Kapil Dev Aggarwal (Minister of State with Independent Charge - Uttar Pradesh) Ne Muzaffarnagar Me Diya Bada Bayaan
मुजफ्फरनगर संवाददाता गौरव चौटाला उत्तर प्रदेश की सियासत एक बार फिर से गरम हो गई है। समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री आज़म खान की रिहाई को लेकर जहां सपा खेमे में जश्न का माहौल है, वहीं मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) के भाजपा नेता कपिल देव अग्रवाल इसे राजनीतिक हथियार बनाने में जुट गए हैं। योगी सरकार में स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने इस मुद्दे पर बड़ा बयान देते हुए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर सीधा निशाना साधा है।

अखिलेश की चुप्पी पर सवाल
मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) में मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने कहा कि अगर अखिलेश यादव को यह लगता था कि भाजपा सरकार में आज़म खान के साथ पक्षपात किया गया है, तो समाजवादी पार्टी को सड़कों पर उतरकर आंदोलन करना चाहिए था। लेकिन न तो पार्टी ने आंदोलन किया और न ही सरकार के खिलाफ कोई बड़ा प्रदर्शन। यही वजह है कि मुस्लिम समाज अखिलेश यादव से नाराज़ है।
उन्होंने कहा कि तकरीबन 23 महीने जेल में रहने के बाद आज़म खान भले ही बाहर आ गए हों, लेकिन इस दौरान सपा ने उनके समर्थन में अपेक्षित संघर्ष नहीं किया। यही कारण है कि मुस्लिम समाज और खुद आज़म खान भी अखिलेश यादव से नाराज़ हो सकते हैं।
“180 मुकदमों के बावजूद स्वागत होगा, लेकिन…”
मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) में कपिल देव अग्रवाल ने यह भी कहा कि आज़म खान के ऊपर 180 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं। यह सभी मुकदमे अभी विचाराधीन हैं, लिहाज़ा उनकी रिहाई का अर्थ यह नहीं है कि सारे मामले खत्म हो गए हैं। मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) में उन्होंने कहा – “स्वागत तो उनके शुभचिंतक करेंगे, लेकिन अहम सवाल यह है कि अगर उनके साथ पक्षपात हुआ था तो अखिलेश यादव ने संघर्ष क्यों नहीं किया? यही बात मुस्लिम समाज को अखर रही है।”
महाराष्ट्र के गरबा विवाद पर भी बयान
कपिल देव अग्रवाल ने महाराष्ट्र में विश्व हिंदू परिषद (VHP) द्वारा नवरात्र के दौरान गरबा में मुस्लिम समाज के लोगों की नो-एंट्री के फैसले का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह स्वागत योग्य कदम है।
मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) में उन्होंने कहा – “गरबा शुद्ध रूप से हिंदुओं का पर्व है और खासकर महिलाओं का त्योहार है। महिलाएं इसमें नृत्य करती हैं, गीत गाती हैं और अपनी सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रखती हैं। ऐसे में मुस्लिम समाज के लोगों का वहां कोई औचित्य नहीं है। यदि प्रतिबंध लगाया गया है तो यह सही और आवश्यक निर्णय है।”
सपा पर बढ़ता दबाव
आज़म खान की रिहाई के बाद से ही सपा पर दबाव लगातार बढ़ रहा है। एक ओर अखिलेश यादव उनकी रिहाई को अपनी राजनीतिक रणनीति से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) में भाजपा नेता कपिल देव अग्रवाल यह संदेश दे रहे हैं कि सपा अपने ही वरिष्ठ नेता के लिए संघर्ष नहीं कर पाई। इसका असर सीधे-सीधे मुस्लिम वोट बैंक पर पड़ सकता है, जो सपा के लिए सबसे अहम आधार रहा है।
भाजपा की रणनीति
विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा इस पूरे मामले को दोहरे लाभ के नजरिए से देख रही है। पहला, सपा की कमजोरी को उजागर करके मुस्लिम मतदाताओं में असंतोष दिखाना और दूसरा, हिंदू मतदाताओं को साधने के लिए गरबा विवाद को मुद्दा बनाना। मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) में कपिल देव अग्रवाल के दोनों बयानों को इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
नतीजा
आज़म खान की रिहाई ने यूपी की राजनीति को नया मोड़ दिया है। जहां अखिलेश यादव उन्हें पार्टी से जोड़े रखने की कोशिश में हैं, वहीं मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) में भाजपा नेता के बयानों से यह स्पष्ट है कि वे इस मुद्दे को मुस्लिम समाज और सपा के बीच अविश्वास की खाई गहराने के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं।
अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आज़म खान आगे क्या रुख अपनाते हैं और अखिलेश यादव इस बढ़ती चुनौती का कैसे सामना करेंगे।