Kannauj Karyakarm Me Pahunche Former BJP MP Subrata Pathak
कन्नौज संवाददाता पंकज कुमार श्रीवास्तव उत्तर प्रदेश के कन्नौज (Kannauj) की सियासत इन दिनों बयानबाज़ी के चलते गरमाई हुई है। इसी क्रम में भाजपा के पूर्व सांसद सुब्रत पाठक का एक बयान सुर्खियों में आ गया है। कन्नौज (Kannauj) में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने विपक्षी दलों और उनके नेताओं पर सीधे निशाना साधते हुए कहा कि भारत में जिस तरह अन्ना आंदोलन भ्रष्टाचार के खिलाफ उठा था और उसके परिणामस्वरूप नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने, उसी तरह यदि नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे हालात बने तो विपक्षी नेताओं को जनता के गुस्से का सामना करना पड़ सकता है।

कन्नौज (Kannauj) में पूर्व सांसद का यह बयान राजनीतिक गलियारों में तूफान की तरह फैल गया है। उन्होंने अपने भाषण में राहुल गांधी, अखिलेश यादव और लालू प्रसाद यादव पर भ्रष्टाचार के आरोपों का हवाला देते हुए कहा कि, “इन नेताओं पर कई मुकदमे दर्ज हैं। जब-जब जनता को इनकी नीतियों और भ्रष्टाचार से त्रासदी महसूस होगी, तब-तब प्रतिक्रिया भी उतनी ही तीव्र होगी। नेपाल में आंदोलन भ्रष्टाचार के खिलाफ हुआ, भारत में भी अन्ना हजारे के आंदोलन ने सबको हिलाकर रख दिया। नतीजा यह हुआ कि नरेंद्र मोदी जनता की उम्मीद बने और प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे।”
विपक्ष पर तीखा हमला
कन्नौज (Kannauj) में पाठक ने आगे कहा कि विपक्षी दल लगातार चुनाव हार रहे हैं और इस हताशा के चलते देश में अस्थिरता फैलाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके शब्दों में, “ये लोग समझते हैं कि जनता उन्हें गद्दी सौंपने वाली नहीं है। इसलिए आग लगाओ, असंतोष पैदा करो। लेकिन याद रखो, यदि देशद्रोही तत्व सड़कों पर उतरेंगे तो राष्ट्रवादी उन्हें दौड़ा-दौड़ा कर जवाब देंगे।”
उन्होंने दावा किया कि देश में ऐसा कोई विपक्षी नेता नहीं है जिस पर भ्रष्टाचार के मुकदमे न हों। उनका कहना था कि राहुल गांधी, अखिलेश यादव और लालू प्रसाद यादव जैसे बड़े नाम भी इसी दायरे में आते हैं। इस बयान ने विपक्षी खेमे में नाराज़गी को और बढ़ा दिया है।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और राजद नेताओं ने इस बयान की कड़ी निंदा की है। कांग्रेस के एक प्रवक्ता ने कहा कि “लोकतांत्रिक ढांचे में इस तरह की हिंसात्मक भाषा की कोई जगह नहीं है। यह जनता को भड़काने की कोशिश है और इससे सामाजिक सौहार्द बिगड़ने का खतरा है।”
समाजवादी पार्टी ने इसे भाजपा की बौखलाहट करार दिया। सपा प्रवक्ता ने कहा कि “भाजपा नेताओं को अब जनता के सवालों का जवाब नहीं मिल रहा है। इसलिए वे विपक्ष पर हमला करने और हिंसक धमकियों का सहारा ले रहे हैं।” राजद ने भी इसे लोकतंत्र के लिए ख़तरनाक बताते हुए चुनाव आयोग और प्रशासन से संज्ञान लेने की मांग की है।
प्रशासन की नज़र
कन्नौज (Kannauj) में स्थानीय प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि वे वायरल वीडियो और बयान की जांच कर रहे हैं। यदि बयान में हिंसा भड़काने या कानून-व्यवस्था बिगाड़ने का तत्व पाया गया, तो कार्रवाई संभव है। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, “किसी भी सार्वजनिक मंच से दिए गए बयान का असर व्यापक होता है। यदि किसी के बयान से सामाजिक शांति प्रभावित होती है तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।”
विशेषज्ञों की राय
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पूर्व सांसद का बयान भाजपा की आक्रामक रणनीति का हिस्सा हो सकता है। वर्तमान में विपक्ष लगातार महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है। ऐसे समय में भाजपा नेता विपक्ष को ‘भ्रष्ट’ बताकर जनता का ध्यान भटकाने की रणनीति अपनाते दिखाई दे रहे हैं। हालांकि, हिंसक भाषा और धमकी जैसे शब्द राजनीतिक माहौल को और अस्थिर कर सकते हैं।
कन्नौज (Kannauj) से उठी यह बयानबाज़ी आने वाले दिनों में बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकती है। विपक्षी दल इसे लोकतांत्रिक व्यवस्था पर हमला बता रहे हैं, जबकि भाजपा समर्थक इसे विपक्ष की विफलताओं का आईना कह रहे हैं। प्रशासन की जांच और संभावित कानूनी कदम इस विवाद को और दिशा देंगे। फिलहाल, सुब्रत पाठक का यह बयान उत्तर प्रदेश की राजनीति में चर्चा का केंद्र बना हुआ है और आने वाले समय में इस पर और सियासी गरमाहट देखने को मिल सकती है।