Pidit Vidhwa Mahila Kasganj
कासगंज (संवाददाता जयचंद्र) : कासगंज (Kasganj) जनपद के सहावर थाना क्षेत्र के गांव बधारी कलां में रहने वाली मुन्नी देवी का जीवन संघर्षों से भरा हुआ है। महज छह महीने पहले उनके पति की सांस की बीमारी से मौत हो गई थी, जिसके बाद परिवार की पूरी जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई। गरीबी की मार झेल रही यह विधवा महिला गाय का दूध बेचकर किसी तरह से घर का खर्च चलाती है। लेकिन मुश्किलें यहीं खत्म नहीं होतीं।
कासगंज (Kasganj) जिले की मुन्नी देवी का घर पूरी तरह से जर्जर हालत में है। बरसात के दिनों में छत टपकती है और कभी भी दीवार गिरने का खतरा बना रहता है। ऐसे हालात में उनके पांच छोटे-छोटे बच्चों का जीवन संकट में है। परिवार को डर है कि किसी भी दिन कोई बड़ा हादसा हो सकता है।

पात्र होते हुए भी नहीं मिला आवास योजना का लाभ
सरकार की तरफ से गरीबों के लिए चलाई जा रही प्रधानमंत्री आवास योजना और अन्य लाभकारी योजनाओं के बावजूद मुन्नी देवी अब तक इससे वंचित हैं। उनका कहना है कि उन्होंने कई बार अपने गांव के प्रधान से मदद की गुहार लगाई, लेकिन न तो पूर्व प्रधान ने और न ही वर्तमान प्रधान ने उनकी समस्या पर ध्यान दिया।
कासगंज (Kasganj) जिले की मुन्नी देवी का आरोप है कि वह सभी मानकों पर पात्र होते हुए भी योजनाओं से दूर रखी गईं। उनका कहना है कि यदि समय रहते उन्हें पक्का घर नहीं मिला तो उनके परिवार की जिंदगी हर पल खतरे में रहेगी।
पांच बच्चों का भविष्य अधर में
कासगंज (Kasganj) जिले के सहावर थाना क्षेत्र के गांव बधारी कलां में रहने वाली मुन्नी देवी के पास न तो स्थिर आय का साधन है और न ही सुरक्षित रहने की जगह। उनके पांच बच्चे—प्रशा (3 वर्ष), प्रांशी (6 वर्ष), रचना (14 वर्ष), सुषमा (15 वर्ष) और प्रशांत (16 वर्ष)—खस्ताहाल घर में जीवन गुजारने को मजबूर हैं।
बच्चों की पढ़ाई और पढ़ने-लिखने का माहौल भी इस वजह से प्रभावित हो रहा है। छोटे बच्चों को बरसात और सर्दी-गर्मी में घर की जर्जर हालत से ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ती है। परिवार की हालत देखकर ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन को जल्द संज्ञान लेना चाहिए।
प्रशासन और सरकार से लगाई मदद की गुहार
कासगंज (Kasganj) जिले की मुन्नी देवी का कहना है कि वह अब तक कई बार अधिकारियों और ग्राम प्रधान से गुहार लगा चुकी हैं, लेकिन केवल आश्वासन ही मिला है। उनका कहना है कि अगर सरकार और प्रशासन उनके परिवार की सुध ले तो उन्हें राहत मिल सकती है।
कासगंज (Kasganj) जिले के ग्रामीणों ने भी कहा कि इस तरह के जरूरतमंद और बेसहारा परिवारों को योजनाओं का लाभ दिलाना प्रशासन की जिम्मेदारी है। अगर सरकार ऐसे परिवारों को नजरअंदाज करती रही तो योजनाओं का उद्देश्य ही अधूरा रह जाएगा।
गरीबों तक योजना की पहुंच पर उठे सवाल
कासगंज (Kasganj) का यह मामला एक बार फिर सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर सवाल खड़ा करता है। केंद्र और राज्य सरकार गरीबों को आवास देने की घोषणा तो करती हैं, लेकिन जब पात्र लोग ही इससे वंचित रह जाते हैं तो योजनाओं की सफलता पर संदेह पैदा होता है।
मुन्नी देवी जैसी विधवा महिलाओं के लिए पक्का घर सिर्फ सिर छुपाने की जगह ही नहीं, बल्कि उनके बच्चों के भविष्य की सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है। इसलिए जरूरी है कि प्रशासन तत्काल कदम उठाए और उन्हें लाभ दिलाए।
कासगंज (Kasganj) की मुन्नी देवी की कहानी यह बताती है कि योजनाएं बनने के बावजूद जब तक वे सही लोगों तक नहीं पहुंचेंगी, तब तक उनका कोई वास्तविक लाभ नहीं होगा। प्रशासन और सरकार को ऐसे मामलों पर गंभीरता से संज्ञान लेना होगा ताकि समाज के सबसे कमजोर तबके को राहत मिल सके और वे सम्मानजनक जीवन जी सकें।