लखनऊ में Akhilesh Yadav के खिलाफ पोस्टर वार: ब्राह्मणों का सम्मान बचाने की राजनीति!
ब्यूरो रिपोर्टः उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की सियासत इन दिनों गरमाई हुई है। डिप्टी सीएम बृजेश पाठक और समाजवादी पार्टी प्रमुख Akhilesh Yadav के बीच जुबानी जंग अब पोस्टर वार में तब्दील हो गई है। शहर की दीवारों पर लगे विवादित पोस्टरों ने राजनीतिक माहौल को और भी अधिक तनावपूर्ण बना दिया है।
Akhilesh Yadav के खिलाफ विवादित पोस्टर वार
हाल ही में लखनऊ की प्रमुख सड़कों और सार्वजनिक स्थलों पर कुछ आपत्तिजनक पोस्टर लगाए गए। जिनमें सपा प्रमुख Akhilesh Yadav पर तीखे और व्यक्तिगत हमले किए गए हैं। भारतीय जनता पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश मंत्री जीशान खान ने इस विवाद को और हवा दे दी है। उन्होंने लखनऊ के अलग-अलग इलाकों में ऐसे नए पोस्टर लगवाए हैं, जिनमें समाजवादी पार्टी प्रमुख Akhilesh Yadav पर सीधा हमला किया गया है।
ब्राह्मणों का सम्मान बचाने की अपील
दरअसल इन पोस्टरों में एक बार फिर Akhilesh Yadav के डीएनए पर सवाल उठाते हुए लिखा गया है कि ब्रजेश पाठक का डीएनए पूछने वाले वे लोग हैं, जिन्होंने अपने पिता को पार्टी से निकाला और घर से बेदखल कर दिया। पोस्टर में यह भी दावा किया गया है कि जिसने अपने पिता से पिता जैसा व्यवहार नहीं किया, उसके डीएनए में जरूर खोट है। अब अगर उनमें हिम्मत है तो अपना डीएनए टेस्ट करवाएं, सच सबके सामने आ जाएगा।
इस पूरे घटनाक्रम पर सपा की प्रतिक्रिया
समाजवादी पार्टी की तरफ से इस पूरे घटनाक्रम पर तीखी प्रतिक्रिया सामने आ सकती है। क्योंकि इससे पहले भी लखनऊ की सड़कों पर एक के बाद एक कई पोस्टर नजर आए थे वहीं पार्टी कार्यकर्ताओं का मानना है। कि यह एक सुनियोजित राजनीतिक हमला है, जिससे Akhilesh Yadav की छवि को धूमिल करने की कोशिश की जा रही है।

वही राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे विवाद चुनावी मौसम में आम हो जाते हैं, लेकिन इस बार व्यक्तिगत और अशोभनीय टिप्पणियों ने स्थिति को गंभीर बना दिया है। लखनऊ की सियासत इन दिनों जिस तरह से गरमाई हुई है, वह केवल नेताओं की आपसी खींचतान नहीं, बल्कि प्रदेश की राजनीति में गहराई से चल रही वैचारिक और सामाजिक खींचतान को भी उजागर करता है।
इस पूरे घटनाक्रम पर भाजपा की प्रतिक्रिया
डिप्टी सीएम बृजेश पाठक और समाजवादी पार्टी प्रमुख Akhilesh Yadav के बीच जुबानी जंग का यह मामला अब पोस्टर वार में तब्दील हो गया है, जिसने न केवल राजनीतिक तनाव को बढ़ाया है, बल्कि ब्राह्मण समाज के सम्मान जैसे संवेदनशील मुद्दे को भी केंद्र में ला दिया है। लखनऊ की सड़कों और सार्वजनिक स्थलों पर लगे आपत्तिजनक पोस्टर इस बात का संकेत हैं कि अब चुनावी रणनीतियां ज़मीन पर उतर चुकी हैं।
इन पोस्टरों में Akhilesh Yadav पर तीखे
इन पोस्टरों में Akhilesh Yadav पर तीखे, व्यक्तिगत हमले किए गए हैं और नारेबाज़ी के माध्यम से ब्राह्मण वोट बैंक को साधने की कोशिश की जा रही है। “अखिलेश को दूर भगाना है… ब्राह्मणों का सम्मान बचाना है” जैसे नारे न सिर्फ सियासी इरादों को उजागर करते हैं, बल्कि यह भी बताते हैं कि भावनात्मक मुद्दों के ज़रिए अब मतदाताओं को प्रभावित करने की कवायद तेज हो गई है।
समाजवादी पार्टी ने इन पोस्टरों से खुद को अलग करते हुए इसे भाजपा की साजिश करार दिया है, वहीं भाजपा ने इस घटना को सपा की मानसिकता का प्रतीक बताया है। भाजपा नेताओं ने यह भी आरोप लगाया है कि बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर जैसे महापुरुषों की तुलना पार्टी नेताओं से करना निंदनीय है। दोनों ही दलों ने अपनी-अपनी तरफ से कड़ी प्रतिक्रियाएं दी हैं, जिससे यह साफ है कि यह मुद्दा जल्दी शांत होने वाला नहीं है।
प्रशासन की कार्रवाई
प्रशासन ने भी इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए विवादित पोस्टरों को हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी है। साथ ही पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। हालांकि यह कार्रवाई कितनी प्रभावी साबित होगी, यह आने वाला समय बताएगा।
दरअसल इस पूरे घटनाक्रम से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में जातिगत पहचान, सामाजिक सम्मान और भावनात्मक अपील आज भी प्रमुख चुनावी उपकरण बने हुए हैं। इस तरह के पोस्टर वार और सियासी नारेबाजी से न तो समाज को कोई लाभ होता है और न ही इससे राजनीति की गुणवत्ता में कोई सुधार आता है।