Premanand JI Maharaj Biography
संत प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) भारतीय आध्यात्मिक जगत में एक प्रमुख संत, भक्ति मार्गदर्शक और राधा-कृष्ण के अनन्य भक्त के रूप में जाने जाते हैं। प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj)का जीवन त्याग, भक्ति और सेवा का एक जीवंत उदाहरण है। वे वृंदावन में रहकर भजन-कीर्तन और सत्संग के माध्यम से हजारों भक्तों को श्रीकृष्ण भक्ति का संदेश देते हैं।

प्रारंभिक जीवन
संत प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) का जन्म 30 मार्च 1969 को उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के अखरी गाँव, सरसौल ब्लॉक में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनका बचपन का नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे था। उनके पिता का नाम श्री शंभू पांडे और माता का नाम श्रीमती रामा देवी था।
प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) के घर में धार्मिक वातावरण था, क्योंकि उनके दादाजी ने भी संन्यास लिया था। इसी माहौल में प्रेमानंद जी का बचपन बीता। मात्र पाँच वर्ष की आयु में उन्होंने भगवद गीता का पाठ करना शुरू कर दिया था और धर्म में गहरी रुचि लेने लगे थे। उनके मन में भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी के प्रति विशेष भक्ति विकसित हुई।
संन्यास और आध्यात्मिक यात्रा
13 वर्ष की उम्र में प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) ने घर छोड़कर संन्यास लेने का निर्णय लिया। इस समय उन्हें “आर्यन ब्रह्मचारी” के नाम से जाना गया। उन्होंने अपने गुरु श्री हित गौरांगी शरण महाराज से दीक्षा ली और श्री राधावल्लभी संप्रदाय में प्रवेश किया।
भोलेनाथ के दर्शन के बाद उनका हृदय वृंदावन की ओर आकर्षित हुआ और उन्होंने वहां स्थायी रूप से भक्ति का मार्ग चुन लिया। वृंदावन आकर उन्होंने राधा रानी व श्रीकृष्ण की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया।

वृंदावन में सेवा और भक्ति
वर्तमान में प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) श्री हित राधा केली कुंज आश्रम, वृंदावन में निवास करते हैं। वे वहाँ भजन-कीर्तन, सत्संग और प्रवचन आयोजित करते हैं। उनका मानना है कि कलियुग में भक्ति ही मोक्ष का मार्ग है।
प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) का संदेश है कि भक्ति केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन के हर कार्य में प्रेम, त्याग और आत्मसमर्पण का भाव लाने का मार्ग है। वे युवाओं को धर्म, नैतिकता और भक्ति की ओर प्रेरित करते हैं और जीवन को एक साधु की तरह जीने का मार्ग बताते हैं।

प्रेमानंद जी महाराज के विचार
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भक्ति — प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि भक्ति जीवन का सर्वोच्च उद्देश्य है।
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त्याग — उनका जीवन त्याग और आत्मसमर्पण का जीता-जागता उदाहरण है।
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युवा प्रेरणा — वे युवाओं को सिखाते हैं कि जीवन में सफलता केवल धन या पद से नहीं, बल्कि सत्य और भक्ति से मिलती है।
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कलियुग में भक्ति — उनका मानना है कि इस युग में भगवान की भक्ति ही मुक्ति का रास्ता है।

स्वास्थ्य और वर्तमान जीवन
स्वास्थ्य की दृष्टि से प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) की दोनों किडनी खराब हैं, लेकिन उन्होंने अपने जीवन में भक्ति और सेवा का मार्ग नहीं छोड़ा है। वे निरंतर लोगों को आध्यात्मिक शिक्षा देते हैं और भक्ति के महत्व का संदेश देते हैं।
उनका जीवन यह दिखाता है कि सच्चा संत केवल अपने लिए नहीं बल्कि पूरे समाज के कल्याण के लिए काम करता है।
संत प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) का जीवन त्याग, भक्ति और सेवा का अद्वितीय उदाहरण है। उनका संदेश और उपदेश आज भी युवाओं और साधकों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि जीवन में सच्ची शांति और मोक्ष केवल भगवान की भक्ति, सत्य और आत्मसमर्पण के द्वारा प्राप्त होती है।

लोगों और युवाओं के विचार — प्रेमानंद जी महाराज
प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) को गाँव-शहर दोनों क्षेत्रों में एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व माना जाता है। श्रद्धालु और भक्त उन्हें एक “जीवंत साधु” के रूप में देखते हैं, जिन्होंने पूरी जिंदगी भक्ति और सेवा में समर्पित कर दी है।
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एक वृद्ध भक्त कहते हैं:
“प्रेमानंद महाराज के प्रवचन में एक अलग ही शक्ति है। वे साधारण शब्दों में गहरी बातें समझाते हैं, जिससे हर उम्र का व्यक्ति उनसे जुड़ जाता है।” -
एक महिला भक्त का कहना है:
“उनकी भक्ति देखकर मन में आत्मसमर्पण की भावना जागती है। उनका जीवन सिखाता है कि भक्ति सिर्फ पूजा-पाठ नहीं बल्कि जीवन का तरीका है।”
युवाओं के बीच प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) का प्रभाव खास तौर पर उनके संदेश और जीवन शैली के कारण गहरा है। वे युवाओं को धर्म, भक्ति और नैतिक मूल्यों के महत्व को समझाने के लिए प्रेरित करते हैं।
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एक कॉलेज छात्र कहते हैं:
“प्रेमानंद जी महाराज हमें सिखाते हैं कि जीवन में सफलता केवल धन और पद से नहीं बल्कि सत्य और भक्ति से मिलती है। उनके विचार हमारे जीवन को मार्गदर्शन देते हैं।” -
एक युवा महिला का कहना है:
“मैंने उनसे सीखा कि जीवन में संतोष और शांति पाने के लिए संन्यास या तपस्या जरूरी नहीं है, बल्कि मन की शुद्धि और भक्ति जरूरी है।

सारांश
लोग और युवा प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) को न केवल एक आध्यात्मिक गुरु मानते हैं, बल्कि जीवन जीने का एक आदर्श भी मानते हैं। प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) की शिक्षाएं और प्रेरणा लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में सक्षम हैं। युवा उनकी सरलता, त्याग और भक्ति से प्रभावित हैं और उन्हें अपना आदर्श मानते हैं।