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संभल-वाराणसी के बाद Muzaffarnagar में मिला पूराना मंदिर, मचा हड़कंप…

ब्यूरो रिपोर्टः खबर यूपी के मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) से है, जहां संभल और वाराणसी के बाद अब पश्चिम उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में भी मुस्लिम आबादी के बीच एक शिव मंदिर खंडहर अवस्था में मिला है, जिसके चारों ओर मुस्लिम आबादी है। जहां अब पूजा नहीं होती है। मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) के इस मंदिर में मुसलमान लोग सफाई का कार्य करते हैं, लेकिन मंदिर में धार्मिक अनुष्ठान या पूजा नहीं हो रही है। यह स्थिति एक उदाहरण है कि किस तरह से कुछ स्थानों पर धार्मिक स्थल का उपयोग और देखभाल समुदायों के बीच मिलकर किया जाता है।

 

Muzaffarnagar में मिला पूराना मंदिर

 

संभल-वाराणसी के बाद Muzaffarnagar में मिला पूराना मंदिर, मचा हड़कंप...

 

भले ही पूजा-अर्चना का काम अब नहीं होता हो। ऐसी घटनाएँ अक्सर समाज में धार्मिक सौहार्द और सह-निर्भरता को दर्शाती हैं, लेकिन साथ ही यह भी दिखाती हैं कि कुछ धार्मिक स्थल अब अपनी पारंपरिक भूमिका में नहीं हैं। इस प्रकार की घटनाएं समाज में विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच रिश्तों की जटिलताओं को भी उजागर करती हैं। पहले इस मंदिर में नियमित पूजा-अर्चना होती थी, लेकिन समय के साथ यह पूरी तरह से बंद हो गई। वर्तमान में, मुस्लिम समुदाय के लोग मंदिर की सफाई का काम करते हैं।

 

संभल-वाराणसी के बाद Muzaffarnagar में मिला पूराना मंदिर, मचा हड़कंप...

 

जिससे यह मंदिर साफ-सुथरा रहता है। बताया जाता है कि राम मंदिर विवाद के बाद हुए दंगों के समय यहां पर रहने वाले हिंदू समाज के लोग इस मोहल्ले को छोड़कर दूसरी जगह पलायन कर गए थे। पलायन करते समय ये लोग अपने साथ इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग और अन्य भगवानों की मूर्ति को भी ले गए थे। जिसके बाद से मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) के इस मोहल्ले में लगातार मुस्लिम समाज की आबादी बढ़ती चली गई और यह मंदिर खंडहर हालत में तब्दील हो गया।

 

संभल-वाराणसी के बाद Muzaffarnagar में मिला पूराना मंदिर, मचा हड़कंप...

 

मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) के पलायन करने वाले परिवार के बीजेपी नेता सुधीर खटीक ने बताया कि मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) में 1970 में इस मंदिर की स्थापना हुई थी, वहां पूजा अर्चना लगातार होती रही। इसके बाद जैसे ही राम मंदिर का मुद्दा गरमाया तो वहां मुस्लिम बढ़ते रहे और हिंदू वहां से पलायन कर गए। यह स्थिति एक उदाहरण है कि किस तरह से विभिन्न समुदायों के लोग मिलजुल कर कार्य करते हैं, लेकिन यह भी संकेत देती है कि मंदिर के धार्मिक कार्यों में अब कोई सक्रिय भागीदारी नहीं होती।

 

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यह एक उदाहरण है कि धार्मिक स्थानों की देखभाल और रखरखाव में समुदायों के बीच सहयोग की आवश्यकता होती है, और कभी-कभी धार्मिक गतिविधियों का बदलाव सामाजिक परिप्रेक्ष्य को प्रभावित करता है।

 

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