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होली पर मांस-मदिरा का सेवन और कीचड़ फेंकने वालों को Premanand Maharaj का 1 सख्त संदेश।

Premanand Maharaj

ब्यूरो रिपोर्ट : प्रेमानंद महाराज (Premanand Maharaj) का होली पर संदेश,होली का पर्व भारत में हर्षोल्लास और रंग-गुलाल के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष 14 मार्च को होली धूमधाम से मनाई जाएगी। त्योहारों के इस मौसम में समाज के विभिन्न वर्गों से जुड़े संदेश भी सामने आते हैं। इसी संदर्भ में गुरु प्रेमानंद महाराज (Premanand Maharaj) ने होली के अवसर पर मांस-मदिरा का सेवन और कीचड़ फेंकने जैसी गतिविधियों पर सख्त टिप्पणी की है।

Premanand Maharaj का दृष्टिकोण

प्रेमानंद महाराज (Premanand Maharaj) के अनुसार, होली का वास्तविक आनंद भाईचारे, सद्भावना और धार्मिक अनुष्ठानों में निहित है। उनका मानना है कि होली के दिन नशे का सेवन और कीचड़ फेंकने जैसी गतिविधियाँ हमारी सभ्यता और संस्कृति के खिलाफ हैं। वे इसे राक्षसी प्रवृत्तियों के समान मानते हैं।

होली पर मांस-मदिरा का सेवन और कीचड़ फेंकने वालों को Premanand Maharaj का 1 सख्त संदेश।

संदेश का सार

महाराज जी का संदेश स्पष्ट है:

नशे से दूर रहें: होली के दिन मांस, मदिरा और अन्य नशीले पदार्थों से बचें।

सभ्यता का पालन करें: कीचड़ फेंकने, गंदी हरकतें करने से बचें।

सद्भावना बढ़ाएं: एक-दूसरे पर गुलाल लगाकर, भजन गायन करके और मिठाईयों का आदान-प्रदान करके होली मनाएं।

होली पर मांस-मदिरा का सेवन और कीचड़ फेंकने वालों को Premanand Maharaj का 1 सख्त संदेश।

आध्यात्मिक दृष्टिकोण

प्रेमानंद महाराज (Premanand Maharaj) का मानना है कि नशे में होली खेलने से मानसिक स्पष्टता में कमी आती है, जिससे झगड़े और विवाद हो सकते हैं। वे हमें याद दिलाते हैं कि हमारे पूर्वज और संत सरल आहार और संयमित जीवन के माध्यम से महान थे, और हमें भी उसी मार्ग पर चलना चाहिए।

होली पर मांस-मदिरा का सेवन और कीचड़ फेंकने वालों को Premanand Maharaj का 1 सख्त संदेश।

समाज के लिए संदेश

गुरु प्रेमानंद महाराज (Premanand Maharaj) की शिक्षाएँ हमें यह समझाती हैं कि होली जैसे पवित्र पर्व को आनंद और उल्लास के साथ मनाने के लिए हमें अपनी परंपराओं और संस्कारों का पालन करना चाहिए। नशे और अनावश्यक गतिविधियों से दूर रहकर, हम समाज में सकारात्मक ऊर्जा और भाईचारे का प्रसार कर सकते हैं।

होली पर मांस-मदिरा का सेवन और कीचड़ फेंकने वालों को Premanand Maharaj का 1 सख्त संदेश।

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होली का त्योहार रंग, उमंग और भाईचारे का प्रतीक है। गुरु प्रेमानंद महाराज के उपदेश हमें याद दिलाते हैं कि इस पर्व को हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर के अनुसार मनाना चाहिए, जिससे समाज में सद्भावना और एकता बढ़े।

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