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Toggleयूपी की बेटियां बनेंगी ज़मीन की मालकिन: एक साल में महिलाओं के नाम होगी 4 लाख करोड़ की संपत्ति
उत्तर प्रदेश में महिला सशक्तिकरण की दिशा में Yogi Adityanath ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। मुख्यमंत्री Yogi Adityanath सरकार की नई पहल के तहत अब महिलाएं एक करोड़ रुपये तक की संपत्ति पर एक प्रतिशत अतिरिक्त स्टांप शुल्क की छूट का लाभ उठा सकेंगी। इस फैसले का असर ज़मीन पर दिखाई देने लगा है। अनुमान है कि इस योजना से एक वर्ष के भीतर करीब 8 लाख महिलाएं संपत्ति की मालकिन बनेंगी, और लगभग 4 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति उनके नाम दर्ज की जाएगी।
Yogi Adityanath की महिला स्वामित्व बढ़ाने की अनूठी पहल
सीएम योगी (Yogi Adityanath) के इस फैसले का उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना और उन्हें पारिवारिक संपत्ति में वास्तविक अधिकार देना है। प्रदेश सरकार का मानना है कि यदि महिलाएं संपत्ति की मालकिन होंगी, तो समाज में उनका सम्मान, आत्मनिर्भरता और निर्णय लेने की क्षमता भी बढ़ेगी।
स्टांप एवं पंजीयन विभाग द्वारा पहले ही परिवार में रक्त संबंधियों (जैसे बेटियों, बहनों) को संपत्ति दान करने की प्रक्रिया को आसान बनाया गया था। सिर्फ ₹5,000 शुल्क पर यह दान संपत्ति की रजिस्ट्री संभव हो गई थी। इससे भी लाखों परिवारों ने अपनी बहनों और बेटियों को संपत्ति में बराबरी का अधिकार दिया।
3 साल में 3.50 लाख महिलाओं के नाम हुई संपत्ति
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले तीन वर्षों में लगभग 3.50 लाख संपत्तियां उत्तर प्रदेश की बहनों और बेटियों के नाम दर्ज की गई हैं। यह संख्या उस समय की तुलना में कई गुना अधिक है जब 2022 से पहले महज 60,000 संपत्तियों पर ही महिलाओं का विधिक हक सुनिश्चित हो पाता था।
यह दर्शाता है कि नीतिगत परिवर्तन और छूट योजनाएं समाज में मानसिकता बदलने में सक्षम रही हैं। अब बेटियों को केवल दया के रूप में नहीं, बल्कि हकदार के रूप में संपत्ति सौंपी जा रही है।

राजस्व मामलों में रिकॉर्ड तोड़ निपटारा
महिलाओं को संपत्ति की मालकिन बनाने के साथ-साथ सरकार ने राजस्व विवादों के निस्तारण में भी जबरदस्त तेजी दिखाई है। पिछले एक वर्ष में उप जिलाधिकारी और तहसीलदार स्तर पर करीब 28 लाख राजस्व मामलों का निस्तारण किया गया है।
इनमें 24 लाख से अधिक नामांतरण के मामले, 1.5 लाख पैमाइश, 80 हजार बेदखली, 95 हजार अकृषक उपयोग, और 1.5 लाख बंटवारे के मामले शामिल हैं। इससे यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार भूमि संबंधी विवादों को प्राथमिकता देकर हल कर रही है, जिससे आम जनता को बड़ा राहत मिली है।
न्याय और पारदर्शिता की दिशा में बदलाव
भूमि विवाद आम तौर पर वर्षों तक न्यायालयों में चलते रहते हैं, जिससे आम नागरिकों को न केवल आर्थिक नुकसान होता है, बल्कि मानसिक तनाव भी बढ़ता है। अब इन मामलों को तहसील और उपजिलाधिकारी स्तर पर तेजी से निपटाया जा रहा है, जिससे लोगों को त्वरित न्याय मिल रहा है।
राजस्व विभाग की सक्रियता और डिजिटल प्रक्रिया के कारण नामांतरण, बंटवारा, और बेदखली जैसे मामलों में भी सुधार हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों में जमीन की पैमाइश और सीमा विवादों को भी त्वरित रूप से सुलझाया गया है, जिससे सामाजिक शांति बनी रहती है।
महिला सशक्तिकरण से आर्थिक विकास
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह फैसला न केवल महिलाओं के लिए सम्मानजनक है, बल्कि यह राज्य के संपत्ति बाजार और अर्थव्यवस्था को भी गति देगा। जब महिलाएं संपत्ति की मालिक बनती हैं, तो वे बेहतर निर्णय ले पाती हैं, बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में निवेश करती हैं।
इसके अलावा, महिलाएं यदि घर की संपत्ति में भागीदार होंगी, तो बैंकिंग और लोन प्रक्रियाएं आसान होंगी। इससे ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में हाउसिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास भी तेजी से होगा।
नया उत्तर प्रदेश, आत्मनिर्भर महिलाएं
उत्तर प्रदेश में जिस तरह से सरकार ने महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने, संपत्ति में उनका हक सुनिश्चित करने, और राजस्व विवादों को हल करने की दिशा में काम किया है, वह अन्य राज्यों के लिए भी उदाहरण बन सकता है।
8 लाख महिलाएं जब संपत्ति की मालिक बनेंगी, तो वह न केवल खुद सशक्त होंगी, बल्कि अपने परिवार, समाज और राज्य की प्रगति में भी निर्णायक भूमिका निभाएंगी।
यह केवल एक योजना नहीं, बल्कि महिला सशक्तिकरण की आधारशिला है, जिससे एक नया उत्तर प्रदेश आकार ले रहा है — जहां बेटियां सिर्फ लक्ष्मी नहीं, वास्तव में संपत्ति की मालकिन बन रही हैं।