Bijnor Van Vibhag Ne Kuye Me Fase Guldar Ko Nikala
बिजनौर (संवाददाता महेंद्र सिंह) : उत्तर प्रदेश के बिजनौर (Bijnor) जिले के थाना बढ़ापुर क्षेत्र के ग्राम तैयोपुर जंगल इलाके में वन विभाग ने एक गुलदार को पिंजरे में कैद कर लिया है। यह कार्रवाई ग्रामीणों के लिए राहत लेकर आई है क्योंकि यह गुलदार पिछले समय में इलाके में आतंक मचा रहा था और अब तक कम से कम 35 लोगों को अपना शिकार बना चुका था।
बिजनौर (Bijnor) जिले के थाना बढ़ापुर क्षेत्र के ग्राम तैयोपुर के ग्रामीण बताते हैं कि गुलदार अक्सर दिन-रात जंगल के आस-पास गाँव में दिखाई देता था, जिससे इलाके में भय का माहौल बना हुआ था। बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग अब खुले में निकलने में डरते थे। लगातार हमलों और नुकसान की घटनाओं के बाद वन विभाग ने पिंजरा लगाकर गुलदार को पकड़ने का फैसला किया।
पिंजरे में गुलदार के कैद होने के बाद गाँव के लोग राहत की सांस लेने लगे हैं। उन्होंने वन विभाग की इस कार्रवाई की सराहना की और कहा कि अब वे सुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

पिंजरे में कैद करने का दृश्य और ग्रामीणों की प्रतिक्रिया
बिजनौर (Bijnor) जिले के ग्राम तैयोपुर जंगल इलाके में गुलदार को पकड़ने के लिए वन विभाग की टीम ने कई दिन मेहनत की। मौके पर भारी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे, जो इस घटना को देखने के लिए इकट्ठा हुए थे। पिंजरे में गुलदार को कैद होते देख ग्रामीणों में खुशी और राहत दोनों महसूस की गई।
बिजनौर (Bijnor) वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि गुलदार को पकड़ना आसान नहीं था। यह गुलदार काफी चालाक था और लंबे समय से इलाके में आतंक फैला रहा था। विभाग की टीम ने विशेष योजना और उपकरणों का इस्तेमाल करते हुए इसे पकड़ने में सफलता पाई। उन्होंने कहा कि इस कार्रवाई के बाद ग्रामीणों को काफी हद तक सुरक्षा का भरोसा मिला है।
बिजनौर (Bijnor) जिले के स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि पिछले महीनों में गुलदार ने कई घरों के पास हमला किया था और इससे लोगों में भय व्याप्त हो गया था। बच्चों को घर से बाहर खेलने में डर लगता था और महिलाएं खेतों में काम करने में हिचकिचाती थीं। अब गुलदार के पिंजरे में कैद होने से गांव में शांति लौट आई है।
वन विभाग की प्रतिक्रिया और भविष्य की योजना
बिजनौर (Bijnor) वन विभाग के अधिकारी ने कहा कि इस गुलदार को जंगल में छोड़ने से पहले उसका स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा। साथ ही, उसके प्राकृतिक आवास की स्थिति का भी मूल्यांकन किया जाएगा। अधिकारी ने यह भी बताया कि बिजनौर जिले में अब तक गुलदारों के हमलों में कई लोग घायल हो चुके हैं और कुछ की जान भी जा चुकी है। ऐसे में इस तरह की कार्रवाई न केवल सुरक्षा के लिए बल्कि वन्य जीव संरक्षण के लिए भी जरूरी है।
अधिकारियों ने यह स्पष्ट किया कि भविष्य में भी ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए वन विभाग सतर्क रहेगा और ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए समय-समय पर ऑपरेशन जारी रखेगा।
ग्रामीणों की चिंताएं और सुझाव
बिजनौर (Bijnor) जिले के स्थानीय ग्रामीणों ने वन विभाग की इस कार्रवाई की सराहना की, लेकिन उन्होंने यह चिंता भी जताई कि जंगल में गुलदारों की संख्या अधिक होने के कारण भविष्य में ऐसे हादसे फिर से हो सकते हैं। उनका कहना है कि गुलदार और अन्य वन्य जीव मानव बस्तियों में इसलिए आते हैं क्योंकि उनके प्राकृतिक आवास में भोजन और आवास की कमी है।
ग्रामीणों ने आग्रह किया कि वन विभाग को न केवल गुलदार पकड़ने बल्कि जंगलों के संरक्षण और उनके आवास सुरक्षित करने के लिए लंबी अवधि की योजना बनानी चाहिए। इससे भविष्य में मानव-वन्य जीव संघर्ष की घटनाएं कम होंगी और वन्य जीवन भी संरक्षित रहेगा।
सुरक्षा और संरक्षण का संतुलन
बिजनौर (Bijnor) में वन विभाग द्वारा गुलदार को पिंजरे में कैद करना एक सफल सुरक्षा कदम है। यह न केवल ग्रामीणों को सुरक्षा प्रदान करता है बल्कि यह चेतावनी भी देता है कि जंगल और मानव बस्तियों के बीच संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।
बिजनौर (Bijnor) जिले की इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि वन विभाग और ग्रामीणों का सहयोग ही वन्य जीवन संरक्षण और मानव सुरक्षा दोनों को सुनिश्चित कर सकता है। गुलदार के पिंजरे में कैद होने के बाद अब यह जिम्मेदारी बनती है कि वन विभाग ऐसी योजनाएं बनाए जिससे भविष्य में इस तरह के खतरों से बचा जा सके और दोनों पक्षों का संतुलन बना रहे।