सहारनपुर सांसद Imran Masood का बयान: बसपा से गठबंधन से कांग्रेस को मिल सकता है बड़ा फायदा!
ब्यूरो रिपोर्टः उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से सांसद Imran Masood द्वारा समाजवादी पार्टी के बजाय बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन से अधिक फायदा होने के बयान ने सियासी सरगर्मी बढ़ा दी है। कांग्रेस और सपा के साथ बसपा के नेता भी Imran Masood के बयान के सियासी निहितार्थ तलाशने में जुट गए हैं। जानकारों के मुताबिक कांग्रेस और सपा के बीच बढ़ती दूरी बसपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।
सहारनपुर सांसद Imran Masood का बयान
हालांकि बसपा कांग्रेस का हाथ आसानी से नहीं थामेगी। दरअसल, कांग्रेस और सपा के नेताओं के बीच अक्सर बयानबाजी से गठबंधन समाप्त होने की अटकलें लगती रहती हैं। दरअसल लोकसभा चुनाव के बाद एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी में इजाफा भी हुआ है। लोकसभा चुनाव में 6 सीटें जीतने के बाद कांग्रेस प्रदेश में अपने पैर मजबूती से जमाने की कवायद में जुटी है, जिसके लिए सपा से ज्यादा बसपा फायदेमंद लग रही है।
बसपा आगामी पंचायत चुनाव से दूरी बनाकर रखेगी
लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने बसपा को भी साथ जोड़ने की असफल कोशिश की थी। हालांकि बसपा ने बीते कई चुनाव अकेले दम पर लड़ कर साफ कर दिया है कि वह किसी भी दल के साथ गठबंधन करने के पक्ष में नहीं है। पार्टी सूत्रों की मानें तो बसपा आगामी पंचायत चुनाव से दूरी बनाकर रखेगी, ताकि डेढ़ साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले संगठन को मजबूत किया जा सके।
बसपा से निष्कासन के बाद इमरान मसूद की राजनीतिक स्थिति
बसपा सुप्रीमो मायावती पहले ही गठबंधन से पार्टी को फायदे की जगह नुकसान होने की बात कह चुकी हैं। वह अपने बयानों में कांग्रेस पर खासा हमलावर भी रहती हैं। दरअसल, कांग्रेस और सपा के बीच बढ़ती दूरी ने कई नेताओं की बेचैनी भी बढ़ा दी है। पूर्व बसपा सांसद गिरीश चंद्र पार्टी में वापसी कर चुके हैं तो हाल ही में आकाश आनंद को चीफ नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाए जाने का स्वागत पूर्व बसपा सांसद मलूक नागर ने किया है।

बसपा नेता लगातार जिलों में काडर कैंप आदि के जरिये अन्य दलों के नेताओं को पार्टी में शामिल करा रहे हैं। वहीं तीनों नेशनल कोऑर्डिनेटर अन्य राज्यों में पार्टी का जनाधार बढ़ाने में जुटे हैं। बिहार विधानसभा चुनाव के बाद यूपी में भी बड़े पैमाने पर पार्टी सदस्यता अभियान शुरू करने जा रही है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम वोटों पर असर
काग्रेंस सांसद Imran Masood का बसपा गठबंधन बयान सिर्फ एक राजनेता की राय नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश की बदलती सियासी दिशा का संकेत है। उन्होंने सपा से दूरी और बसपा से समीकरण को जिस तरह से सामने रखा है, वह यह दर्शाता है कि कांग्रेस अब नई रणनीति पर विचार कर रही है। दरअसल यह बयान खासतौर पर मुस्लिम-दलित वोट बैंक की राजनीति में हलचल पैदा कर सकता है।
कांग्रेस और सपा के रिश्तों में आई खटास
कांग्रेस और सपा के रिश्तों में आई खटास के बीच अगर बसपा जैसे दल से गठबंधन होता है, तो यह यूपी में एक नई सियासी धुरी तैयार कर सकता है। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि बसपा, जो अपनी राजनीतिक स्वायत्तता के लिए जानी जाती है, कांग्रेस की ओर कितना झुकाव दिखाती है। वहीं, Imran Masood की यह रणनीति उन्हें कांग्रेस में फिर से एक महत्वपूर्ण चेहरा बना सकती है।
दरअसल Imran Masood का यह बयान केवल गठबंधन की रणनीति नहीं, बल्कि कांग्रेस की बदलती प्राथमिकताओं और सपा के साथ उसके संबंधों में दरार की भी पुष्टि करता है। Imran Masood की यह राय कांग्रेस के अंदर एक नई बहस को जन्म दे सकती है, जो आने वाले लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी की रणनीति को प्रभावित करेगी।
हालांकि, बसपा जैसे दल की स्वायत्तता और कांग्रेस की गिरती साख को देखते हुए, इस गठबंधन की राह आसान नहीं होगी। लेकिन Imran Masood के इस बयान ने इतना ज़रूर तय कर दिया है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति अब एक नए मोड़ पर खड़ी है, और हर दल को अपनी रणनीति फिर से तय करनी होगी।