म्यांमार में भूकंप: प्रकृति भयानक का कहर या मानव की गलती?
कल म्यांमार में आए भयानक भूकंप ने सबको हिलाकर रख दिया। ताश के पत्तों की तरह ढह गई बैंकॉक की ऊंची इमारतें देखकर लगा कि शायद कोई आतंकी हमला हो गया, जैसे 9/11। लेकिन नहीं, ये प्रकृति का हमला था।
म्यांमार में 7.7 तीव्रता का यह भूकंप अब तक 700 से ज्यादा जिंदगियां लील चुका है। सुनामी का खतरा भी मंडरा रहा है। तो आइए, इस तबाही के पीछे के कारणों को समझते हैं और जानते हैं कि आगे क्या हो सकता है।
म्यांमार भूकंप: क्या हुआ और कैसे हुआ?
म्यांमार के सगाई शहर के उत्तर-पश्चिम में 7.7 रिक्टर स्केल का भूकंप आया, जिसके बाद 6.5 तीव्रता के आफ्टरशॉक्स ने तबाही को और बढ़ा दिया। अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक, इस भूकंप ने बैंकॉक तक अपनी चपेट में लिया।
इमारतें ढह गईं, सड़कें टूट गईं, और चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई। म्यांमार ने दुनिया से मदद की गुहार लगाई है, लेकिन ये तो बस शुरुआत है। पिछले चार सालों में भूकंप की घटनाएं बढ़ी हैं, और ये सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा।
भूकंप की खासियत: क्यों नहीं मिलती चेतावनी?
भूकंप एक ऐसा प्राकृतिक आपदा है, जिसकी कोई पूर्व चेतावनी नहीं मिलती। लैंडस्लाइड, सुनामी, बाढ़, या ज्वालामुखी विस्फोट की भविष्यवाणी हो सकती है, लेकिन भूकंप? बस 1 मिनट पहले पता चलता है, और तब तक कुछ करने का वक्त ही नहीं बचता। यही वजह है कि ये इतना खतरनाक है।

म्यांमार में बार-बार भूकंप क्यों आते हैं?
म्यांमार में भूकंप का कारण धरती की टेक्टोनिक प्लेट्स हैं। धरती 20 प्रमुख प्लेट्स में बंटी है, जो मैग्मा और कन्वेक्शन करंट की वजह से हिलती रहती हैं। जब ये प्लेट्स पास आती हैं या दूर जाती हैं, तो भूकंप, ज्वालामुखी, और पहाड़ बनते हैं। म्यांमार अल्पाइड बेल्ट में स्थित है, जहां टेक्टोनिक गतिविधियां बहुत ज्यादा हैं।
इंडियन प्लेट और बर्मा प्लेट का खेल
म्यांमार में इंडियन प्लेट बर्मा प्लेट के नीचे सबडक्शन कर रही है, यानी अंदर घुस रही है। ये प्रक्रिया हर साल 2-3.5 सेमी की रफ्तार से चल रही है। जब ये प्लेट्स स्टक होकर अचानक रिलीज होती हैं, तो भूकंप आता है। समुद्र के पास होने की वजह से सुनामी का खतरा भी बढ़ जाता है।
सगाई फॉल्ट जोन: तबाही की जड़
सगाई फॉल्ट जोन म्यांमार के बीच से गुजरता है। ये एक ट्रांसफॉर्म फॉल्ट है, जो भूकंप के लिए जिम्मेदार है। पिछले 170 सालों में यहां 16 बड़े भूकंप आ चुके हैं, जिनमें 1881 और 1941 के भूकंप शामिल हैं। सुनामी की संभावना भी इसे और खतरनाक बनाती है।
मानव की गलतियां: तबाही को न्योता
प्रकृति के अलावा मानव निर्मित कारण भी इस तबाही को बढ़ा रहे हैं। म्यांमार और थाईलैंड में तेजी से शहरीकरण हो रहा है, लेकिन इमारतें नॉन-इंजीनियर्ड हैं। बैंकॉक की 33 मंजिला इमारत का ढहना इसका सबूत है। जापान में शॉक अब्सॉर्बर टेक्नोलॉजी भूकंप से बचाती है, लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं।
डिजास्टर मैनेजमेंट का अभाव
म्यांमार का डिजास्टर रिस्पांस सिस्टम कमजोर है। सिविल वॉर और गरीबी की वजह से वहां न तो इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत है, न ही लोग जागरूक। पुराने रोड, ब्रिज, और डैम इस तबाही को और बढ़ाते हैं।
भविष्य, म्यांमार में भूकंप क्या होगा?
म्यांमार की 2200 किमी लंबी कोस्टलाइन और एक्टिव फॉल्ट्स आगे भी भूकंप और सुनामी का खतरा बढ़ाते हैं। इतिहास बताता है कि ये सिलसिला जारी रहेगा। तो सावधान रहें और जागरूक बनें।