोषणा की कि वे अब कभी पार्टी नहीं छोड़ेंगे।
2024: क्या ‘बोटी-बोटी’ वाला बयान हुआ फायदेमंद?
2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें सहारनपुर से उम्मीदवार बनाया। इस बार उन्होंने भाजपा के राघव लखनपाल को 64,542 वोटों के अंतर से हराकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की। 4 जून 2024 को वे आधिकारिक रूप से सहारनपुर के सांसद बने। यह जीत उनके संघर्ष भरे सफर का सबसे बड़ा इनाम थी।
प्रमुख पद और जिम्मेदारियां
इमरान मसूद ने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण पद संभाले:
- 2006: सहारनपुर नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष – जीत (43.60% वोट, 3,200 वोटों से), Vs हरीश मलिक
- 2007-2012: उत्तर प्रदेश विधानसभा विधायक (मुजफ्फराबाद) – जीत (28.14% वोट, 33,800 वोटों से), प्रतिद्वंदी जगदीश सिंह राणा (SP – 25.77%)।
- 2008-2009: उत्तर प्रदेश विधानसभा की विशेषाधिकार समिति के सदस्य।
- 2012: नकुड विधानसभा सीट (कांग्रेस) – हार (36.71% वोट, 4,564 वोटों से), Vs धर्म सिंह सैनी (BSP – 38.59%)।
- 2014: सहारनपुर लोकसभा सीट (कांग्रेस) – हार (34.15% वोट, 50,000+ वोटों से), Vs राघव लखनपाल (BJP – 39.60%)।
- 2017: नकुड विधानसभा सीट (SP-कांग्रेस गठबंधन) – हार (35.51% वोट, 12,345 वोटों से), Vs धर्म सिंह सैनी (BJP – 37.11%)।
- 2019: सहारनपुर लोकसभा सीट (कांग्रेस) – हार ( 28,000 वोटों से), प्रतिद्वंदी हाजी फजलुर रहमान (BSP – 41.74%)।
- 2019-2020: उत्तर प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष।
- 2020-2021: उत्तर प्रदेश कांग्रेस की सलाहकार परिषद के सदस्य।
- 2021-2022: AICC राष्ट्रीय सचिव एवं दिल्ली प्रभारी।
- 2024: सहारनपुर 17वीं लोकसभा सीट (कांग्रेस) – जीत ( 64,542 वोटों से), प्रतिद्वंदी राघव लखनपाल (BJP – 39.3%)
राजनीतिक जीवन में संघर्ष और पुनरुत्थान
इमरान मसूद का राजनीतिक सफर उतार-चढ़ाव से भरा रहा। नगर पालिका अध्यक्ष से सांसद बनने तक उन्होंने कई चुनौतियों का सामना किया। 2014 के विवाद और लगातार हार के बावजूद उन्होंने अपने जनाधार को बनाए रखा। 2024 की जीत उनके पुनरुत्थान का प्रमाण है, जो उन्हें उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक मजबूत नेता के रूप में स्थापित करती है।
राजनीतिक विश्लेषण
- मजबूत पक्ष: पश्चिमी UP में मुस्लिम वोटबैंक पर पकड़, आक्रामक भाषण शैली।
- कमजोरियाँ: पार्टी बदलने की प्रवृत्ति, विवादों से घिरे रहना।
- भविष्य की रणनीति: 2027 UP विधानसभा में कांग्रेस को 50+ सीटें दिलाना
हाल की पहल: कांवर शिविर
2024 की जीत के बाद इमरान मसूद ने समावेशी राजनीति पर जोर दिया। हाल ही में उन्होंने सहारनपुर में “शिव भक्त कांवरियों” के लिए एक कांवर शिविर का आयोजन किया, जहां उन्होंने व्यक्तिगत रूप से भोजन और फल वितरित किए। यह पहल धार्मिक एकता को बढ़ावा देने का एक बड़ा कदम था।
इमरान मसूद, बदला जाए सहारनपुर और देवबंद रेलवे स्टेशन का नाम
सहारनपुर से सांसद इमरान मसूद ने कहा कि सहारनपुर रेलवे स्टेशन का नामकरण मां शाकंभरी देवी और देवबंद रेलवे स्टेशन का नाम मौलाना हुसैन अहमद मदनी साहब के नाम पर रखा जाए। वहीं जिले में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार की भी मांग की। Source: अमर उजाला
प्रमुख नीतियाँ एवं पहल
- पश्चिमी UP को अलग राज्य बनाने की माँग।
- सहारनपुर में हाईकोर्ट बेंच स्थापित करने की वकालत।
- कृषि सुधार: किसानों के लिए बीज-उर्वरक सब्सिडी और फसल बीमा योजनाएँ।
- साम्प्रदायिक सद्भाव: 2024 में कांवर यात्रियों के लिए शिविर आयोजित कर हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश
निष्कर्ष
इमरान मसूद का राजनीतिक सफर, उनके संघर्ष और 2024 की ऐतिहासिक जीत की पूरी कहानी भारतीय राजनीति में दृढ़ता और विकास का प्रतीक है। एक स्थानीय नेता से सांसद बनने तक का उनका यह सफर प्रेरणादायक है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विकास और सामुदायिक एकता के लिए उनकी प्रतिबद्धता उन्हें भविष्य में एक प्रभावशाली नेता बनाती है।