यूपी-हरियाणा सीमा विवाद का स्थायी समाधान, 126 करोड़ की लागत से लगाए जाएंगे 1287 पिलर
उत्तर प्रदेश और हरियाणा के बीच यमुना नदी के मार्ग परिवर्तन के कारण वर्षों से चल रहे सीमा विवाद का अब स्थायी समाधान निकलने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। दोनों प्रदेशों के अधिकारियों के बीच हुई बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया है कि सर्वे ऑफ इंडिया के सीमांकन के आधार पर 126 करोड़ रुपये की लागत से 1287 बाउंड्री पिलर लगाए जाएंगे, जो सीमा विवाद को सुलझाने में अहम भूमिका निभाएंगे।
126 Crore रुपये की लागत से पिलर लगाए जाएंगे
यमुना नदी का मार्ग बदलने से दोनों प्रदेशों की सीमा में कई बदलाव आए थे, जिसके कारण अलीगढ़, सहारनपुर, शामली, बागपत, गौतमबुद्ध नगर और अन्य क्षेत्रों के किसानों के बीच विवाद हुआ था। इस विवाद को हल करने के लिए दोनों राज्यों के अधिकारियों ने सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा किए गए सीमांकन का अनुसरण करने का निर्णय लिया है। इस परियोजना के तहत 1287 पिलर लगाए जाएंगे, जिनमें से 197 पिलर केवल अलीगढ़ जिले के सीमा क्षेत्र में लगाए जाएंगे।
यह पिलर यमुना नदी के बहाव से प्रभावित नहीं होंगे, क्योंकि इनकी स्थापना नदी के मार्ग के स्थानांतरण के हिसाब से की जाएगी। इस परियोजना का कार्य बहुत जल्द शुरू होने की संभावना है, क्योंकि लोक निर्माण विभाग से इसके लिए वित्तीय स्वीकृति मिलने की प्रक्रिया में तेजी लाई जा रही है।
विवाद का इतिहास
हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बीच सीमा विवाद दशकों से चल रहा है। यमुना नदी के बहाव के कारण यूपी की कुछ जमीन हरियाणा में चली गई थी, जबकि हरियाणा की कुछ जमीन यूपी में आ गई थी। विशेष रूप से अलीगढ़ जिले के टप्पल और पलवल क्षेत्र में इस विवाद का अधिक असर पड़ा है। यहां के किसानों के बीच जमीन का स्वामित्व विवादित हो गया था।
इस विवाद के कारण हर साल फसल कटाई के दौरान दोनों राज्यों के किसानों के बीच हिंसक झड़पें होती रही हैं, जिनमें कई बार जानलेवा संघर्ष भी हुआ है। इससे न केवल किसानों की जान-माल का नुकसान हुआ है, बल्कि दोनों प्रदेशों के बीच तनाव भी बढ़ा है। यह विवाद राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक स्तर पर भी गंभीर हो गया था, जिससे दोनों प्रदेशों के लिए समाधान की आवश्यकता और भी बढ़ गई थी।

प्रभावित किसान और क्षेत्र
अलीगढ़ जिले के 589 किसान और हरियाणा के 123 किसान इस विवाद से सीधे प्रभावित हैं। यमुना नदी के रुख बदलने से टप्पल के किसान अब 2188 एकड़ भूमि हरियाणा में समझते हैं, जबकि पलवल क्षेत्र की 1286 एकड़ भूमि अलीगढ़ जिले की सीमा में आ गई है। इस भूमि विवाद के कारण दोनों प्रदेशों के किसान बार-बार संघर्ष करते रहे हैं।
अलीगढ़ के टप्पल, पलवल के होडल, और अन्य गांवों में स्थिति अत्यधिक तनावपूर्ण रही है। यह क्षेत्र हरियाणा और यूपी के बीच सीमा विवाद का केंद्र बन गया था, जिससे न केवल किसानों, बल्कि स्थानीय निवासियों की स्थिति भी खराब हो गई थी।
अब, इस विवाद का हल पिलर स्थापना के जरिए किया जाएगा, जिससे किसानों को अपनी जमीन की पहचान होगी और किसी भी प्रकार के विवाद से बचा जा सकेगा।
पिलर स्थापना की प्रक्रिया
सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा किए गए सीमांकन के बाद, अब दोनों राज्यों के अधिकारियों ने पिलर लगाने का निर्णय लिया है। यह पिलर यमुना नदी के बहाव से प्रभावित नहीं होंगे, क्योंकि इनकी स्थापना नदी के मार्ग के स्थानांतरण के हिसाब से की जाएगी।
इन पिलरों की स्थापना के लिए 126 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है। इसके तहत 1287 बाउंड्री पिलर लगाए जाएंगे, जिनमें 17 मेन रेफरेंस और 327 सब रेफरेंस पिलर शामिल होंगे। यह पिलर पूरे सीमा क्षेत्र में लगाए जाएंगे, जो अलीगढ़ से लेकर सहारनपुर तक फैला हुआ है।
न्यायालय के आदेश पर हुआ सीमांकन
यह कार्य चंडीगढ़ न्यायालय के आदेश पर शुरू किया गया था। इसके तहत, सर्वे ऑफ इंडिया ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा की सीमा का सीमांकन किया और नए सीमांकित बाउंड्री पिलरों का विवरण तैयार किया। इस परियोजना में कुल 1683 सीमा स्तंभों का आक्षांक और देशांतर जानकारी उपलब्ध कराई गई।
इस परियोजना के तहत, पहले से स्थापित 4.46 करोड़ रुपये के खर्च से सीमांकन का कार्य किया गया था। इसके बाद, मेरठ मंडलायुक्त के स्तर से एक समिति का गठन किया गया, जिसने पिलर स्थापना के लिए विस्तृत योजना तैयार की। इस समिति की रिपोर्ट के आधार पर अब पिलर स्थापना की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
आर्थिक और सामाजिक लाभ
यूपी और हरियाणा के बीच सीमा विवाद का स्थायी समाधान न केवल विवादों को खत्म करेगा, बल्कि इससे आर्थिक और सामाजिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। पिलर स्थापना से दोनों प्रदेशों के किसान अपनी जमीन की पहचान कर सकेंगे, जिससे उनकी भूमि की स्वामित्व स्थिति स्पष्ट होगी।
साथ ही, सीमा विवाद को सुलझाने से स्थानीय व्यापार, कृषि और औद्योगिक गतिविधियों में भी तेजी आएगी। इससे दोनों राज्यों के किसानों को अपनी उपज को बेहतर बाजार तक पहुंचाने में मदद मिलेगी, जिससे उनकी आय में वृद्धि हो सकती है।
यूपी और हरियाणा के बीच सीमा विवाद का स्थायी समाधान न केवल किसानों के लिए राहत की बात है, बल्कि यह दोनों राज्यों के बीच सद्भावना को भी बढ़ावा देगा। पिलर स्थापना से विवादों को समाप्त किया जा सकेगा और दोनों राज्यों के बीच मजबूत संबंध स्थापित होंगे। यह कदम राज्य सरकारों की दृढ़ इच्छाशक्ति को दर्शाता है, जो सीमा विवादों को हल करने और राज्य की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए प्रतिबद्ध हैं।