Shamli झिंझाना बल्हेड़ा जातीय हिंसा: युवक को रेत में जिंदा दफनाने का सनसनीखेज मामला
ब्यूरो रिपोर्टः उत्तर प्रदेश के Shamli के झिंझाना थाना क्षेत्र के गांव बल्हेड़ा में एक गंभीर मामला सामने आया है। जितेंद्र नाम के व्यक्ति को गांव के ही मांगा और सद्दाम ने अपने साथियों के साथ मिलकर घर से बुलाया। आरोपियों ने जितेंद्र के साथ मारपीट की और जाति सूचक शब्दों का प्रयोग किया।
Shamli की दिल दहला देने वाली घटना
आरोपियों ने जितेंद्र को रेत में दफना दिया और उसे मृत समझकर मौके से फरार हो गए। जब देर रात तक जितेंद्र घर नहीं पहुंचा, तो परिजनों ने डायल 112 पर पुलिस को सूचना दी। पीड़ित के परिजन पिछले तीन दिनों से न्याय की गुहार लगा रहे थे। वे थाने से लेकर Shamli एसपी कार्यालय तक गए।
युवक को जिंदा रेत में दफनाया गया
Shamli पुलिस इस मामले को मामूली मारपीट का रूप देकर हल्के में ले रही थी। मामला दो समुदायों का होने और मीडिया में खबर आने के बाद पुलिस सक्रिय हुई। Shamli पुलिस ने पीड़ित की शिकायत पर मुकदमा दर्ज कर लिया है। फिलहाल पीड़ित एक निजी अस्पताल में इलाज करा रहा है। Shamli पुलिस आरोपियों की तलाश में दबिश दे रही है।
Shamli पुलिस ने कहा मामूली मारपीट
Shamli पुलिस अधिकारी इस मामले पर कोई टिप्पणी करने से बच रहे हैं। उत्तर प्रदेश के Shamli जिले के झिंझाना थाना क्षेत्र के गांव बल्हेड़ा में सामने आया यह मामला न केवल दिल दहला देने वाला है, बल्कि यह हमारी समाज व्यवस्था, कानून के क्रियान्वयन और प्रशासन की निष्क्रियता पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।

मामूली मारपीट का मामला बताकर नजरअंदाज
एक युवक को जातिसूचक शब्दों के प्रयोग के साथ पहले बेरहमी से पीटा गया, फिर रेत में जिंदा दफनाया गया और मृत समझकर छोड़ दिया गया। यह सब उसी गांव के लोगों द्वारा किया गया, जो सामाजिक ताने-बाने का हिस्सा हैं। पीड़ित परिवार ने जब न्याय की गुहार लगाई तो Shamli पुलिस ने तीन दिन तक इस घटना को केवल एक मामूली मारपीट का मामला बताकर नजरअंदाज किया।
जब यह मामला मीडिया की नजरों में आया और यह स्पष्ट हुआ कि इसमें दो समुदायों की संलिप्तता है, तब जाकर पुलिस ने शिकायत दर्ज की और कुछ कार्रवाई शुरू की। इस मामले से हमें यह सीखना होगा कि जातीय नफरत को जड़ से खत्म करने के लिए सिर्फ कानून नहीं, समाज की चेतना और जागरूकता की भी सख्त ज़रूरत है।
प्रशासन को इस मामले में तुरंत कठोर कार्रवाई करनी चाहिए ताकि यह एक नज़ीर बने और आगे कोई जितेंद्र इस तरह रेत में दफन न किया जाए न शरीर से, न आवाज़ से। यह घटना एक गंभीर चेतावनी है कि अगर जातीय भेदभाव और पुलिस की निष्क्रियता पर सख्ती से लगाम नहीं लगाई गई, तो समाज में ऐसी घटनाएं बार-बार दोहराई जाएंगी।